Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीतिबाहुबल+धनबल से बनेगी तेजस्वी सरकार? अनंत सिंह, रीतलाल यादव सहित कई को मोर्चे पर...

बाहुबल+धनबल से बनेगी तेजस्वी सरकार? अनंत सिंह, रीतलाल यादव सहित कई को मोर्चे पर लगाया

तेजस्वी ने सरकार बनाने के लिए पर्दे के पीछे से जिन अनंत सिंह और रीतलाल यादव को जिम्मेदारी दी है, वे कौन हैं? अनंत सिंह को तो खुद तेजस्वी कभी असामजिक तत्‍व बता चुके हैं, जबकि रीतलाल पर अन्य अपराधों के साथ बीजेपी नेता की हत्या तक का आरोप है।

10 नवंबर 2020 को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत थी और एनडीए को 125 सीटें मिली। राजद, कॉन्ग्रेस और वामदलों के विपक्षी गठबंधन को 110 सीटें ही मिली। जनादेश के अनुरुप नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनाने भी जा रही है।

लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार तेजस्वी यादव की अगुवाई में राजद बाहुबल और धनबल के दम पर जनादेश को अगवा कर सरकार बनाने की जोड़ तोड़ में जुटी है। यह सब तब हो रहा है जब लिबरल गैंग तेजस्वी यादव को ‘जंगलराज का युवराज’ कहे जाने पर आपत्ति जाहिर कर रहा है। लालू-राबड़ी के जंगलराज को आँकड़ों की बाजीगरी से छिपाने की कोशिश कर रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब राजद साम-दाम-दंड-भेद सभी अपनाकर किसी तरह सत्ता हथियाना चाहती है। इसके लिए पार्टी को बाहुबलियों से हाथ मिलाने में भी कोई गुरेज नहीं है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जेल में बंद बाहुबली अनंत सिंह और अपराध जगत से राजनीति में आकर पहली बार दानापुर से MLA बने रीतलाल यादव को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। तेजस्वी ने “महागठबंधन सरकार” के जुगाड़ के लिए जो टास्क फोर्स बनाई है, उसमें मनी और पॉलिटिक्स के हिसाब से भी काम दिया गया है। तीनों तरह के लोग इस मुहिम में जुट गए हैं। इसके अलावा बाहुबली सुनील सिंह को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस तरह की जोड़-तोड़ की राजनीति करके राजद एक बार फिर से अपनी पुरानी छवि को जिंदा करना चाह रही है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर राजद ने अनंत सिंह और रीतलाल यादव को जिम्मेदारी क्यों सौंपी है? क्या वे रणनीतिकार हैं। जिस अनंत सिंह को कल तक तेजस्वी यादव असामजिक तत्‍व कह कर नकार रहे थे, आज वही अनंत सिंह राष्‍ट्रीय जनता दल का ‘दुलारा’ बन गया है। 

वहीं अगर रीतलाल यादव की बात करें तो उन पर बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का संगीन आरोप है। इसके अलावा रीतलाल यादव के दूसरे अपराधों की फेहरिस्त काफी लंबी है जिस वजह से वो कई सालों से जेल में ही बंद हैं। तो क्या ऐसे ‘नेता’ अब बिहार की सत्ता की बागडोर सँभालेंगे?

राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने रविवार (नवंबर 15, 2020) की सुबह ट्वीट कर लोगों के मन में संशय पैदा कर दिया।

मनोज झा ने रविवार की सुबह अपने ट्वीट में लिखा, “जनता जनार्दन के ‘फैसले’ व प्रशासन की ओर से जारी ‘नतीजों’ के बीच फासला को समझने के लिए ज़रूरी है कि ‘जनादेश प्रबंधन’ की इस अद्भुत कला को समझा जाए। ये कला सबके लिए उपलब्ध नहीं है। इसलिए बिहार के युवा, संविदा कर्मी, नियोजित शिक्षक स्तब्ध हैं। बिहार अभी ‘खुला’ हुआ है।” ट्वीट की इस आखिरी पंक्ति का मतलब समझने की कोशिश में लोग लगे रहे। एक यूजर ने उनसे पूछा कि क्‍या वे सरकार बनाने की कोशिश जारी रखेंगे तो उन्‍होंने कहा, “बिहार जल्‍द ही अपना स्‍वत: स्‍फूर्त प्‍लान लाएगा।”

इसके अलावा मनोज झा ने कहा कि आखिर 40 सीट पाने वाला कोई व्यक्ति कैसे मुख्यमंत्री बन सकता है? बिहार विधानसभा चुनाव का जनादेश उनके खिलाफ है, उन्हें बुरी तरह परास्त किया गया है और उन्हें खुद इस बारे में सोचना चाहिए था, लेकिन बिहार अपना विकल्प खुद खोज लेगा, जो अचानक होगा। झा ने दावा किया कि यह हफ्ते, दस दिन या एक महीने के भीतर होगा।

मनोज झा के बयान से स्पष्ट है कि राजद सत्ता में आने के लिए पर्दे के पीछे से पूरी जुगत लगाने में जुटा है। मगर क्या बिहार की जनता ऐसा चाहती है? बिल्कुल नहीं और उन्होंने यह बात अपने मताधिकार के प्रयोग से साफ कर दिया। बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव को अपना नेता नहीं माना, उन्होंने नीतीश को ही एक बार फिर से राज्य की बागडोर सँभालने के लिए बहुमत दिया। इसके पीछे कारण है। लोगों के मन में आज भी जंगलराज का खौफ कायम है। 

लोगों में वर्तमान सत्ता के प्रति यदि आक्रोश और असंतोष था तो जनता ने समूचे एनडीए को क्यों नहीं हराया? क्यों और कैसे भाजपा जदयू से ज्यादा सीटें जीती? तेजस्वी की अगुवाई में विपक्ष का महागठबंधन क्यों इस आक्रोश और असंतोष को भुनाने में असफल रहा? वो इसलिए क्योंकि जनता आज भी जंगलराज के दौर को भूली नहीं है। अब पर्दे के पीछे सरकार बनाने की यह रणनीति बताती है कि चुनाव के दौरान जंगलराज लौटने का जो डर लोग जता रहे थे वह बेजा नहीं था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -