पी चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए CBI को सरकार से अनुमति मिल गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूर्व वित्त मंत्री के ख़िलाफ़ जल्द ही चार्जशीट दायर की जाएगी। कुछ दिन पहले कानून मंत्रालय ने भी इस मामले में मुक़दमा चलाने की मंजूरी दी थी।
बता दें कि सीबीआई ने 21 जनवरी को इस संबंध में एक अनुरोध पत्र भेजा था। बीते 8 फरवरी को आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से लंबी पूछताछ की थी। चिदंबरम पर आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंजूरी दी गई और इसके बदले करोड़ों रुपये की घूस ली गई।
दरअसल यह पूरा मामला 2007 का है, जब पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे। आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता के जरिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से विदेशी निवेश की मंजूरी दिलाई थी। ज्ञात हो कि आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश हासिल हुआ था।
मामला कुछ यूँ है कि कार्ति चिदंबरम ने ही आईएनएक्स मीडिया की प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी को पी चिदंबरम से मिलवाया था। इसके बदले कार्ति चिदंबरम ने घूस के तौर पर करोड़ो रुपए लिए थे। जबकि ऐसे मामलों में स्पष्ट निर्देश है कि विदेशी निवेश के लिए कैबिनेट की आर्थिक मामलों की सलाहकार समिति की इजाज़त लेना जरूरी है।
बता दें कि इस मामले में पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री (साल 2007) रहते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी। उन्हें 600 करोड़ रुपए तक के निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपए निवेश का था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अलग आरोप पत्र में कहा है कि कार्ति चिदंबरम के पास से मिले उपकरणों में से कई ई-मेल मिली हैं, जिनमें इस सौदे का जिक्र है।
इसी मामले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन भी आरोपित हैं। सीबीआई ने 2017 में मुक़दमा दर्ज किया था और कार्ति चिदम्बरम की गिरफ़्तारी भी हुई थी। हालाँकि बाद में कीर्ति चिदंबरम को ज़मानत मिल गई थी। फिर ईडी ने मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज कर जाँच शुरू की और कार्ति चिदम्बरम की करीब 54 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर ली।
इतना ही नहीं इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी और कार्ति के सीए भी सह आरोपी हैं। इंद्राणी मुखर्जी कोर्ट के सामने सरकारी गवाह बनने की इच्छा भी ज़ाहिर कर चुकी हैं।