भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है और सालों से देश में किसानों की हालत ख़राब रही है। किसानों की आत्महत्या की विचलित करने वाली ख़बरों के बीच हर साल के बजट में यह उम्मीद रहती है कि सरकार किसानों के लिए कुछ घोषणाएँ करेगी। बजट 2019 में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कृषि संबंधी वस्तुओं की गिरती क़ीमतों और खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट को किसानों की आमदनी कम होने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
कार्यवाहक वित्त मंत्री ने कहा कि बारम्बार विभाजन के कारण जोत विखंडित हो गए हैं और इस कारण किसानों की आमदनी में कमी आई है। उनका यह कहना सही था। क्योंकि, गाँवों में वंश और पीढ़ी बढ़ने के साथ ही ज़मीन के बँटवारे होते हैं और किसी परिवार के पास खेती लायक भूमि कम होती जाती है। ऐसे किसान साहूकारों के चंगुल में फँसते हैं और घाटे में जाते हैं। गोयल ने कहा कि उन्हें बीज, उर्वरक, श्रम, उर्वरक और इनपुट के लिए लागत लगती है, जिसमें सरकार मदद करने का कार्य करती है।
Minister of #Agriculture & #Farmers Welfare @RadhamohanBJP: PM Kisan Samman Nidhi Yojana will provide assured income support of Rs 6000 per year to small and marginal farmers pic.twitter.com/EzJbcGX5qw
— Doordarshan News (@DDNewsLive) February 1, 2019
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)
केंद्र सरकार ने छोटे व सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)’ की शुरुआत करने की घोषणा की। इस योजना के तहत 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले छोटी जोत के किसान परिवारों को ₹6,000 प्रति वर्ष की दर से प्रत्यक्ष सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। यह आय सहायता ₹2,000 तीन समान किस्तों में लाभान्वित किसानों के बैंक खातों में सीधे ही हस्तांतरित कर दी जाएगी। इस कार्यक्रम का वित्त पोषण भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। इस कार्यक्रम से लगभग 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवारों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।
इस कार्यक्रम पर सालाना ₹75,000 करोड़ का सरकारी ख़र्च आएगा। इस घोषणा से छोटे किसानों को फ़ायदा मिलेगा। जो भारतीय गाँवों की सामाजिक स्थिति समझते हैं, उन्हें पता है कि कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों के पास अपनी भूमि कम होती जा रही है और कई किसानों के तो उपज के बावज़ूद खाने के लाले पड़े हैं। वो कृषि छोड़ किसी अन्य व्यवसाय में जाने को मज़बूर हैं। ऐसे में, इस कार्यक्रम से उन्हें लाभ मिलेगा।
‘पीएम-किसान’ निर्धन किसानों के लिए वरदान साबित होगा। वैसे ग़रीब किसान जो कटाई, रोपनी और जोत के मौसम में साहूकारों से कर्ज़ लेने को मज़बूर होते हैं, उन्हें प्रत्यक्ष आय के रूप में जो भी राशि मिले, उसका उपयोग कृषि कार्य की तात्कालिक लागत की जरूरत पूरी करने में किया जा सकता है। जो किसान एक-एक रुपए को मोहताज़ होकर आत्महत्या के लिए मज़बूर होते हैं, उन्हें स्वावलम्बी बनाने की दिशा में ये योजना एक क़दम हो सकती है।
पानी पटाने के मौसम में ग़रीब किसान सब्सिडी पर बिजली, तेल और उपकरण तो ले सकता है, लेकिन उसके लिए भी उसे कुछ राशि की ज़रूरत पड़ती है- वैसे में उन्हें जो भी सहायता मिले, उसका विरोध नहीं होना चाहिए। कर्जमाफ़ी से बैंक किसानों को कर्ज़ देना लगभग बंद कर देते हैं। अतः, कर्जमाफ़ी से अच्छा है कि उन्हें कृषि में उपयोग के लिए एक छोटी व निश्चित धनराशि उपलब्ध कराइ जाए, जिसकी मदद से वो कृषि कार्य पूरा कर सकें।
इनके अलावा मृदा स्वास्थ्य कार्ड, उत्तम बीज, सिंचाई योजना और नीम कोटेड यूरिया की कमी दूर करना- सरकार ने ऐसे कई प्रयास किए हैं, जो किसानों के हित में कार्य करते हैं।
पशुपालन (गौपालन) के लिए प्रोत्साहन
पशुपालन एवं मत्स्यपालन- ये दो ऐसे माध्यम हैं जो कर्ज़ में डूबे या भूमि की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए आमदनी का नया ज़रिया बन सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए आवंटन बढ़ाकर ₹750 करोड़ करते हुए राष्ट्रीय कामधेनू आयोग की स्थापना की घोषणा की। इससे गाय संसाधनों का सतत अनुवांशिक उन्नयन करने और गायों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह आयोग गायों के लिए कानूनों और कल्याण योजना को प्रभावी रूप से लागू करने में भी मदद करेगा।
जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव ने गौपालन कर रुपए कमाने की बात कही थी, तब कई लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया था। बिना उस पॉजिटिव पहलू को समझे इसकी आलोचना करने वालों को केंद्र सरकार ने इस बजट के माध्यम से करारा ज़वाब दिया है। गौपालन किसानों की आय का एक बहुआयामी ज़रिया हो सकता है। कार्यवाहक वित्त मंत्री ने गौ संसाधनों के अनुवांशिक उन्नयन को स्थायी रूप से बढ़ाने की बात कही है।
गौ पालन को किसान अब नए सिरे से आमदनी का माध्यम बना सकते हैं। डेयरी कंपनियों के गाँवों-बस्तियों तक पाँव पसारने के बाद अब किसानों को उनके दूध का उचित मूल्य मिलना सुगम हो गया है। सालों पहले उन्हें अपने गायों के दूध को बेचने का माध्यम नज़र नहीं आता था। अब जब सड़कों के जाल से गाँव, बस्ती और शहर एक-दूसरे से जुड़ गए हैं, उनके दूध को सही तरीक़े से बेचने के लिए परेशानी नहीं होगी।
गोयल ने गायों के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की भी बात कही है। कई नस्लों के गायों के आने के बाद, किसानों के लिए गौपालन सुविधाजनक हो गया है। दूध के अलावा गाय के गोबर, मूत्र इत्यादि का भी व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। सरकार ने दूरगामी निर्णय लेते हुए यह घोषणा की है। कृषि के बदलते स्वरूप में किसानों के लिए यह काफ़ी फ़ायदेमंद रहेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भी कहा कि गौपालन का धार्मिक दृष्टिकोण से विरोध करने वाले लोगों को ग्रामीण जीवन का कोई अंदाज़ा ही नहीं है।
मत्स्यपालन- भारत का विश्व में बढ़ता दबदबा
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत 6.3% हिस्सेदारी के साथ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है। यह सेक्टर लगभग डेढ़ करोड़ के रोज़गार का माध्यम है। मत्स्यपालन में अनेक सम्भावनाएँ देखते हुए सरकार ने इसे प्रोत्साहित करने के लिए अलग से एक मत्स्य पालन विभाग बनाने का निर्णय लिया है। इसके दूरगामी परिणाम आएँगे, क्योंकि दुनिया के तमाम विकसित देश भी अब मत्स्यपालन को एक बड़े उद्योग के तौर पर देख रहे हैं। बता दें कि चीन और इण्डोनेशिया ने मछलीपालन के व्यापारिक आयाम को समझ कर रोज़गार सृजन के क्षेत्र में सफल कार्य किया है।
पिछले बजट में पशुपालन एवं मछलीपालन में रत किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा प्रदान की गई थी। यह दिखाता है कि सरकार हर साल इस क्षेत्र में कुछ न कुछ बड़ा क़दम उठा रही है, ताकि कृषकों को आय के अधिक से अधिक स्रोतों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। सरकार ने ऐसे किसानों के लिए 2 प्रतिशत ब्याज छूट का लाभ देने का प्रस्ताव भी किया। इसके अलावा ऋण का समय पर पुनर्भुगतान करने पर उन्हें 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज छूट भी दी जाएगी।
किसानों को KCC से जोड़ने के लिए केंद्रीय मंत्री ने सरलीकृत फॉर्म लाकर व्यापक अभियान चलाने के निर्णय की भी जानकारी दी।
किसानों को अन्य सहायताएँ
प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित सभी किसानों को जहाँ सहायता राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से उपलब्ध कराई जा रही हो, 2% ब्याज छूट का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा और उनके ऋणों की पुनः अनुसूचित पूरी अवधि के लिए 3 प्रतिशत तत्काल पुनः भुगतान प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
इसके अलावा कार्यवाहक वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दुगुनी करने हेतु इतिहास में पहली बार 22 फ़सलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से 50% अधिक रखा है। प्रधानमंत्री अपनी चुनावी रैलियों में भी किसानों की आदमी दुगनी करने की बात कहते रहे हैं। कॉन्ग्रेस ने किसानों के लिए कर्ज़माफ़ी की घोषणा को कई राज्य चुनावों में मुद्दा भी बनाया था। ऐसे में, किसानों के लिए बजट में कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सरकार ने बड़ी घोषणा करने के साथ-साथ दूरगामी फ़ायदों पर ज़्यादा ज़ोर दिया है।