कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, कर्नाटक के कद्दावर कॉन्गेसी नेता डीके शिवकुमार के बाद अब उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत पर कानूनी शिकंजा कसता दिख रहा है। उनके खिलाफ 2016 में सामने आए स्टिंग वीडियो मामले में सीबीआई एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है। वीडियो में रावत सत्ता बचाए रखने के लिए कथित तौर पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करते नजर आ रहे हैं।
जाँच एजेंसी की तरफ से इस संबंध में मंगलवार को हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि इस मामले में प्रारंभिक जाँच पूरी हो चुकी है और अब वो हरीश रावत के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहती है। कोर्ट की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होने वाली है।
Sandeep Tandon, Advocate CBI on sting CD case against former Chief Minister of Uttarakhand Harish Rawat: An application had been moved by the petitioner (CBI). We have told the court that we are going to register the FIR. The court has fixed the matter for 20th September. pic.twitter.com/ZgB4K47fFm
— ANI (@ANI) September 3, 2019
दरअसल, मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद 9 कॉन्ग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी। जिसके बाद एक निजी चैनल ने हरीश रावत का एक स्टिंग जारी किया था। जिसमें रावत सरकार बचाने के लिए कथित तौर पर विधायकों से सौदेबाजी करते दिखे थे। इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल द्वारा केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की सीबीआई जाँच की संस्तुति भेजी गई। इसी बीच केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद-356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
हालाँकि, मामला हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुँचने के बाद कोर्ट के आदेश पर कॉन्ग्रेस सरकार फिर से बहाल हो गई। कॉन्ग्रेस की सरकार वापस आने पर कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जाँच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय किया गया। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया और हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई की प्रारंभिक जाँच जारी रही। तत्कालीन बागी विधायक व वर्तमान में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने भी कैबिनेट के इस निर्णय को हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। इसमें कहा गया था कि जब एक बार राज्यपाल मामले की सीबीआई जाँच की संस्तुति केंद्र को भेज चुके हैं, तो आदेश वापस नहीं लिया जा सकता।