उत्तर 24 परगना जिले की बशीरहाट लोकसभा सीट। साल 2009 से टीएमसी के गढ़ रहे इस लोकसभा सीट के अंदर ही आता है संदेशखाली का वो इलाका, जो पिछले कुछ समय से टीएमसी नेता और ममता बनर्जी के करीबी शेख शाहजहाँ की कारस्तानियों की वजह से चर्चा में है। जमीनों पर अवैध कब्जे, महिलाओं के शोषण समेत तमाम घृणित अपराधों के लिए शेख शाहजहाँ और ममता बनर्जी पर उंगलियाँ उठ रही हैं। इस लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने रेखा पात्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है। रेखा पात्रा शेख शाहजहाँ और उसके गुर्गों द्वारा बरती गई अमानवीयता के खिलाफ प्रतिरोध का चेहरा बनकर उभरी हैं। शेख शाहजहाँ के खिलाफ प्रदर्शन के लिए बीजेपी की महिला नेताओं के जत्थों को पश्चिम बंगाल पुलिस ने संदेशखाली पहुँचने से जब रोक लिया, जब अपनी नन्हीं सी बच्ची को गेद में उठाए रेखा पात्रा ने विरोध प्रदर्शनों की कमान संभाली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पश्चिम बंगाल पहुँचे, तो उन्होंने संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाली पीड़ित महिलाओं में रेखा पात्रा भी थी। अब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। रेखा पात्रा उन पीड़ित महिलाओं में से हैं, जो टीएमसी और शेख शाहजहाँ के खिलाफ प्रतिरोध की मजबूत आवाज साबित हो रही हैं। अगर वो बशीरहाट लोकसभा सीट से चुनाव जीत जाती हैं, तो शेख शाहजहाँ के अपराधों को संसद के माध्यम से देश की सबसे बड़ी पंचायत में सामने रखेंगी। ये ममता बनर्जी के खिलाफ पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश में जनमत बनाने और अपराधों के खिलाफ मजलूमों के खड़े होने का बड़ा उदाहरण बन सकता है। रेखा पात्रा का लोकसभा चुनाव जीतना पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी की विदाई का कारण बन सकता है।
बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, “बीजेपी की बशीरहाट उम्मीदवार रेखा पात्रा अपने बच्चे को गोद में लेकर संदेशखाली आंदोलन में प्रदर्शन करती हुई। वह धैर्य और दृढ़ संकल्प का चेहरा हैं। वोट के लिए हिंदू महिलाओं को भेड़ियों के सामने फेंकने की ममता बनर्जी की घिनौनी राजनीति के खिलाफ वो मैदान में डटी हैं।”
BJP’s Basirhat candidate Rekha Patra, participating in the #Sandeshkhali aandolan, with her child in arms. She is the face of grit and determination. Standing against Mamata Banerjee’s vile politics, of throwing Hindu women to the wolves, for votes.pic.twitter.com/5ZQyvSB7ln
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) March 27, 2024
वामपंथियों के लिए जैसे सिंगूर बना विदाई की वजह, क्या संदेशखाली मिटाएगा टीएमसी का वजूद?
पश्चिम बंगाल को वामपंथी राजनीतिक का अभेद्य किला माना जाता था। पूरे देश में वामपंथी पार्टियों को लग रहे झटकों के बावजूद ये पार्टियाँ पश्चिम बंगाल को बेस बनाकर बाकी जगहों पर भी राजनीति चलाती रहती थी। इसका असर पश्चिम बंगाल से सटे त्रिपुरा, ओडिशा, झारखंड, बिहार तक होता था। लेकिन नंदीग्राम से शुरू हुए नक्सलवाड़ी केंद्रित हिंसा और फिर वामपंथ के चंगुल में फंसे पश्चिम बंगाल के किले को सिंगूर में ममता बनर्जी ने जिस तरीके से ध्वस्त किया, कुछ उसी रास्ते पर बढ़ता दिख रहा है संदेशखाली। संदेशखाली में हुई ज्यादतियों की वजह से ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं। यहाँ की सांसद नुसरत जहाँ ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। नुसरत ने संदेशखाली के पूरे विवाद पर चुप्पी साधे रखी। वो रील बनाने में व्यस्त रहीं। मीडिया ने सवाल पूछा, तो उन्होंने धारा 174 का बहाना बनाकर पलड़ा झाड़ लिया। इसके बाद जब उन्होंने देखा कि अब संदेशखाली में टीएमसी के खिलाफ माहौल खराब हो चुका है, तो उन्होंने लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया।
नुसरत जहाँ का चुनाव लड़ने से इनकार करना ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका था। भले ही उन्होंने टीएमसी की लीडरशिप और स्थानीय काडर पर अपना समर्थन न देने का आरोप लगाया हो, लेकिन सच ये है कि संदेशखाली से जो संदेश पूरे देश में गया, उससे नुसरत को अपने भविष्य का अंदाजा हो चला था। इसीलिए उन्होंने छीछालेदर न कराते हुए अपनी राह अलग कर ली। इसके बाद ममता बनर्जी की टीएमसी ने हाजी नुरुल इस्लाम को अपना उम्मीदवार बनाया है। नुरुल इस्लाम पर भी हिंदू विरोधी हिंसा के आरोप हैं। वो साल 2009 में टीएमसी के टिकट पर पहली बार इस लोकसभा सीट से सांसद भी बना था। टीएमसी का स्थानीय कद्दावर नेता होने की वजह से ममता बनर्जी ने उसे उम्मीदवार बनाया है, लेकिन कहा जाता है कि शेख शाहजहाँ को आगे बढ़ाने में नुरुल इस्लाम का भी हाथ रहा।
बीजेपी की महिला शक्ति उखाड़ फेंकेगी टीएमसी को?
ममता बनर्जी खुद को नारी शक्ति का प्रतीक बताती हैं, लेकिन दुर्गापूजा के समय वही तमाम अड़चनें भी डालती हैं। मुस्लिमों के तुष्टिकरण को लेकर उनके कदम हमेशा राष्ट्रीय राजनीति में संदिग्ध नजरों से देखे जाते हैं। उस पर भी वो बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर नरम रवैया अपनाती हैं। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वो पश्चिम बंगाल में एनआरसी-सीएए लागू नहीं होने देंगी। यही नहीं, उन्होंने जिन कथित बाहरी लोगों के आधार कार्ड डिएक्टीवेट किए गए हैं, उन्हें नया आधार और पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पहचान पत्र देने की भी घोषणा की है, लेकिन क्या शेख शाहजहाँ की अगुवाई में टीएमसी ने संदेशखाली में जो कुछ किया है, उससे वो पार पा सकेंगी?
बीजेपी का रेखा पात्रा को टिकट देना न सिर्फ ममता बनर्जी के लिए सीधी चुनौती है, बल्कि हिंदुओं पर पश्चिम बंगाल में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भी बीजेपी की लड़ाई का एक प्रतीक है। बशीरहाट लोकसभा सीट बांग्लादेश की सीमा से लगी है। यहाँ करीब आधे मतदाता मुस्लिम हैं। लेकिन बीजेपी को उम्मीद है कि शेख शाहजहाँ के अत्याचारों से पीड़ित महिला शक्ति एकजुट होगी और रेखा पात्रा न सिर्फ रेखा पात्रा बल्कि पूरे राज्य में ममता बनर्जी के खिलाफ वोट से चोट करेगी।
रेखा पात्रा ने संदेशखाली में जिस दृढ़ता के साथ शेख शाहजहाँ और उसके गुर्गों के खिलाफ सड़कों पर उतरी, उसे पूरी दुनिया ने देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखा पात्रा को शक्ति स्वरूपा बताया है। उन्हें बीजेपी की तरफ से बशीरहाट लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फिर से बातचीत की और उनका हौसला बढ़ाया। आगे पीएम मोदी ने रेखा पात्रा से कहा, “संदेशखाली में आपने इतनी बड़ी लड़ाई लड़ी है। आप एक प्रकार से शक्ति स्वरूपा हैं। आपने इतने ताकतवर लोगों को जेल भेज दिया। आपको अंदाजा है कि आपने कितने बड़े साहस का काम किया है?”
इस पर रेखा ने कहा कि उन्हें संदेशखाली की महिलाओं का साथ था इसलिए वो ये सब कर पाईं। उन्होंने पीएम को पिता-भाई के रूप में बताया और उम्मीद की कि टीएमसी के खिलाफ लड़ाई में पीएम उनका साथ देंगे। इस पर पीएम ने उनकी हिम्मत बढ़ाई और कहा कि ये लड़ाई बंगाल के सम्मान की है। उन्होंने रेखा पात्रा को आश्वासन दिया कि वो हर तरह से साथ रहेंगे। व्यक्तिगत रूप से भी उनकी चिंता करेंगे। उन्होंने रेखा पात्रा का उत्साह देखते हुए कहा, “बंगाल शक्ति पूजा, दुर्गा पूजा की भूमि है। आप उसी शक्ति का पर्याय हैं। आपका काम बहुत बड़ा है। संदेशखाली की महिलाओं की आवाज को दुनिया के सामने उठाना वो कोई सामान्य बात नहीं है। आपका उत्साह देखकर लग रहा है कि इस बार बंगाल में नारी शक्ति हमें जरूर आशीर्वाद देगी।”