जबरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ योगी सरकार सख्त हो उठी है। उत्तर प्रदेश सरकार इसके ख़िलाफ़ कड़ा क़ानून लाने की योजना तैयार कर रही है, जिसके अंतर्गत 7 साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है। यहाँ तक कि शादी के बाद किसी का धर्मान्तरण कराए जाने के बाद भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस सम्बन्ध में विधि आयोग ने 208 पन्ने की रिपोर्ट सौंपी है, जिसे कई पड़ोसी देशों के क़ानून का अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है। हालाँकि, वापस पुराने धर्म में लौट आना, यानी ‘घर वापसी’ अपराध नहीं होगा। विधि आयोग की इस सिफारिश का अध्ययन कर सरकार क़ानून बनाएगी।
विधि आयोग ने अपनी सिफ़ारिश में कहा है कि अगर शादी के मामले में किसी भी पक्ष पर जबरन धर्मांतरण के दबाव बनाया जाता है तो उस शादी को रद्द कर दिया जाएगा। आयोग की सेक्रटरी सपना त्रिपाठी ने कहा कि अब सरकार के ऊपर है कि वो इस ड्राफ्ट के किन हिस्सों को क़ानून का रूप देगी। राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस आदित्यनाथ मित्तल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई रिपोर्ट में लिखा:
“कतिपय संगठन हिन्दुओं, विशेषकर अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रलोभन देकर अपने निहित स्वार्थ के लिए धर्मान्तरण कराते हैं। वो भारत की सदियों पुरानी सभ्यता धारा को भुलाने की सीख देते हैं। ये संगठन लोगों को धार्मिक परम्पराओं व पूजा पद्धतियों का अपमान करने की सीख दे रहे हैं। वो अपने मजहब को सर्वोच्च दिखा कर दर्शाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।”
सपना त्रिपाठी ने बताया कि भारत के 10 राज्यों में धर्मान्तरण विरोधी क़ानून हैं और 2014 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने बताया कि अभी धर्मान्तरण को लेकर सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन मुख्यमंत्री को विधि आयोग ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए पिछले 6 महीने की काफ़ी सारी न्यूज़ क्लिप्स सौंपी है। इन क्लिप्स में धर्मान्तरण से जुड़ी ख़बरें हैं। इस ड्राफ्ट में एक से पाँच साल तक की सज़ा का प्रावधान है। अगर पीड़ित एससी-एसटी है या नाबालिग है तो सज़ा की अवधि को दो वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
Uttar Pradesh: Seven-year jail term for forced conversion in law panel draft
— Brakoo (@brakoo) November 22, 2019
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ड्राफ्ट में प्रस्तावित किया गया है कि धर्मान्तरण से पहले अब स्थानीय मजिस्ट्रेट की अनुमति लेनी होगी। इसके लिए डीएम या फिर एसडीएम से लिखित में अनुमति माँगनी होगी। अनुमति के लिए 1 महीने पहले आवेदन करना पड़ेगा। प्रशासन पूरी जाँच करने के बाद ही धर्मान्तरण की अनुमति देगा। लिखित आवेदन में यह बताना होगा कि धर्मान्तरण का कारण क्या है और क्यों किया जा रहा है?