बेंगलुरु से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने शनिवार (14 दिसंबर) को कॉन्ग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने संविधान पर हमले किए उन्हें चैम्पियन बताया जा रहा है। लोकसभा में संविधान पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस की सरकारों ने भारत को अपनी जागीर समझकर रखा, जबकि भाजपा ने हमेशा लोकतंत्र और संविधान की रक्षा में अपनी भूमिका निभाई।
सूर्या ने दावा किया कि भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को संविधान में समाहित किया गया और संविधान निर्माताओं ने भारत की प्राचीन सभ्यता के महत्व पर जोर दिया था। तेजस्वी सूर्या ने द्रमुक के नेताओं को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि द्रमुक के नेता सनातन धर्म को खत्म करने की बात करते हैं, जबकि उनके सांसद संसद में धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक नैतिकता का ज्ञान दे रहे हैं।
कॉन्ग्रेस के तानाशाही रवैये पर सवाल उठाते हुए तेजस्वी सूर्या ने कहा कि कॉन्ग्रेस की सरकारों ने भारत को जागीर समझा और कच्चातिवु द्वीप तथा अक्साई चिन को दूसरे देशों को दे दिया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका के हवाले कर दिया। इसमें किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और यह सिर्फ राजनीतिक कारणों से किया गया था।
तेजस्वी सूर्या ने आगे कहा कि कॉन्ग्रेस के शासनकाल में अक्साई चिन को चीन के हवाले कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हाल ही में पता चला कि कॉन्ग्रेस की सरकार सियाचीन को पाकिस्तान को देने के लिए तैयार थी। भाजपा को लोकतंत्र की रक्षक बताते हुए उन्होंने कहा, “भाजपा संविधान और क्षेत्रीय अखंडता की संरक्षक है। वहीं, विपक्षी दल भारत को राज्यों का संघ मानते हैं।”
दक्षिण बेंगलुरु संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद सूर्या ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस की सरकारों में संविधान की आत्मा पर हमला किया गया। उन्होंने दावा किया कि संविधान में ‘समाजवादी और पंथनिरपेक्षता‘ को जोड़ने का मकसद सिर्फ परिवारवादी एकाधिकार स्थापित करना था। सूर्या ने कहा कि कॉन्ग्रेस की सरकारों में सरकार के समाजवादी रुख के कारण देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी।
कर्नाटक से लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस की सरकारों ने देशवासियों से कभी न्याय नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देश के गरीबों को आर्थिक न्याय मिला है। उन्होंने कहा, “जो लोग संविधान पर हमला करने वाले थे, उन्हें संविधान का चैम्पियन बताया गया। इस पाखंड को बेनकाब किया जाना चाहिए।”