जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की आहट के बीच कॉन्ग्रेस में जारी अंदरूनी घमासान उभर कर सामने आ गया है। इसी क्रम में कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति से हटा दिया है। दरअसल, कठुआ में गुलाम बनी आजाद ने एक बड़ी रैली कर अपना शक्ति-प्रदर्शन किया था और रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि वो वही करेंगे जो राज्य के लोग चाहते हैं। इसके बाद उनके खिलाफ यह एक्शन लिया गया।
कठुआ में रैली के दौरान हाल ही में कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देने वाले नेता भी शामिल थे। पार्टी से इस्तीफा दे चुके नेताओं का कहना था है कि राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर गुलाम नबी आजाद ही लोगों की पहली पसंद हैं न कि कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर। उल्लेखनीय है कि गुलाम नबी आजाद का इसी साल राज्यसभा के सदस्य के तौर पर कार्यकाल समाप्त हुआ था, जिसके बाद उन्हें दोबारा राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया गया।
कॉन्ग्रेस ने डिसिप्लिनरी कमिटी का गठन किया और नवगठित कमिटी से आजाद के अलावा अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुट मिठी और सुशील कुमार शिंदे को बाहर कर दिया गया है। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि अंबिका सोनी, जेपी अग्रवाल, तारिक अनवर और जी परमेश्वर सदस्य के तौर पर शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर कॉन्ग्रेस में आई दरार
इससे पहले गुलाम नबी आजाद के समर्थक पूर्व मंत्रियों एवं विधायकों सहित 20 कॉन्ग्रेस नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इनमें जीएम सरूरी, जुगल किशोर शर्मा, विकार रसूल, डॉ मनोहरलाल शर्मा, गुलाम नबी मोंगा, नरेश गुप्ता, सुभाष गुप्ता, अमीन भट, अनवर भट, इनायत अली शामिल हैं।
इन सभी का कहना है कि गुलाम अहमद की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर में कॉन्ग्रेस अपने पतन की ओर बढ रही है। इनका आरोप है कि मीर और उनके बेटे के डीडीसी के चुनाव हारने के बाद भी पद पर बने रहने दिया गया। इसके अलावा, उपेक्षा के शिकार पार्टी के कई नेताओं ने मीर के शासनकाल के दौरान पार्टी भी छोड़ दी है।