कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रोहतक स्थित आवास पर सीबीआई द्वारा छापेमारी की गई। सीबीआई ने यह छापेमारी 2005 में असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को गलत तरीके से ज़मीन आवंटित करने के मामले में की है। बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद भी अपने आवास के अंदर मौजूद रहे। सीबीआई की टीमें इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर में एक साथ 20 से अधिक जगहों पर भी छापेमारी कर रही हैं।
क्या है भ्रष्टाचार से जुड़ा पूरा मामला
सीबीआई की ये छापेमारी जहाँ साल 2005 में असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को गलत तरीके से ज़मीन आवंटित करने के मामले में मारी गई, वहीं दूसरी ओर एक रिपोर्ट की मानें तो सीबीआई ने हुड्डा के खिलाफ एक नया मामला भी दर्ज किया है, जो 2009 में गुड़गाँव में भूमि आवंटन में हुई कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
सीबीआई ने हुड्डा के साथ कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट फ़ाइल कर दी है। बता दें कि हाल ही में हरियाणा के राज्यपाल नारायण आर्य ने (एजेएल) मामले में सीबीआई को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी दी थी।
ऐसे किया गया था ज़मीन का फर्जी आवंटन
पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि 30 अगस्त 1982 में एजेएल को ज़मीन आवंटित कर दी थी जिसमें शर्त थी कि कंपनी 6 महीने में ज़मीन पर कंस्ट्रक्शन करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो 30 अक्टूबर 1992 को पंचकूला के संपदा अधिकारी ने ज़मीन रिज्यूम कर ली। साथ ही, 10% राशि में कटौती कर बाकि राशि 10 नवंबर 1995 को लौटा दी गई।
अब एजेएल ने इसका विरोध किया और राजस्व विभाग के पास अपील की, लेकिन यहाँ उसे कोई राहत नहीं मिली। आरोप है की साल 2005 में मुख्यमंत्री हुड्डा ने एजेएल को यह ज़मीन दोबारा से अलॉट करवाने का रास्ता तैयार कर दिया।
बताया जाता है कि तब हुड्डा के तत्कालीन मुख्य प्रशासक ने तर्क दिया था कि पुरानी कीमत पर ज़मीन को आवंटित करना संभव नहीं है। लेकिन बावजूद इसके 28 अगस्त 2005 को पंचकूला की ज़मीन 1982 की दर पर ही एजेएल को अलॉट कर दी गई।