बिहार की एनडीए सरकार ने 4 आयोगों को भंग करने का फैसला लिया है। इनमें महादलित आयोग, अति पिछड़ा आयोग, राज्य अनुसूचित जाति आयोग और राज्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग शामिल हैं। सरकार का कहना है कि इन आयोगों का पुनर्गठन किया जाएगा। नए आयोगों में नए चेहरे होंगे और वे अधिक प्रभावी होंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बारे में बिहार सरकार के समान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। 2 फरवरी 2024 को जारी हुई अधिसूचना के मुताबिक, बिहार में अति पिछड़े वर्गों के लिए बने आयोग के अध्यक्ष डॉ नवीन कुमार आर्य के साथ ही इस आयोग के 4 अन्य सदस्य भी हटा दिए गए हैं।
इसी तरह महादलित आयोग के अध्यक्ष संतोष कुमार निराला और उसके चारों सदस्यों को भी पदमुक्त कर दिया गया है। बिहार राज्य के अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष शंभू कुमार सुमन और उसके तीन सदस्यों के साथ ही अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार और आयोग के 4 अन्य सदस्यों की भी छुट्टी कर दी गई है। ये अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव मोहम्मद सोहैल ने जारी की। सरकार ने बताया है कि लोकहित और प्रशासनिक दृष्टिकोण को सुधारने के लिए सभी को पदमुक्त किया जाता है। जल्द ही इस आयोगों का पुनर्गठन किया जाएगा।
अतिपिछड़े वर्ग के लिए बनाए गए राज्य आयोग के लिए नियुक्तियाँ 2022 में की गई थी, तो अन्य तीनों आयोगों में नियुक्तियाँ 25 जुलाई, 2023 को की गई थी। यह फैसला राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के बाद लिया गया है। बीजेपी के एनडीए में शामिल होने के बाद राज्य की राजनीतिक परिस्थितियाँ बदल गई हैं। सरकार नए सिरे से गठन के बाद इन आयोगों में नए चेहरे लाना चाहती है।
प्रभारी मंत्रियों के साथ ही 20 सूत्री समितियाँ भी भंग
नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार के सभी जिलों में तैनात प्रभारी मंत्रियों को भी हटा दिया था। चूँकि, मंत्री आरजेडी के भी थे। ऐसे में सरकार की व्यवस्था को मजबूत करने के संदर्भ में हटा दिया गया। जो मंत्री काफी समय से एक जिले की कमान सँभाल रहा था, उसे दूसरे जिले की कमान सौंपने की कोशिश की जा रही है। यही नहीं, नीतीश कुमार ने राज्य में 20 सूत्री समितियाँ को भी भंग कर दिया था।