तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे व द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को सनातन पर की गई टिप्पणी के लिए बिहार के आरा जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अदालत ने तलब किया है। आरा कोर्ट ने कहा है कि उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों से धार्मिक भावनाएँ आहत हुई हैं। उन्हें 1 अप्रैल को अदालत में पेश होना होगा। कोर्ट ने इस मामले में आईपीसी की धारा 298 के तहत संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की है।
बता दें कि पिछले साल सितंबर में ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ में बोलते हुए डीएमके मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था, “कुछ चीजें हैं जिन्हें हमें खत्म करना होगा और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना, ये सब ऐसी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें खत्म करना है। सनातनम् भी ऐसा ही है। इसका विरोध करने की बजाय इसे खत्म करना होगा क्योंकि यह लोगों को जातियों में बाँटता है।”
स्टालिन के इस बयान से आहत अधिवक्ता धरनीधर पांडेय ने परिवाद दायर किया था। इस मामले में आईपीसी की धारा 120 (बी), 153 (ए), 153 (बी), 295 (ए) और 298 के तहत शिकायत दर्ज हुई थी। शिकायतकर्ता ने ही मामले की जानकारी देते हुए कहा- “मैं सनातन धर्म का अनुयायी हूँ और उदय निधि स्टालिन के द्वारा दिए गए घृणास्पद भाषण से मैं व्यथित हूँ। उदय निधि स्टालिन का भाषण समाज में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। उनका यह भाषण हिंदू धर्म के अनुयायियों का अपमान किया है।”
शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उदयनिधि के भाषण ने न केवल हिंदू धर्म को मानने वालों का अपमान किया बल्कि धार्मिक समूहों के बीच भेदभाव को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने भाषण में भड़काऊ भाषा का प्रयोग किया ताकि समुदायों में शत्रुता बढ़ाई जा सके और वर्गों के बीच कलपैदा हो सके, ताकि वह राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बने।
इसके बाद इस मामले में सिविल जज मनोरंजन झा की अध्यक्षता में सीजेएम अदालत ने मामले का संज्ञान लिया और कहा कि उदयनिधि को जमानत लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के माध्यम से उसके समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है। केस की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी।