कोलकाता हाईकोर्ट ने भाजपा नेता और एक्टर परेश रावल को बड़ी राहत दी। दरअसल, परेश रावल पर गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान बांगलादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को बंगाली कहने का आरोप लगा था। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने परेश रावल के खिलाफ एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया।
सोमवार (6 फरवरी 2023) को कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मैंथा की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए परेश रावल के खिलाफ दर्ज केस खारिज करने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि परेश रावल ने गुजराती में बयान दिया था। उस बयान का कोई भी अंग्रेजी अनुवाद नहीं है। उनके बयान पर ऐसे लोगों ने टिप्पणी की है जो निश्चित तौर पर गुजराती नहीं समझते। यही नहीं, परेश रावल ने अपने बयान पर सफाई देते हुए माँफी भी माँगी है।
दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान वलसाड जिले में एक रैली में रावल ने कहा था, “गैस सिलेंडर महँगे हैं। लेकिन उसकी कीमतें कम हो जाएँगी। लोग रोजगार भी पा जाएँगें, लेकिन क्या होगा अगर रोहिंग्या और बांग्लादेशी आप के आसपास रहना शुरू कर दें। जैसा कि दिल्ली में हो रहा है? आप गैस सिलेंडर का क्या करेंगे? बंगालियों के लिए मछली पकाएँगे?”
इस बयान के बाद सोशल मीडिया में परेश रावल की काफी आलोचना हो रही थी। इसके बाद उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए माफी माँग ली थी। उन्होंने कहा था, “निश्चित तौर पर मछली कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि गुजराती मछली पकाते और खाते हैं। मैं स्पष्ट कर दूँ कि बंगाली से मेरा मतलब अवैध बांग्लादेशी रोहिंग्याओं से है। लेकिन, फिर भी अगर मैंने आपकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई है तो मैं माफी माँगता हूँ।”
परेश रावल इस बयान के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता मोहम्मद सलीम ने उनके खिलाफ कोलकाता के तलतला थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। सीपीएम नेता ने एफआईआर में कहा था कि परेश रावल के बंगाली विरोधी बयानों से देश के अन्य राज्यों के लोगों में बंगाली विरोधी भावना विकसित हो सकती है।
CPI (M) नेता की शिकायत के बाद परेश रावल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 (दंगे की मंशा से उकसाना), धारा 153 A (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना ), धारा 153 B (भाषाई या नस्लीय समूहों के अधिकारों का खंडन करना) और धारा 504 (शांति भंग करने की मंशा से जानबूझकर अपमान करना ) समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज हुआ था।
इसके बाद कोलकाता पुलिस ने परेश रावल को समन भेजकर पेश होने के लिए कहा था। लेकिन वह पुलिस के सामने पेश नहीं हुए। साथ ही उन्होंने इस समन और दर्ज एफआईआर के खिलाफ कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।