देश में कश्मीर को लेकर बहस नई नहीं है, पहले भी इस बहस को लेकर काफी गरमा-गर्मी हो चुकी है, वही कॉन्ग्रेस पार्टी जिसने संसद में सत्तारूढ़ भाजपा और उसका साथ देने वाले दलों पर अनुच्छेद 370 हटाए जाने के सम्बन्ध में इस विषय पर विस्तृत चर्चा या बातचीत नहीं की, उसने एक समय खुद इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि कैसे कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए संसद में अन्य दलों को अनसुना कर इसके लिए कानून पारित कर दिया था। शनिवार को जम्मू क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कॉन्ग्रेस पार्टी पर संविधान में अलोकतांत्रिक तरीके से अनुच्छेद 370 जोड़ने का आरोप लगाया।
शनिवार को जम्मू क्लब में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी न्यास की ओर से विलय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राम माधव ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अलोकतांत्रिक तरीके से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करवाया था। मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक तरीके से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने का साहस दिखाया।
राम माधव बोले कि तत्कालीन कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी के लोगों ने भी पंडित नेहरू के फैसले का विरोध किया था। मगर सरदार पटेल पर नेहरू ने दबाव बनाया और दूसरी बार कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई। अनुच्छेद 370 का प्रस्ताव पास करवाया गया। माधव बोले, नेहरू ने शेख अब्दुल्ला से मित्रता के चलते अलोकतांत्रिक तरीके से अनुच्छेद 370 को लागू करवाया था। इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोग सात दशक तक दोहरी नागरिकता में रहे।
राम माधव ने कहा, मोदी सरकार ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेम नाथ डोगरा के सपनों को साकार किया है। महाराजा हरि सिंह की कल्पना में 370 और 35 ए कतई नहीं थे। महाराजा ने देश की अन्य 560 रियासतों की तर्ज और शर्तों पर ही देश के साथ विलय किया था।
अपने सम्बोधन में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि कश्मीरियत इंसानियत हिन्दोस्तानियत से अलग नहीं है। इस दौरान उन्होंने अपने सम्बोधन में सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि क्या घाटी के लाखों कश्मीरी पंडितों को उनके घर से बाहर निकालना कश्मीरियत है। माधव बोले कि क्या डोगरा समुदाय की उपेक्षा और एससी- एसटी और महिलाओं को उनके अधिकार नहीं देना क्या कश्मीरियत है।