पूर्व गृह और वित्त-मंत्री पी. चिदंबरम को INX मीडिया घोटाले में 5 सितंबर तक की अंतरिम राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उनकी गिरफ़्तारी के लिए अनुमति याचिका पर फैसला उसी तारीख तक के लिए सुरक्षित कर लिया है। कॉन्ग्रेस नेता फ़िलहाल सीबीआई हिरासत में चल रहे हैं, और ED राष्ट्र-विरोधी गंभीरता के अपराध और चिदंबरम के तीक्ष्ण दिमाग और वृहद् कानूनी अनुभव आदि का हवाला देकर उनसे हिरासत में लेकर पूछताछ की अनुमति पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है।
#UPDATE The Court has changed the date from September 4 to 5. Interim protection granted by the Court to P Chidambaram in ED case also extended till September 5. https://t.co/zrcmFhGw8w
— ANI (@ANI) August 29, 2019
“सील-बंद लिफ़ाफ़े किसी की आज़ादी सील नहीं कर देते”
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए चिदंबरम के वकील और कॉन्ग्रेस में उनके साथी नेता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया, “सील-बंद लिफ़ाफ़े किसी की आज़ादी सील नहीं कर देते। अगर वे (ED) चार साल तक अपना मुकदमा दायर न करें यह कहकर कि अभी जाँच जारी है, तो क्या मुझे 4 साल तक ज़मानत ही नहीं मिल पाएगी?” वह ED द्वारा सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ को सील-बंद लिफ़ाफ़े में दस्तावेज़ देने के बारे में बात कर रहे थे।
“मैं यह नहीं कह रहा कि (एजेंसियों को) मुझे (पी. चिदंबरम को) गिरफ्तार ही नहीं करना है। हम केवल इतना कह रहे हैं कि यदि आपके पास हमारे विरुद्ध कोई ऐसा सबूत है जो चिदंबरम के सामने आपने सामने रखा, जोकि आपने अपने प्रति-हलफ़नामे में दावा किया है (ED ने अपने काउंटर-एफिडेविट में दावा किया था कि उन्होंने चिदंबरम को मामले में फँसने वाले दस्तावेज़ रखे थे, लेकिन वे गोलमोल जवाब दे कर उनका सीधा जवाब देने से बचते फिरे), तो आप उन्हें अदालत को दिखा दें।”
चिदंबरम ने सीबीआई हिरासत खुद ही मंजूर की
ED की हिरासत से बचने के लिए चिदंबरम किस कदर व्यग्र हैं, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने खुद ही सोमवार तक सीबीआई की हिरासत में रहने की पेशकश कर डाली। लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सीबीआई रिमांड को विस्तार केवल सीबीआई अदालत में ही दिया जा सकता है। इसके बाद बेंच ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।