दिल्ली के चाँदनी चौक स्थित हनुमान मंदिर को तोड़ने को लेकर केंद्र शासित प्रदेश में काफी विवाद पैदा हो गया है। मंदिर को दिल्ली सरकार के चाँदनी चौक पुनर्विकास योजना के तहत ध्वस्त किया गया। लेकिन यह काम एनडीएमसी के अधीन हो रहा जिस पर भाजपा का नियंत्रण है। अब दिल्ली की AAP सरकार पर बीजेपी मंदिर नहीं बचाने का आरोप लगा रही है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नवंबर 2019 में मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था। HC ने दिल्ली सरकार की ‘धार्मिक समिति’ के पुनर्विकास योजना के तहत हनुमान मंदिर और शिव मंदिर के एकीकरण के सुझाव को खारिज कर दिया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को मंदिरों को हटाने पर ‘यू-टर्न’ के लिए भी फटकार लगाई थी। न्यायालय ने 2015 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, जिसमें चाँदनी चौक पुनर्विकास परियोजना की प्रगति को रोकने वाले मंदिर भी शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह आदेश तब दिया जब न तो दिल्ली सरकार, न शाहजहॉनाबाद पुनर्विकास निगम और न ही एनएमसीडी ने पाँच धार्मिक ढाँचों को योजना में अवरोध बताया था। इसके बाद नवंबर 2020 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने श्री मनोकामना सिद्ध श्री हनुमान सेवा समिति की याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इनकार कर दिया कि हस्तक्षेप करने का अनुरोध AAP सरकार की तरफ से ही आना चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने कहा, “एक बार इस तरह की स्वतंत्रता को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) को दे दिया गया था और अब तक GNCTD ने किसी राहत के लिए इस अदालत से संपर्क नहीं किया है। हम हस्तक्षेप के लिए इस आवेदन पर विचार करने का कोई कारण नहीं देखते हैं। यह एक ही मुद्दे को फिर से शुरू करने का प्रयास है जिसे पहले के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया है।”
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने दिसंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह जल्द ही हनुमान मंदिर को ध्वस्त करना चाहता है। विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए विध्वंस को कई बार स्थगित किया गया था। विध्वंस की तारीख 20 दिसंबर निर्धारित की गई थी, लेकिन तब भी कुछ नहीं हुआ। अंततः इसे 2 और 3 जनवरी के बीच की मध्यरात्रि में ध्वस्त कर दिया गया।
भाजपा ने हनुमान मंदिर विध्वंस के लिए AAP को ठहराया जिम्मेदार
ऑपइंडिया ने इस मामले को लेकर बीजेपी दिल्ली के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर से बात की। हमने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण माँगा कि एनडीएमसी ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया, जो कि भाजपा द्वारा नियंत्रित है। उन्होंने हमें बताया कि दो अन्य धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने का प्रस्ताव था, जिन्हें दिल्ली सरकार द्वारा संरक्षित किया गया, लेकिन AAP ने हनुमान मंदिर के लिए ऐसा करने से इनकार कर दिया।
प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, “योजना दिल्ली सरकार की थी, यह आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय से आया था। दिल्ली सरकार ने दो अन्य धार्मिक स्थलों को बचाया है, हनुमान मंदिर को क्यों नहीं?” कपूर ने यह भी कहा कि मेयर को सूचित किए बिना विध्वंस किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कमिश्नर सतनाम सिंह ने तोड़फोड़ की। उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
कपूर ने यह भी कहा कि उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया है कि एनडीएमसी ने विध्वंस को अंजाम दिया, लेकिन जोर देकर कहा कि एनडीएमसी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को मानने से इनकार नहीं कर सकती। केवल एक ही आपत्ति हो सकती है जो दिल्ली सरकार की थी, लेकिन यह कभी नहीं आई। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि हनुमान मंदिर को फिर से बनाया जाना चाहिए।
विध्वंस के लिए किसे दोषी ठहराया जाए?
दोषारोपण खेल चल रहा है। यहाँ यह उल्लेख करना उचित है कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नवंबर 2019 के आदेश को दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में पारित किया गया था जिसमें अदालत के पहले के निर्देशों को बदलने की माँग की गई थी कि उपराज्यपाल को धार्मिक संरचनाओं को हटाने की योजना में बाधा डालने के उपाय करने चाहिए।
आर्किटेक्ट ने कहा कि मंदिर प्रस्तावित काम में बाधा डालेगा और सरकारी समिति द्वारा की गई माँगों को लागू नहीं किया जा सकता। जिसके बाद कोर्ट ने मंदिर को गिराने का फैसला दिया। अब AAP को भाजपा इस विध्वंस के लिए दोषी ठहरा रही है, जबकि इसे NDMC ने किया। उनका दावा है कि दिल्ली सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर सकती थी, लेकिन नहीं किया।
भाजपा का यह भी दावा है कि AAP ने दो अन्य संरचनाओं को बचाया, लेकिन हनुमान मंदिर के मामले में ऐसा नहीं किया। यह भी स्पष्ट है कि जब NDMC ने कहा कि वे मंदिर को ध्वस्त करेंगे, तो उनका मतलब था कि वे न्यायालय के आदेश को लागू करेंगे। सिविक बॉडी ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया जहाँ कहा गया, “अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से नगर निगम की है। हालाँकि, इस तरह के प्रयास में, सरकार को निगम को समर्थन देना चाहिए।”
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि एनडीएमसी ने मंदिर के विध्वंस के आदेश को पलटने के लिए कोई प्रयास किया या फिर ऐसा कोई उपाय किया जिससे कि मंदिर को ध्वस्त होने से बचाया जा सकता था। ऐसा नहीं लगता है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए किसी तरह का कोई प्रयास किया गया हो। दिल्ली सरकार ने विध्वंस के आदेश को पलटने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने भी बहुत जल्द इस प्रयास को छोड़ दिया।
इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंदिर को गिराने का आदेश दिया तो भाजपा नियंत्रित NDMC और AAP सरकार, दोनों ही मंदिर को बचाने में विफल रहे।
VHP ने बयान जारी कर CM केजरीवाल पर लगाया आरोप
वहीं इंद्रप्रस्थ विहिप ने इस मामले में एक बयान जारी किया है। विहिप ने अपने बयान में, मंदिर को ध्वस्त होने से न बचाने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार को दोषी ठहराया है। विहिप ने कहा है कि उनके कार्यकर्ता दिल्ली की कड़ाके की ठंड में मंदिर की रक्षा कर रहे हैं। लेकिन जैसे ही विहिप के कार्यकर्ता वहाँ से हटे, मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया। विहिप ने यह भी कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंदिर के विध्वंस को रोकने और अदालत में पर्याप्त कदम उठाने के लिए याचिका दायर की थी।
इंद्रप्रस्थ विहिप ने कहा कि महीनों बाद भी न तो उन्हें कोई समय दिया गया और न ही हनुमान मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाया गया। उन्होंने हनुमान मंदिर के विध्वंस के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की और अरविंद केजरीवाल से इस बारे में कार्रवाई करने का आग्रह किया। इसके साथ ही मंदिर के पुनर्निर्माण की माँग की गई और चेतावनी दी गई है कि ऐसा न करने पर वो आंदोलन करेंगे।