उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार (नवंबर 21, 2020) को राज्य के मुख्य सचिव को टेहरी गढ़वाल प्रशासन द्वारा अंतरजातीय/अंतरधार्मिक विवाह के बाद सहायता राशि देने वाली सूचना को लेकर जाँच करने का आदेश दिया है। जिले के सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े को 50,000 रुपए की मदद देने की घोषणा की थी, जिसके बाद ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देने के आरोप लगे थे।
मुख्यमंत्री रावत ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वो इस बात की जाँच कराएँ कि किन परिस्थितियों में इस प्रेस रिलीज को जारी किया गया। सीएम के मीडिया संयोजक दर्शन सिंह रावत ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया है और चीफ सेक्रेटरी को जाँच का आदेश दिया है। सीएम का कहना है कि जब सरकार पूरी तरह जबरन धर्मान्तरण के बाद शादी के खिलाफ है, तो किन परिस्थितियों में ये प्रेस रिलीज जारी हुआ?
उन्होंने बताया अंतरजातीय/अंतरधार्मिक विवाह पर सहायता राशि देने की ये योजना उत्तराखंड के गठन से काफी पहले से ही मौजूद थी और उत्तर प्रदेश के क़ानून का हिस्सा थी, जिसे राज्य ने हूबहू ग्रहण कर लिया और अब तक ये ऐसा ही चला आ रहा है। दर्शन रावत ने कहा कि सरकार जल्द ही इस योजना को बंद करने पर विचार कर रही है, क्योंकि वो नहीं चाहती कि जबरन धर्मान्तरण के बाद होने वाली शादी से राज्य की शांति और सद्भाव को ठेस पहुँचे।
इस प्रेस रिलीज के सामने आने के बाद उत्तराखंड सरकार के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट ने बताया था कि ये 1976 का उत्तराखंड का क़ानून है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत पहले 10,000 रुपए की सहायता राशि मिलती थी, जिसे कॉन्ग्रेस की सरकार ने 2014 में बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा से किसी ने भी अंतरधार्मिक विवाह को बढ़ावा देने की बात नहीं की है।
Uttarakhand Chief Minister Trivendra Singh Rawat (in file pic) has ordered a probe in connection to a press release by district social welfare officer of Tehri Garhwal promoting a scheme for inter-caste & interfaith marriages. pic.twitter.com/WCyBFvIl4g
— ANI (@ANI) November 23, 2020
साथ ही बताया कि भाजपा सरकार में कोई अपने बुरे सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकता है कि वो धर्मांतरण के बाद शादी को बढ़ावा दे। वहीं राज्य की विपक्षी पार्टी कॉन्ग्रेस का कहना है कि अगर उसने इस सहायता राशि को बढ़ाया तो फिर भाजपा सरकार ने इसे बंद क्यों नहीं किया? कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि भाजपा के राज्य में चार-चार मुख्यमंत्री हुए, किसी ने भी इस योजना को बंद नहीं किया।
उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों को इसीलिए उठाया जा रहा है क्योंकि उसने राज्य के विकास के लिए अभी तक कुछ नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि दो अलग-अलग जाति या धर्म के लोगों को आपस में शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान से मिलता है और भाजपा की सरकार ऐसा करने से लोगों को नहीं रोक सकती, भले ही वो इस योजना को बंद ही क्यों न कर दे। अब इस मामले की जाँच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि इस योजना पर इस पर ‘सुदर्शन न्यूज़ टीवी’ के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने पूछा था कि ‘लव जिहाद’ करने वाले को सजा की जगह 50,000 का सरकारी इनाम दिया जा रहा है? उन्होंने पूछा कि देवभूमि उत्तराखंड में ये उल्टी गंगा क्यों बह रही है? उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पूछा था कि जब सारे राज्य ‘लव जिहाद’ के विरुद्ध कानून बना रहे तो उत्तराखंड में इसे बढ़ावा क्यों? उन्होंने आशंका जताई थी कि कोई ‘UPSC जिहाद’ वाला अधिकारी ही ऐसा करा रहा है।