Sunday, November 17, 2024
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PM पद छोड़ने को तैयार कॉन्ग्रेस, नीतीश भी आ सकते हैं साथ: गुलाम नबी आज़ाद

गुलाम नबी आज़ाद ने यह भी दावा नहीं किया कि कॉन्ग्रेस अकेले या यूपीए के दम पर सरकार बनाने में कामयाब होगी। आज़ाद ने ग़ैर-भाजपा, ग़ैर-राजग सरकार बनने की बात कह कई अटकलों को जन्म दे दिया।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि इस बार न तो भाजपा की सरकार बनने जा रही है और न ही राजग की। साथ ही आज़ाद ने नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री न बनने की भी भविष्यवाणी की। ख़ास बात यह रही कि उन्होंने यह भी दावा नहीं किया कि कॉन्ग्रेस अकेले या यूपीए के दम पर सरकार बनाने में कामयाब होगी। आज़ाद ने ग़ैर-भाजपा, ग़ैर-राजग सरकार बनने की बात कह कई अटकलों को जन्म दे दिया। ग़ुलाम नबी आज़ाद के अनुसार, केंद्र में भाजपा और राजग के बिना एक ऐसी सरकार बनेगी, जिसमें कॉन्ग्रेस भी भागीदार होगी। उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि अगर किसी कॉन्ग्रेस नेता को प्रधानमंत्री बनाए जाने की बात पर सहमति बनती है तो अच्छा है। साथ ही उन्होंने कहा:

“हम इसे कोई मुद्दा नहीं बनाने जा रहे हैं कि अगर हमें (कॉन्ग्रेस पार्टी को) प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की पेशकश नहीं की गयी तो हम किसी और दल के नेता को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे। कॉन्ग्रेस का एकमात्र ध्येय केंद्र में राजग को सरकार बनाने से रोकना है और ग़ैर-राजग सरकार बनाना है। ताज़ा लोकसभा चुनाव में भाजपा 125 सीटों तक सिमट जाएगी। 2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा पूरी तरह बेनकाब हो गयी है क्योंकि उसने समाज में नफरत फैलाने और बाँटने की अपनी विचारधारा का लगातार अनुसरण किया है।”

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आज़ाद के इस बयान का सीधा इशारा यही था कि भाजपा और राजग को सरकार बनाने से रोकने के लिए कॉन्ग्रेस किसी भी तरह का ‘त्याग’ करने को मंज़ूर है और अगर राहुल गाँधी के अलावा किसी अन्य कॉन्ग्रेस नेता के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो कॉन्ग्रेस के समर्थन से किसी अन्य समर्थक दल के नेता को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया जा सकता है। आज़ाद का यह बयान इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने इशारों में ही यह माना है कि यूपीए को भी बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। साथ ही ग़ुलाम नबी आज़ाद ने राजग को तोड़ने की बात कह सियासी माहौल को गर्मा दिया।

आज़ाद के अनुसार राजग में भी कई ऐसे दल हैं, जिनकी विचारधारा भाजपा से नहीं मिलती है। उन्होंने जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का नाम लेते हुए कहा कि उनकी पार्टी भी ग़ैर-भाजपा सरकार के लिए दिल्ली में गठबंधन कर सकती है। आज़ाद का कहना था कि राजग में कई दल या तो मज़बूरी में भाजपा के साथ हैं या फिर सत्ता पाने की लालसा से वहाँ हैं। उन्होंने ऐसे दलों को भी ग़ैर-भाजपा सरकार के लिए चुनाव परिणाम आने के बाद साथ लिए जाने की बता कही।

उधर ख़बरें आई थीं कि यूपीए अध्यक्षा सोनिया गाँधी भी सक्रिय हो चली हैं और उन्होंने सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को फोन कर 23 मई और 24 मई को दिल्ली में उपस्थित रहने का आग्रह किया है। कुल मिलकर कॉन्ग्रेस नेताओं के बयानों और क्रियाकलापों से इस बात का पता चलता है कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए एक खिचड़ी सरकार का खाका तैयार किया जा रहा है। उधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी तीसरे मोर्चे के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं और उन्होंने हाल ही में द्रमुक सुप्रीमो स्टालिन से चेन्नई में मुलाक़ात की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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