असम की एक कोर्ट ने पुलिस को एआईयूडीएफ चीफ बदरुद्दीन अजमल के खिलाफ विवादित बयान के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट का यह आदेश असम जातीय परिषद (एजेपी) के उपाध्यक्ष दुलु अहमद की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।
दरअसल, 03 दिसंबर, 2022 को दुलु अहमद, बदरुद्दीन अजमल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने हतीगाँव पुलिस स्टेशन पहुँचे थे। जहाँ उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। इसके बाद अहमद ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका के अनुसार दुलु अहमद ने 6 दिसंबर, 2022 को गुवाहाटी पुलिस आयुक्त से भी संपर्क किया था लेकिन इसके बाद भी उन्हें मदद नहीं मिली।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मामले में जाँच आवश्यक है। असम की कामरूप कोर्ट ने 13 दिसंबर 2022 को अपने आदेश में पुलिस को एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन के विवादास्पद टिप्पणी की जाँच करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा था।
ऑल यूनियन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने 02 दिसंबर, 2022 को विवादित बयान देते हुए हिंदुओं को बच्चों के मामले में मुसलमानों का फॉर्मूला अपनाने की सलाह दी थी। करीमगंज में एक कार्यक्रम के दौरान सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा था कि मुस्लिम लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र में हो जाती है, लेकिन हिंदू लड़कियों की शादी 40 साल की उम्र में भी नहीं होती। हिन्दू 40 साल की उम्र तक अवैध पार्टनर रखते हैं। बच्चे नहीं पैदा करते और पैसे बचाते हैं।
इतना ही नहीं अजमल ने लव जिहाद को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान पर भी टिप्पणी की थी। अजमल ने कहा था, “मुख्यमंत्री देश के बड़े नेताओं में से एक हैं। आप भी चार-पाँच मुस्लिम लड़कियों से लव-जिहाद कीजिए। हम आपका स्वागत करेंगे और लड़ाई भी नहीं करेंगे।” बयान के बाद विवाद बढ़ता देख अजमल ने माफी भी माँग ली थी। उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि मैं अपने बयान पर शर्मिंदा हूँ।