वैज्ञानिक और लेखक डॉ आनंद रंगनाथन ने जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से माफी माँगने से इनकार कर दिया है। दरअसल, साल 2018 में जस्टिस एस मुरलीधर ने अर्बन नक्सल और भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित गौतम नवलखा को जमानत दे दी थी। इस पर, आनंद रंगनाथन ने ट्वीट कर जज पर ‘पक्षपात’ करने के ‘आरोप’ लगाए थे।
दरअसल, अवमानना मामले में, कोर्ट ने फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री, न्यूज पोर्टल स्वराज्य और आनंद रंगनाथन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अब, आनंद रंगनाथन ने बयान देते हुए कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए, वह माफी नहीं माँगेंगे।
आनंद रंगनाथन ने कहा, “अक्टूबर 2018 में, गौतम नवलखा को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने राहत दी थी। एस गुरुमूर्ति और विवेक अग्निहोत्री ने न्यायाधीश द्वारा इस कार्रवाई की आलोचना की थी। इन दोनों पर स्वतः: संज्ञान लेते हुए अदालत की आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया गया था। उनके तर्कों या न्यायाधीशों के तर्कों के गुण-दोष पर टिप्पणी न करते हुए, मैंने ट्वीट किया, ‘मैं उनके साथ खड़ा हूँ’ और पूछा था कि असहमति को लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व बताए जाने का क्या हुआ?” (संयोग से यह वाक्यांश पहली बार भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तब बोला गया था जब नवलखा को गिरफ्तार किया गया था।)
My statement on today’s developments in the Delhi High Court, in the suo motu criminal contempt case regarding relief provided by the hon’ble judge to UAPA-accused Gautam Navlakha.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) December 6, 2022
I have done nothing wrong. I will NOT apologise. pic.twitter.com/Dd6Q6gSMva
उन्होंने यह भी कहा, “मैं उनके साथ न केवल इसलिए खड़ा था क्योंकि मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करता हूँ बल्कि इसलिए भी कि मैं अदालत की अवमानना के आरोप का मौलिक रूप से विरोध करता हूँ। यही कारण है कि मैं सार्वजनिक रूप से उस दुष्ट प्रशांत भूषण के साथ भी खड़ा रहा हूँ। भले ही मैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और उनके फैसले पर, प्रशांत भूषण की राय से पूरी तरह असहमत था।”
अपने खुले विचारों के लिए मशहूर डॉ आनंद रंगनाथन ने कहा, “बीते 4 वर्षों से मामला चलता आ रहा है लेकिन इस मामले में कोई नोटिस या समन नहीं मिला है। मैं दोहराता हूँ, मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैं अदालत की आपराधिक अवमानना के आरोप का विरोध करना जारी रखता हूँ और मैं खुलकर बोलने वाला और निरंकुश शासन का पक्षधर हूँ, इसलिए मैं माफी नहीं माँगूंगा। मैंने एक बार टिप्पणी की थी, यदि मैं इस समय जेल में नहीं हूँ तो इसका कारण यह है कि राज्य (सरकार) ने फैसला किया है कि मुझे जेल जाने की जरूरत नहीं है। शायद, राज्य (सरकार) कुछ और निर्णय लेने के लिए तैयार हो रहा है। ऐसा ही होगा।”
इस मामले में विवेक अग्निहोत्री ने दिल्ली उच्च न्यायालय में लिखित माफी दी थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की पीठ ने इसके बावजूद विवेक अग्निहोत्री को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने और माफी माँगने को कहा था।
As per HC order Desh Kapur has withdrawn the offending article & tendered unconditional apology to Court. Since I do not follow him I would not know whether he has tweeted his apology. Even if he does it, unless mentions my handle, I will be able to retweet it as directed by HC
— S Gurumurthy (@sgurumurthy) October 15, 2019
पूरे मामले में यह ध्यान रखने लायक बात है कि अर्थशास्त्री डॉ एस गुरुमूर्ति को प्रतिवादी के रूप में हटा दिया गया था। इस पर उनके वकील ने सूचित किया कि डॉ. गुरुमूर्ति ने माफी माँगने से इनकार कर दिया था हालाँकि अपना ट्वीट हटा लिया था क्योंकि जिस मूल ट्वीट पर उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी, उस मूल ट्विटर यूजर ने अपना वो ट्वीट ही डिलीट कर दिया था।
क्या है मामला…
दरअसल, साल 2018 में जस्टिस एस मुरलीधर ने अर्बन नक्सल और भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित गौतम नवलखा को जमानत दे दी थी। इसके बाद, देश कपूर ने दृष्टिकोन नामक एक वेबसाइट के लिए एक लेख था। इस लेख में उन्होंने जस्टिस मुरलीधर पर पक्षपात करने के आरोप लगाए थे। इस लेख को आनंद रंगनाथन (अन्य लोगों ने भी) द्वारा रीट्वीट कर उनका समर्थन किया था। इस पर, कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।
अपडेट (11 दिसंबर, 2022): इस आर्टिकल में पहले उल्लेख किया गया था कि डॉ. एस गुरुमूर्ति ने बिना शर्त माफी माँगी थी। डॉ. एस गुरुमूर्ति के वकील ने हालाँकि सूचित किया है कि उन्होंने इसके लिए माफी नहीं मांगी है। इस सूचना के बाद आर्टिकल को अपडेट किया गया है।