अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन समारोह से कुछ ही घंटों पहले, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए धमकी भरा सन्देश जारी किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक ट्वीट में लिखा है कि दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि कोई भी परिस्थिति हमेशा नहीं रहती।
इस ट्वीट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिखा है –
“बाबरी मस्जिद थी, और हमेशा एक मस्जिद रहेगी। हागिया सोफिया हमारे लिए एक बेहतरीन उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण वाले फैसले से भूमि का पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है। दुखी होने की जरूरत नहीं है। परिस्थति हमेशा के लिए नहीं रहती है।”
#BabriMasjid was and will always be a Masjid. #HagiaSophia is a great example for us. Usurpation of the land by an unjust, oppressive, shameful and majority appeasing judgment can’t change it’s status. No need to be heartbroken. Situations don’t last forever.#ItsPolitics pic.twitter.com/nTOig7Mjx6
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) August 4, 2020
आज, 05 अगस्त 2020 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भूमिपूजन को लेकर देशवासियों में उत्साह का माहौल है। ऐसे में AIMPLB का यह धमकी भरा सन्देश स्पष्ट करता है कि उच्चतम न्यायलय के फैसले के बावजूद भी श्रीराम मंदिर निर्माण के फैसले को लेकर सेक्युलर समाज पूरी तरह से खुश नहीं है।
चर्च और संग्रहालय के बाद दोबारा मस्जिद में तब्दील हुई है हागिया सोफिया
हागिया सोफिया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है। हागिया सोफिया तुर्की में एक ऐतिहासिक संरचना है, जो कई वर्षों से एक संग्रहालय था। ग्रीक ऑर्थोडॉक्स कैथेड्रल के रूप में 1500 से अधिक साल पहले निर्मित यह गुंबदाकार संरचना एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के साथ-साथ एक ऐतिहासिक स्थल रहा है।
1953 में संग्रहालय बनने से पहले 1453 में ओटोमन विजय के बाद इसे एक मस्जिद में बदल दिया गया था। यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। गत जुलाई माह की शुरुआत में ही, तुर्की की एक अदालत ने हागिया सोफिया के संग्रहालय की चली आ रही स्थिति को रद्द करते हुए कट्टरपंथी मुस्लिमों को खुश करने के लिए इसे वापस एक मस्जिद में बदल दिया। इस मस्जिद में अब नमाज शुरू हो गई है।
AIMPLB के ट्वीट में एक प्रेस बयान भी शामिल है। AIMPLB उन वादियों में शामिल था, जिन्होंने पिछले साल नवंबर में अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिए पाँच एकड़ जमीन आवंटित करने का भी निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 नवंबर को केंद्र सरकार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए स्थल सौंपने का निर्देश दिया था। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 5 फरवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के गठन की घोषणा की गई थी और श्रीराम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट को अनिवार्य किया गया है।
हालाँकि, कोर्ट के फैसले के खिलाफ AIMPLB ने कहा कि वह वैकल्पिक पाँच एकड़ जमीन को स्वीकार नहीं करेगा। एक अन्य मुस्लिम निकाय, जमीयत उलमा-ए-हिंद (JUH) ने कहा था कि वो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विरोध करते हैं।