लोकसभा चुनाव 2024 में सबकी नजरें पश्चिम बंगाल पर हैं। तमाम हाई प्रोफाइल सीटों के अलावा जिस सीट पर सभी की नजरे हैं, वो सीट है बशीरहाट लोकसभा सीट। उत्तरी 24 परगना जिले में आने वाली बशीरहाट की एक विधानसभा सीट है संदेशखाली, जहाँ से महिलाओं, किसानों पर टीएमसी के नेताओं और पार्टी के गुंडों के अत्याचार की खबरें सामने आई। महिलाओं के उत्पीड़न से लेकर जमीनों पर जबरन कब्जे की घटनाओं ने पूरे देश का ध्यान खींचा। कोलकाता हाई कोर्ट ने तो यहाँ तक टिप्पणी की, कि जैसी बातें संदेशखाली से निकलकर सामने आ रही हैं, उसमें 1% भी सच्चाई हुई, तो ये मानवता पर कलंक होगा। टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ और उसका पूरा आपराधिक साम्राज्य संदेशखाली के इर्दगिर्द फैला हुआ था। महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन की कमान संभाली, तब जाकर शेख शाहजहाँ और उसकी गैंग की हैवानियत सामने आ पाई। अब उसी संदेशखाली की पीड़ित रेखा पात्रा को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपना उम्मीदवार बनाया है।
रेखा पात्रा अपनी सास और तीन बेटियों के साथ आम जिंदगी जी रही थी, कि शेख शाहजहाँ और उसके गैंग ने पूरे संदेशखाली में आतंक मचा दिया था। रेखा पात्रा भी आम महिलाओं की तरह इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई और देखते ही देखते महिलाओं पर हो रहे अपराधों के खिलाफ आंदोलन का एक चेहरा बन गई। महज पाँचवीं तक पढ़ी लिखी रेखा पात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘शक्ति स्वरूपा’ बताया। बीजेपी ने जब से उन्हें कैंडिडेट घोषित किया है, वो ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी के लिए दु:स्वप्न की तरह हो गई हैं। कोर्ट से लेकर राजनीति के मैदान तक वो ममता बनर्जी को चुनौती दे रही हैं। रेखा पात्रा ने ठान लिया है कि वो महिलाओं पर अत्याचार करने वालों को अंजाम तक पहुँचा कर रहेंगी।
दैनिक जागरण से बातचीत में रेखा पात्रा कहती हैं कि वो खुद को नेता नहीं मानती, क्योंकि वो तमाम पीड़ितों में एक पीड़ित हैं और उन्हीं पीड़ितों की आवाज हैं। उनका कहना है कि अत्याचार का विरोध करते समय किसी ने हमारा साथ नहीं दिया, सिवाय बीजेपी के… इसलिए जब उन्हें बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया, तो मैंने भी बशीरहाट की भलाई और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतरने का फैसला कर लिया। रेखा पात्रा कहती हैं कि मैं गाँव की साधारण महिला हूँ। मुझे राजनीति की जानकारी नहीं है। मैं सिर्फ संदेशखाली की माँ-बहनों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से राजनीति में आई हूँ। मैंने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि मैं राजनीति करूँगी।
पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में पूछने पर रेखा पात्रा ने उन्हें पिता-तुल्य बताया है। उन्होंने कहा कि बशीरहाट के लोगों ने कभी सोचा नहीं था कि प्रधानमंत्री मेरी जैसी गरीब परिवार की लड़की को प्रत्याशी बनाएंगे। उन्होंने मुझे फोन करके मेरा मनोबल भी बढ़ाया। मैं यह सीट जीतकर उन्हें उपहार में देना चाहती हूँ।
ये पूछने पर कि बीजेपी ने ही उन्हें कैंडिडेट क्यों बनाया, इस सवाल के जवाब में रेखा पात्रा ने कहा, “संदेशखाली कांड के सामने आने के बाद भाजपा छोड़कर कोई पार्टी हमारे साथ आकर खड़ी नहीं हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारे पास आए और सिर पर हाथ रखा। उन्होंने मुझे प्रत्याशी बनाकर नई राह दिखाई है। वे हमारे लिए अभिभावक की तरह हैं। हम सभी उनके कृतज्ञ हैं।” रेखा पात्रा ने कहा कि शाहजहाँ शेख ने जिन लोगों पर अत्याचार किए हैं, सभी उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, “मैं हारूँ या जीतूँ, अपने लोगों के साथ संदेशखाली में ही रहना चाहती हूँ। मैं उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी। हम संदेशखाली से अपना आंदोलन जारी रखेंगे। माँ-बहनों के सम्मान की रक्षा के लिए मैं आखिरी साँस तक लड़ती रहूँगी।
संदेशखाली में अत्याचार जारी
रेखा पत्रा ने अपील की है कि सीबीआई संदेशखाली के पीड़ितों को न्याय दे और हर गुनाहगार को गिरफ्तार करे, क्योंकि अभी भी बहुत से गुनाहगार खुले घूम रहे हैं और पीड़ितों को डरा-धमका रहे हैं। उन्होंने कहा मुझे खबर मिली है कि घरों से महिलाओं को उठाकर थाने ले जाकर पुलिस अधिकारियों के पैरों में गिरवाकर माफी मँगवाई जा रही है। ऐसा होने पर बशीरहाट के लोग भयमुक्त होकर मतदान नहीं कर पाएंगे। मैं संदेशखाली के लोगों से कहूंगी कि वे डरें नहीं। हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे। जरूरत पड़ने पर संदेशखाली की महिलाएँ मतदान के दिन फिर हाथों में झाडू़ व लाठियाँ लेकर सड़कों पर उतरेंगी। बशीरहाट का प्रत्येक मतदाता शांतिपूर्ण माहौल में बिना किसी भय के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके, हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे।
साड़ियों से नहीं ढंकते अपराध
रेखा पात्रा ने ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए। रेखा पात्रा ने कहा, “मुख्यमंत्री खुद गुंडों को प्रश्रय दे रही हैं। बशीरहाट के ब्लॉक-ब्लॉक में संदेशखाली जैसी स्थिति है। वहाँ के लोग डर के मारे मुँह नहीं खोल रहे हैं। ममता बनर्जी की पार्टी चुनाव देखकर अभी संदेशखाली की महिलाओं में साड़ियाँ बाँट रही हैं। संदेशखाली की महिलाएँ सम्मान खोने का दर्द समझती हैं। वे इन साड़ियाँ को कभी स्वीकार नहीं करेंगी। लेंगी भी तो जला देंगी। साड़ियों से अपराध को ढँका नहीं जा सकता।”
संदेशखाली कांड सामने आने के बाद ममता सरकार ने बंदी की योजनाएँ
बशीरहाट लोकसभा सीट से बीजेपी कैंडिडेट रेखा पात्रा ने कहा कि ममता बनर्जी खुद को बंगाल की बेटी कहती हैं। अगर वाकई ऐसा होता तो वे तृणमूल के गुंडों के हाथों बंगाल की महिलाओं का सम्मान नष्ट नहीं करवातीं। वह अच्छा बनने का ढोंग करती हैं। लक्ष्मी भंडार के माध्यम से 1000-1200 रुपये देकर महिलाओं का सम्मान खरीदने की कोशिश की जा रही है। पैसे देकर महिलाओं का लूटा गया सम्मान वापस नहीं किया जा सकता। वास्तविकता यह है कि संदेशखाली की घटना सामने आने के बाद वहाँ की महिलाओं को लक्ष्मी भंडार, विधवा व वृद्धावस्था भत्ता देना बंद कर दिया गया है।