भारत में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का विरोध करने वाले ब्रिटिश संसद के नेता से मिलने गए कॉन्ग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल की जमकर आलोचना हो रही है। ब्रिटेन के इस नेता का नाम जेरेमी कोर्बिन है, जिनकी राजनीति लेबर पार्टी से चलती है। हाल ही में कॉन्ग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद कोर्बिन ने कश्मीर में मानवाधिकार का मुद्दा उठाया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कश्मीर क्षेत्र में तनाव कम करने की हर कोशिश को अपनाया जाना चाहिए।
मामला तब सुर्ख़ियों में आया जब ब्रिटिश नेता ने ट्विटर पर अपने एकाउंट से कॉन्ग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट कर उन्हें मानवाधिकार मुद्दों पर दोनों पक्षों की चर्चा की जानकारी दी। कोर्बिन द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर में कमल धालीवाल को साफ़ देखा जा सकता है, जो यूनाइटेड किंगडम में ओवरसीज़ कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष हैं।
A very productive meeting with UK representatives from the Indian Congress Party where we discussed the human rights situation in Kashmir.
— Jeremy Corbyn (@jeremycorbyn) October 9, 2019
There must be a de-escalation and an end to the cycle of violence and fear which has plagued the region for so long. pic.twitter.com/wn8DXLohJT
यह मामला चर्चा का विषय तब बन गया जब भाजपा ने इसको लेकर कॉन्ग्रेस पर निशाना साधा। दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने कश्मीर पर दिए कोर्बिन के इस बयान को आड़े-हाथों लेते हुए घटना के बारे में ट्वीट कर कहा, “घटिया”। इसके आगे बीजेपी ने लिखा, “देश की जनता कॉन्ग्रेस पार्टी से सफाई चाहती है कि उनके नेताओं ने विदेशी नेताओं से क्या बात की है? देश की जनता कॉन्ग्रेस पार्टी को उनकी इस धोखेबाजी के लिए करारा जवाब देगी।”
Appalling! @INCIndia owes it to the people of India to explain what its leaders are telling foreign leaders about India.
— BJP (@BJP4India) October 10, 2019
India will give a befitting reply to Congress for these shameful shenanigans! https://t.co/Sb0MThF17A
वैसे कश्मीर और अनुच्छेद 370 के हटने पर कॉन्ग्रेस की राजनीति कोई पहला मामला नहीं है, जिस कारण से पार्टी देशहित के खिलाफ जाने की अपनी आदत के चलते निशाने पर आई हो। साल 2017 में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था, जब भारत-चीन सीमा पर डोकलाम विवाद हुआ था। इसके बाद सीमा पर तनाव के चलते दोनों देशों के संबंधों के बीच मतभेद गहरा गए थे मगर ऐसे माहौल में अचम्भा तब हुआ था, जब राहुल गाँधी के एक चीनी राजदूत से मिलने की खबर सामने आई थी।