भारतीय जनता पार्टी की ओर से सबरीमाला मुद्दे पर बड़ा बयान आया है। भाजपा नेता और पार्टी के प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने आज (गुरुवार, 14 नवंबर, 2019 को) सुप्रीम कोर्ट में सबरीमाला मंदिर में रजस्वला आयुवर्ग की स्त्रियों के प्रवेश के मुद्दे को बड़ी बेंच में भेजे जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अज़ान का मुद्दा उठा लिया।
#BJP on Thursday created a row when its spokesperson #SudeshVerma raised the issue of “#Azan“, an Islamic prayer early in the morning played through loudspeakers, after #SupremeCourt‘s decision on #Sabarimala. “The Government should respect the sentiments of people,” said Verma. pic.twitter.com/0RqE98pRqG
— IANS Tweets (@ians_india) November 14, 2019
उन्होंने कहा, “बहुत सारे आदेश हैं जो मस्जिदों से सुबह दी जाने वाली अजान की आवाज़ या माइकों में आवाज़ के डेसीबल (आवाज़ की तीव्रता नापने का वैज्ञानिक पैमाना ) स्तर के बारे में भी है।” इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को लोगों की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। उन्होंने यह बात आईएएनएस समाचार एजेंसी से बात करते हुए कही।
#JustIn: #BJP‘s #SudeshVerma creates row, raises ‘azan’ from #mosque after #SC #Sabarimala verdict. pic.twitter.com/344iS58Pez
— IANS Tweets (@ians_india) November 14, 2019
हालाँकि सुदेश वर्मा ने यह स्पष्ट किया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड को प्रोपेगेंडा किए बगैर चैन नहीं पड़ रहा। नेशनल हेराल्ड में इस बयान के बारे में छपी रिपोर्ट में अपनी मर्ज़ी से यह जोड़ कर लिखा गया है कि प्रवेश वर्मा का ऐसा कहने के पीछे तात्पर्य यह है कि चूँकि सुबह की अज़ान और डेसीबल स्तर के बारे में आया फैसला लागू नहीं किया गया, अतः महिलाओं के सबरीमाला में प्रवेश से संबंधित फैसला भी लागू नहीं होना चाहिए।
The ruling #BharatiyaJanataParty (#BJP) on Thursday created a row when its spokesperson Sudesh Verma raised the issue of “#Azan“, an #Islamic prayer early in the morning played through loudspeakers https://t.co/75hMhqQBzb
— National Herald (@NH_India) November 14, 2019
गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट निर्णायक फैसला नहीं सुना पाया। 5 जजों की पीठ में से 3 जज इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेजे जाने के पक्ष में रहे, जबकि 2 जजों ने इससे संबंधित याचिका पर ही सवाल उठा दिए।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अवाला जस्टिस खानविलकर और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने के पक्ष में अपना मत सुनाया। जबकि पीठ में मौजूद जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन ने सबरीमाला समीक्षा याचिका पर असंतोष व्यक्त किया।