Monday, December 23, 2024
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MP, राजस्थान के बाद कॉन्ग्रेस ने हरियाणा में भी किया ऋण माफ करने का वादा

लोगों को राहुल गाँधी की गिनती याद ही होगी जहाँ उन्होंने अपनी उँगलियाँ पकड़ कर गिनते हुए कहा था कि दस दिनों में सरकार किसानों का ऋण माफ़ कर देगी। जबकि वास्तविकता यह है कि 10 महीने बाद भी ऋण माफ़ नहीं हुए।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कॉन्ग्रेस ने आज (अक्टूबर 11,2019) अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। कॉन्ग्रेस ने इस घोषणा पत्र का नाम संकल्प पत्र-2019 दिया है। इस घोषणा पत्र में कॉन्ग्रेस ने एक बार फिर साल 2018 की भाँति जनता को तरह-तरह के वादे करके लुभाने का प्रयास किया है।

हरियाण कॉन्ग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने बताया कि विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में सरकारी और निजी नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया गया है। साथ ही, चुनावी घोषणा पत्र में किसानों एवं गरीब लोगों के लिए ऋण माफी का भी वादा किया गया है।

उन्होंने बताया कि कॉन्ग्रेस सरकार के राज्य में आने पर हरियाणा रोडवेज की बसों मेंं मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा पार्टी ने अपने घोषण पत्र में अनुसूचित जाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग समुदाय से आने वाले कक्षा 1 से 10 वीं तक के छात्रों को 12 हजार रुपये सालाना और कक्षा 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए 15 हजार रुपये सालाना वजीफा देने का भी वादा किया है। पार्टी ने इस घोषणा पत्र में नगर निगमों और नगर परिषदों में भी 50 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है।

पार्टी ने हरियाणा में नशीली दवाओं के प्रभाव को रोकने के लिए STF के गठन का भी वादा किया है और कहा है कि भाजपा के नेतृत्व में सरकार में हुए सभी कथित घोटालों की जाँच के लिए वह विशेष जाँच पैनल का गठन करेगी। इस संकल्प पत्र-2019 को जारी करने से दौरान हरियाणा के कॉन्ग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद, राज्य कॉन्ग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा और पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मौजूद रहे।

गौरतलब है कि साल 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले कॉन्ग्रेस ने गत वर्ष के विधानसभा चुनावों में भी राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनता से कई तरह के वादे किए थे। लेकिन नतीजा आज सबके सामने हैं। किसान अब भी ऋण माफी की गुहार लगा रहे हैं और महिलाएँ अब भी वहाँ असुरक्षित हैं।

दोनों राज्यों में कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच ठनी रहने की अक्सर खबरें आती हैं। राजस्थान में गहलोत और पॉयलट के पक्ष में गुट बँटे रहते हैं तो मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ एक दूसरे के ख़िलाफ़ ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बयानबाजी करने लगते हैं।

हरियाणा में भी इसी तरह कॉन्ग्रेस की स्थिति सुधरी नहीं हैं। घोषणा पत्र में वादे भले ही लुभावने हों, लेकिन चुनावों के आते ही पार्टी के भीतर की कलह साफ दिखने लगी हैं। अभी कुछ दिन पहले का ही यदि उदाहरण लें तो मालूम चलेगा कि अभी पार्टी ने चुनाव लड़ा भी नहीं और अशोक तंवर जैसे नेता कॉन्ग्रेस हेडक्वार्टर के बाहर पार्टी में हो रही गुटबाजी के ख़िलाफ़ नारेबाजी कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि राहुल गाँधी के ‘करीबियों की हत्या’ की जा रही हैं। तंवर की मानें तो जिन नेताओं ने राहुल गाँधी को चुना और आगे बढ़ाया, उन्हें एक-एक करके किनारे किया जा रहा है। तंवर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद पर गुटबाजी भी आरोप लगा चुके हैं।

ऐसी आपसी कलह के बाद अगर दोनों राज्यों (मध्य प्रदेश और राजस्थान) में कॉन्ग्रेस के किए वादों के कार्यान्वयन की बात की जाए तो ज्ञात होगा, दोनों राज्यों में प्रशासन व्यवस्था से लेकर कानून व्यवस्था दिन पर दिन चरमराती जा रही हैं। जिसे खुद पार्टी के नेता भी मानते हैं। बच्चों से लेकर महिलाओं तक और दलित से लेकर किसान तक कॉन्ग्रेस राज से असंतुष्ट हैं।

आए दिन सांप्रदायिक मामलों की बढ़ती घटनाएँ, किसानों की आत्महत्या, प्रशासन की लापरवाही, महिलाओं के बलात्कार उनकी असुरक्षा, बच्चों से क्रूरता की कई खबरें हमें इन राज्यों से सुनने को मिलती हैं, लेकिन चुनावी घोषणा पत्र में किए वादों को पूरा करने की खबर कभी-कभी ही देखने को मिलती हैं। ऐसे में हरियाणा के विधानसभा चुनावों के लिए किए गए वादे पार्टी के लिए बड़े चुनौती हैं, जो उनकी विश्वसनीयता और किए वादों पर सवालिया निशान लगाते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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