कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले अल्पसंख्यक आरक्षण का मुद्दा गरमाता जा रहा है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिमों को मिलने वाला अल्पसंख्यक आरक्षण रद्द कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण देने का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। वहीं, कॉन्ग्रेस सत्ता में वापसी होने पर इस आरक्षण को बहाल करने की बात कर रही है।
दरअसल, कर्नाटक प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने अल्पसंख्यक आरक्षण रद्द करने को लेकर भाजपा द्वारा किए गए फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा है, “भाजपा सरकार सोचती है कि आरक्षण को संपत्ति की तरह बाँटा जा सकता है। लेकिन आरक्षण संपत्ति नहीं बल्कि अधिकार है। हम नहीं चाहते कि अल्पसंख्यक वर्ग का 4% आरक्षण खत्म हो और किसी बड़े समुदाय को दिया जाए। अल्पसंख्यक हमारे भाई हैं और हमारे परिवार के सदस्य हैं।”
डीके शिवकुमार ने दावा करते हुए कहा है कि भाजपा लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय को जो आरक्षण दे रही है, उसे इस समुदाय के लोगों ने ठुकरा दिया है। शिवकुमार ने एक और दावा करते हुए कहा कि अगले 45 दिनों में कॉन्ग्रेस कर्नाटक की सत्ता में होगी। इसके बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही अल्पसंख्यकों का आरक्षण बहाल कर दिया जाएगा।
कर्नाटक सरकार के फैसले का अमित शाह ने किया समर्थन
कर्नाटक में एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भाजपा कभी भी तुष्टिकरण में विश्वास नहीं करती। इसलिए उसने आरक्षण व्यवस्था में बदलाव करने फैसला किया। बीजेपी ने अल्पसंख्यकों को दिया गया 4% आरक्षण समाप्त कर 2 प्रतिशत आरक्षण वोक्कालिगा और 2 प्रतिशत आरक्षण लिंगयत को दिया है। अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण संवैधानिक रूप से वैध नहीं है। संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। कॉन्ग्रेस सरकार तुष्टिकरण की राजनीति के तहत अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिया था।
क्या है मामला…
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार (24 मार्च 2023) को दो बड़े फैसले लिए। पहले फैसले के तहत सरकार ने अल्पसंख्यक कोटे के तहत मुस्लिमों को मिलने वाला 4% आरक्षण रदद् कर दिया। वहीं, दूसरा बड़ा फैसला यह है कि इसी 4% आरक्षण को सरकार ने वोक्कालिगा और लिंयागत समुदाय में बाँट दिया। इस तरह से अब शिक्षा और नौकरी में वोक्कालिगा और लिंगानुपात समुदाय को राज्य में 2-2% आरक्षण मिलेगा। वहीं, धार्मिक अल्पसंख्यकों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की श्रेणी में रखा जाएगा।