Sunday, November 17, 2024
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आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस को ₹1700 करोड़ का नोटिस थमाया, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी पार्टी की याचिका: टैक्स असेसमेंट को दी थी चुनौती

कोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि कॉन्ग्रेस ने याचिका का रास्ता तब अपनाया जब टैक्स असेसमेंट की अंतिम तारीख नजदीक आ गई। कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रथम दृष्टया यह लगता है कि आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस के खिलाफ पक्के सबूत इकट्ठा किए हैं।

आयकर विभाग ने गुरुवार (28 मार्च, 2024) को कॉन्ग्रेस को ₹1700 करोड़ का रिकवरी नोटिस भेजा है। यह नोटिस वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए भेजा गया है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने कॉन्ग्रेस की आयकर विभाग के खिलाफ याचिका खारिज कर दी।

आयकर विभाग द्वारा भेजी गई इस नोटिस में टैक्स के साथ ही जुर्माना और और ब्याज भी जोड़ा गया है। कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तनखा ने कहा कि यह नोटिस उन्हें मिल गया है लेकिन इससे सम्बंधित कुछ दस्तावेज उन्हें नहीं मिले हैं।

इससे पहले गुरुवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कॉन्ग्रेस को राहत देने से इनकार कर दिया। यह नोटिस उसी के बाद भेजा गया। दिल्ली हाई कोर्ट में कॉन्ग्रेस ने एक याचिका दायर करके 2017-18 से लेकर 2020-21 तक के टैक्स वसूलने को लेकर नोटिस भेजने का विरोध किया था।

दिल्ली हाई कोर्ट की यशवंत शर्मा और पुरुशेन्द्र कुमार की दो सदस्यीय बेंच ने यह याचिका खारिज की। इसे पहले वर्ष 2014-15 से लेकर 2016-17 तक के टैक्स के वसूलने को लेकर भी कॉन्ग्रेस ने याचिका लगाई थी, उसे भी कोर्ट ने खारिज किया था। नई याचिका भी इसी पुराने आधार पर ही खारिज हुई।

कोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि कॉन्ग्रेस ने याचिका का रास्ता तब अपनाया जब टैक्स असेसमेंट की अंतिम तारीख नजदीक आ गई। कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रथम दृष्टया यह लगता है कि आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस के खिलाफ पक्के सबूत इकट्ठा किए हैं। इसी के साथ पुरानी याचिका पर भी कॉन्ग्रेस को कोई राहत नहीं मिली थी।

यह भी बताया जा रहा है कि 2014-15 से लेकर 2020-21 के अलावा अब 2021-22 से लेकर 2023-24 तक के टैक्स असेसमेंट का इन्तजार कर रही है। यह असेसमेंट 31 मार्च, 2024 के बाद जारी किया जा सकता है। इसके बाद कुल मिलाकर पार्टी के ऊपर 10 वर्षों के टैक्स असेसमेंट का भार होगा।

गौरतलब है कि इससे पहले आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस के खातों से ₹135 करोड़ की रिकवरी की थी। कॉन्ग्रेस से यह रिकवरी 2018-19 के लिए की गई थी। दरअसल, कॉन्ग्रेस ने वर्ष की आयकर भरने की अंतिम तारीख के एक महीने बाद अपने कागज जमा किए थे और साथ ही उन नियमों का उल्लंघन किया था जिसके अंतर्गत इसे आयकर भरने से छूट मिलती।

कॉन्ग्रेस ने इस वर्ष के आयकर दस्तावेजों में दिखाया था कि इसे चंदे में ₹14 लाख रूपए नकद में मिले। यह नियमों के विरुद्ध है। नियम है कि कोई भी पार्टी ₹2000 से अधिक का चंदा नकद में नहीं ले सकती। कॉन्ग्रेस ने इस नियम का उल्लंघन किया जिसके कारण इसे टैक्स में छूट नहीं मिली। इसके खिलाफ पार्टी ने याचिका भी दाखिल की थी।

कॉन्ग्रेस ने आयकर विभाग की इन नोटिस और रिकवरी की कार्रवाई पर आरोप लगाया है कि सरकार चुनाव से पहले उनके खाते सीज कर रही है। कॉन्ग्रेस ने आरोप लगाया है कि पार्टी के पास चुनाव लड़ने को भी फंड नहीं है, इसीलिए वह प्रचार आदि में भी पैसा नहीं खर्च पा रही। हालाँकि, आयकर विभाग का कहना है कि वह मात्र अपनी रिकवरी कर रहा है और उसने कोई भी खाते फ्रीज नहीं किए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले पर कहा कि कॉन्ग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बना रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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