इलेक्शन कमिश्नर अशोक लवासा ने पहले भी यह कहकर तूफान उठाने की कोशिश की थी कि वह इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट के उल्लंघन पर दिए गए क्लीन चिट के निर्णय से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा वह तब तक चुनाव आयोग की मीटिंग अटेंड नहीं करेंगे जब तक उनकी असहमति दर्ज़ नहीं की जाती। सुनील अरोड़ा लवासा के इस कमेंट पर टिप्पणी कर चुके हैं।
अब, टाइम्स नाउ की रिपोर्ट, कि लवासा चुनाव आयोग की मीटिंग अटेंड करने के लिए सहमत हो गए हैं, लवासा की असहमति खुद संदेह के घेरे में है।
Row over ‘dissenter’ Ashok Lavasa: TIMES NOW accesses details. @madhavgk with the details | #PollPanelRow pic.twitter.com/5DQpX5nJGi
— TIMES NOW (@TimesNow) May 21, 2019
बता दें कि पूरा का पूरा कॉन्ग्रेस इकोसिस्टम ने लवासा की असहमति का उपयोग यह आरोप लगाने के लिए किया कि इलेक्शन कमीशन बायस्ड है और मोदी, बीजेपी को सपोर्ट कर रही है। इससे पहले राहुल गाँधी भी अशोक लवासा के बोलने से बहुत पहले ही इलेक्शन कमीशन पर बायस्ड होने का आरोप लगा चुके हैं।
चलिए जानते हैं, कौन हैं अशोक लवासा, किसके साथ वह मीडिया में छाए रहे, नीचे उनके और उनके परिवार के बारे में कुछ विशेष खुलासे किए गए हैं।
अशोक लवासा-चिदम्बरम: खास कनेक्शन
1980 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी अशोक लवासा, जिनकी अप्रैल 2009 में पी चिदंबरम के गृहमंत्री के दौर में जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में गृह मंत्रालय में एंट्री होती है। 2010 में ही पी चिदम्बरम ने “An Uncivil Servant” नामक अशोक लवासा की किताब का विमोचन भी किया था। इसके आलावा अशोक लवासा और उनकी पत्नी के ‘Travel photo exhibition’ का भी उद्घाटन किया था।
यह तस्वीर अभी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। फिर भी तस्वीर के गूगल कैशे वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।
PGurus वेबसाइट का दावा है कि अशोक लवासा UPA सरकार के कई मंत्रियों के चहेते हुआ करते थे। इन सम्बन्धों के बदौलत, इन्हें कई लाभ भी हासिल हुए हैं।
अशोक लवासा की पत्नी का व्यावसायिक समीकरण
अशोक लवासा वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय के अलावा हरियाणा सरकार में पावर और रिन्यूएबल एनर्जी में भी थे। अशोक लवासा की पत्नी नॉवेल लवासा ऐसी कई कंपनियों में डायरेक्टर रह चुकी हैं जो रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में काम करती है और अशोक लवासा के कार्यकाल में उनके मंत्रालय से सीधे संपर्क में थी।
PGurus के अनुसार, अशोक लवासा की वाइफ नॉवेल लवासा इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएट है और 2005 में स्टेट बैंक के मैनेजर के पोस्ट से त्यागपत्र दे चुकीं हैं। उसके बाद से आईएएस ऑफिसर वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन के एक्टिविटीज और कुछ सोशल एक्टिविटीज को मैनेज कर रही थीं। उसके बाद कई कंपनियों में पति के अलग-अलग डिपार्टमेंट में पोस्टिंग के अनुसार डायरेक्टर बनीं।
नीचे, वह कुछ पोस्ट हैं जिन पर अशोक लवासा एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल में कार्यरत रहे।
नॉवेल लवासा, बलरामपुर चीनी मिल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की 6 फरवरी 2015 को डायरेक्टर बनीं। बलरामपुर शुगर मिल न सिर्फ चीनी उत्पादन नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में भी सक्रीय रही है।
जब अशोक लवासा की पत्नी चीनी मिल की डायरेक्टर बनीं उस समय अशोक लवासा पर्यावरण मंत्रालय में थे। नॉवेल लवासा, एक कंपनी ‘Omaz Autos Limited’ में डायरेक्टर के रूप में नियुक्त हुईं, जिसका पावर सेक्टर में भी इंटरेस्ट था।
वह एक और कंपनी पॉवेरलिंक्स ट्रांसमिशन लिमिटेड में 2 मई 2017 में डायरेक्टर के रूप में नियुक्त हुईं। कुलमिलाकर, नावेल लवासा ‘Walwhan and Welspun’ ग्रुप की 9 कंपनियों में डायरेक्टर रहीं, जो आपस में कॉमन डायरेक्टर से जुड़ी हैं। इन सभी कंपनियों का इंटरेस्ट रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में रहा है।
कामनवेल्थ गेम स्कैम से जुड़ाव
ऑपइंडिया के पास शुंगलू कमिटी का वह रिपोर्ट है जिसमें अशोक लवासा की बेटी और बेटे के अनुचित लाभ उठाने की बात कही गई है। शुंगलू कमिटी ने ये साफ बताया है कि सिलेक्शन कमिटी द्वारा अन्वी लवासा के प्रोजेक्ट ऑफिसर (PO) के रूप में चयन में उन्हें उनके पॉवरफुल संबंधों की वजह से फेवर किया गया। जिसका विस्तृत वर्णन यहाँ देखा जा सकता है।
पहले अन्वी लवासा को APO के रूप में चुना गया, बाद में प्रमोट कर PO अर्थात प्रोजेक्ट ऑफिसर बनाया गया।
इसी रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा है कि अन्वी लवासा के भाई अबीर लवासा का भी APO के रूप में चयन किया गया।
फिलहाल, अन्वी लवासा कपिल सिब्बल के चैनल के साथ एक अनुबंध के तहत अभी लद्दाख में पोस्टेड हैं।
अबीर लवासा का व्यावसायिक जुड़ाव
अबीर लवासा, अशोक लवासा के बेटे हैं। अबीर लवासा ‘Nourish Organic Foods Private Limited’ कंपनी में 14th November 2017 को डायरेक्टर बने। वहाँ के सूत्रों से ऑपइंडिया को पता चला कि अबीर की नियुक्ति जब हुई थी, ठीक उसी समय दो दूसरे डायरेक्टर्स नरेश कुमार और सीमा जाजोदिया ने कंपनी से त्यागपत्र दे दिया।
यह जानना महत्वपूर्ण है यहाँ सीमा जाजोदिया मोनेट इस्पात से जुड़ी हैं जिस पर 1000 करोड़ रुपए के डिफ़ॉल्ट का आरोप है। SBI के अनुसार, कुल 2243 करोड़ रुपए का स्टील कंपनी द्वारा क्लेम किया गया था जबकि, यह डिफ़ॉल्ट केवल 1539 करोड़ का था।
सीमा जाजोदिया का विवाह मोनेट इस्पात एंड एनर्जी के प्रमोटर संदीप जाजोदिया के साथ हुआ है।
द टेलीग्राफ के अनुसार, “सीमा जजोदिया, जिन्हें मोनेट इस्पात के प्रमोटर के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया था, ने 24 अक्टूबर को उपहार के रूप में अपने शेयरों को हस्तांतरित किया लेकिन कंपनी ने 27 जनवरी को ही बाउंस होने की सूचना दी। क्योंकि मोनेट के लिए बिड 12 दिसंबर को बंद कर दी गई थी। यह तुरंत पता नहीं लगाया जा सका है कि जब जाजोदिया को बोनेट्स द्वारा मोनेट के प्रमोटर के रूप में घोषित किया गया था। भूषण स्टील के कर्मचारियों द्वारा दायर एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें JSW स्टील एक आवेदक था, ने दावा किया था कि मोनेट में जाजोदिया द्वारा शेयरों का हस्तांतरण एंटीडेटेड था।
मूल रूप से यह आरोप था कि सीमा जाजोदिया ने अपने भाई के जेएसडब्ल्यू स्टील को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 की धारा 29 ए के तहत यह स्पष्ट करने में सक्षम बनाने के लिए मोनेट इस्पात और ऊर्जा को “एंटीडेट” में अपने शेयर हस्तांतरित कर दिए थे। कारण था, बिना ऋण चुकाए स्ट्रेस एसेट्स से कंपनी को बचाना।
आरोप यह भी है कि नौरिश ऑर्गेनिक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड में वर्तमान निदेशक नाम के निदेशक हैं और कंपनी का पूरा नियंत्रण अबीर लवासा के पास है।
बोनिता ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में नूरिश के शेयर कथित तौर पर रखे गए हैं। अबीर लवासा को नौरिश में निर्देशक के रूप में नियुक्त करने से ठीक पहले सीमा जाजोदिया और निकिता जाजोदिया को बोनिता ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था।