बिहार कॉन्ग्रेस की मुसीबतों का अंत होता नहीं दिख रहा है। एक तरफ विपक्षी गठबंधन के बहुमत से चूक जाने का ठीकरा उस पर फोड़ा जा रहा है, दूसरी तरफ पार्टी के टूटने के कयासों ने भी जोर पकड़ लिया है। इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
बिहार कॉन्ग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक में जम कर हंगामा हुआ। कॉन्ग्रेस कार्यालय में हुई बैठक के दौरान दो विधायकों के समर्थक आपस में भिड़ गए। विवाद की शुरुआत विक्रम से विधायक चुने गए सिद्धार्थ शर्मा को विधायक दल का नेता बनाने की माँग से हुई। इस मसले पर शर्मा और पार्टी के एक अन्य विधायक विजय शंकर दूबे के समर्थकों में हाथापाई हो गई।
विधायक दल की यह बैठक बिहार की राजधानी पटना स्थित कॉन्ग्रेस के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में हुई। बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पाण्डेय भी मौजूद थे। इसके बावजूद कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को अपशब्द कहे और मारपीट की। विवाद तब और बढ़ गया जब विधायक सिद्धार्थ शर्मा के समर्थकों ने महाराजगंज से विधायक विजय शंकर दूबे को चोर कह दिया। इसके बाद दूसरे पक्ष के कार्यकर्ता भड़क गए और बैठक के बीच में ही गाली-गलौच और हाथापाई शुरू हो गई।
#WATCH | Bihar: A ruckus erupted at Congress office in Patna during Congress Legislative Party meeting (CLP) today; Chhattisgarh CM & party leader Bhupesh Baghel was also present. pic.twitter.com/B2DQBHkezC
— ANI (@ANI) November 13, 2020
हंगामा करने वाले कार्यकर्ताओं में कुछ का यह भी कहना था कि विधायक विजय शंकर दूबे ने कॉन्ग्रेस पार्टी की ज़मीन बेच दी थी इसलिए ऐसे नेता को विधायक दल का नेता नहीं बनाया जाना चाहिए। दूसरी तरफ इन आरोपों के जवाब में विधायक विजय शंकर दूबे ने कहा कि ऐसे किसी की ज़मीन बेचना संभव नहीं है। न्यायालय ने राजेन्द्र स्मारक समिति के पक्ष में आदेश सुनाया था, कॉन्ग्रेस पार्टी ने यह मुकदमा लगभग 10 से 15 साल तक लड़ा था। अंत में जो भी हुआ वह न्यायालय के आदेशानुसार हुआ, इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
कॉन्ग्रेस ने महागठबंधन के अंतर्गत कुल 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से पार्टी ने सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके पहले साल 2015 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने 27 सीटें ही जीती थीं।
नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक से मनोहर प्रसाद और अबिदुर रहमान गैरहाजिर थे। इस संबंध में पूछे जाने पर बिहार कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने बताया कि बैठक के दौरान हुई हाथपाई को लेकर उन्हें जानकारी नहीं। प्रसाद और रहमान की गैरहाजिरी को लेकर कयासों को उन्होंने खारिज कर दिया। झा ने कहा कि रहमान की तबीयत ठीक नहीं है और प्रसाद ने एक दिन पहले ही उनसे मुलाकात की थी।
I am not aware of ruckus, I will take cognizance of the matter. There is no big deal in two MLAs not attending the CLP meeting today, Abidur Rahman is unwell & Manohar Prasad did meet us yesterday, today he didn't come: Madan Mohan Jha, Bihar Congress President https://t.co/92OSj55hlw pic.twitter.com/96a8ZAOb2Q
— ANI (@ANI) November 13, 2020
कॉन्ग्रेस में टूट की खबरों को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के ऑफर से जोर मिला है। मांझी ने कॉन्ग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों को एनडीए में आने का ऑफर दिया था। गौरतलब है कि 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए थे उसके बाद भी बिहार कॉन्ग्रेस में टूट देखने को मिली थी। उस समय कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी ने भी पाला बदल लिया था।