प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (27 नवंबर 2022) को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 95वें एपिसोड के जरिए लोगों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान G-20 शिखर सम्मेलन की चर्चा की। उन्होंने कहा G-20 की अध्यक्षता करना देश के लिए गौरव की बात है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत तेलंगाना के राजन्ना सिर्सिल्ला जिले के एक बुनकर येल्धी हरिप्रसाद गारू की चर्चा के साथ की। उन्होंने कहा, ”येल्धी हरिप्रसाद गारू ने मुझे अपने हाथों से G-20 का लोगो बुन करके भेजा है। ये शानदार उपहार देखकर तो मैं हैरान ही रह गया। हरिप्रसाद जी को अपनी कला में इतनी महारथ हासिल है कि वो सबका ध्यान आकर्षित कर लेते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले ही उन्हें G-20 का लोगों और भारत की अध्यक्षता की वेबसाईट को लॉन्च करने का सौभाग्य मिला था। उन्होंने कहा, ”इस लोगो का चुनाव एक प्रतियोगिता के जरिए हुआ था। जब मुझे हरिप्रसाद गारू द्वारा भेजा गया ये उपहार मिला, तो मेरे मन में एक और विचार उठा। तेलंगाना के किसी जिले में बैठा व्यक्ति भी G-20 जैसी सम्मेलन से खुद को कितना जुड़ाव महसूस कर सकता है, ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा।”
उन्होंने कहा, ”G-20 की विश्व जनसंख्या में दो-तिहाई, वर्ल्ड ट्रेड में तीन-चौथाई, और वर्ल्ड जीडीपी में 85% भागीदारी है। आप कल्पना कर सकते हैं – भारत अब से 3 दिन बाद यानी 1 दिसंबर से इतने बड़े समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है। भारत के लिए, हर भारतवासी के लिए, ये कितना बड़ा अवसर आया है। ये इसलिए भी और विशेष हो जाता है क्योंकि ये जिम्मेदारी भारत को आजादी के अमृतकाल में मिली है।” उन्होंने कहा, “हमने ( G-20 के लिए) ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की जो थीम दी है, उससे वसुधैव कुटुम्बकम के लिए हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है।”
उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों के छात्रों से G-20 से जुड़ने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने भारत के अंतरिक्ष सेक्टर में प्राप्त उपलब्धि पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ”18 नवंबर 2022 को पूरे देश ने स्पेस सेक्टर में एक नया इतिहास बनते देखा। इस दिन भारत ने अपने पहले ऐसे रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजा, जिसे भारत के प्राइवेट सेक्टर ने डिजाइन और तैयार किया था। इस रॉकेट का नाम है – ‘विक्रम–एस’। श्रीहरिकोटा से स्वदेशी स्पेस स्टार्ट अप के इस पहले रॉकेट ने जैसे ही ऐतिहासिक उड़ान भरी, हर भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा हो गया।”
उन्होंने कहा, ”ये भारत में निजी स्पेस सेक्टर के लिए एक नए युग के उदय का प्रतीक है। ये देश में आत्मविश्वास से भरे एक नए युग का आरंभ है। आप कल्पना कर सकते हैं जो बच्चे कभी हाथ से कागज का हवाई जहाज बनाकर उड़ाया करते थे, उन्हें अब भारत में ही हवाई जहाज बनाने का मौका मिल रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि जो बच्चे कभी चाँद-तारों को देखकर आसमान में आकृतियाँ बनाया करते थे, उन्हें अब भारत में ही रॉकेट बनाने का मौका मिल रहा है। युवाओं के ये सपने भी साकार हो रहे हैं। रॉकेट बना रहे ये युवा मानो कह रहे हैं – Sky is not the limit।