Friday, November 15, 2024
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जाते-जाते दोस्तों को दर्द दे गए उद्धव ठाकरे: संभाजीनगर और धारशिव से नाराज बताया जा रहा कॉन्ग्रेस का एक धड़ा, AIMIM-सपा भी भड़की

"मैं उद्धव साहब को, शिवसेना को यह बताना चाहता हूँ कि इतिहास बदला नहीं जा सकता है, नाम बदले जा सकते हैं। जब आपके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं है तो आप इस तरह की घटिया राजनीति का बहुत अच्छा नमूना पेश करके जा रहे हैं।"

महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार (29 जून 2022) की रात इस्तीफा दे दिया। उससे पहले सरकार बचाने की आखिरी कोशिश करते हुए उनकी कैबिनेट ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला किया। औरंगाबाद का नाम अब संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धारशिव होगा। हालाँकि यह फैसला भी उद्धव सरकार के काम नहीं आया और अब उनकी विदाई के बाद महाविकास अघाड़ी के दोस्तों ने इस पर नाराजगी जताई है।

यह फैसला जिनको रास नहीं आया उसमें कॉन्ग्रेस भी शामिल है जो उद्धव कैबिनेट में शामिल थी। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और सपा ने भी इस पर ऐतराज जताया है। औरंगाबाद का नाम बदलने से खफा हुए AIMIM के सांसद इम्तियाज जलील ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसा और कहा कि जैसे ही उन्होंने सत्ता खोना शुरू किया, तो जाते-जाते उन्हें संभाजी महाराज की याद आ गई।

जलील ने कहा, “मेरे हिसाब से 25-30 साल पहले जो घोषणा की गई थी, इसको सिर्फ ये चुनावी मुद्दा बनाते रहे, राजनीति का मुद्दा बनाते रहे और जब कुर्सी सरकने लगी तो यह फैसला लिया है। मैं उद्धव साहब को, शिवसेना को यह बताना चाहता हूँ कि इतिहास बदला नहीं जा सकता है, नाम बदले जा सकते हैं। जब आपके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं है तो आप इस तरह की घटिया राजनीति का बहुत अच्छा नमूना पेश करके आप जा रहे हैं। औरंगाबाद की जनता यह तय करने वाली है कि औरंगाबाद का नाम क्या रहेगा और क्या नहीं रहेगा।”

वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक एवं महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा हो या एमवीए – जो बैसाखी पर चल रहा है – मुस्लिमों को दरकिनार करना चाहता है। उन्होंने कहा, “मुझे दुख है कि हम जिनका समर्थन कर रहे हैं, जिन्होंने कहा था कि 30 साल गलत लोगों के साथ रहने के बाद अब वे सेकुलर होंगे, आखिरी दिन ऐसा कर रहे हैं। मैं शरद पवार और सोनिया गाँधी को बताना चाहता हूँ कि सरकार हमारे समर्थन से अस्तित्व में है। अगर सरकार ऐसा कदम उठाती है, तो हम कहाँ जाएँगे? मैं शरद पवार, अजीत पवार, अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट को बताना चाहता हूँ कि मुस्लिमों को दरकिनार किया जा रहा है। मैं निंदा करता हूँ।”

इसके अलावा उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “मैं महाविकास अघाड़ी सरकार की कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के फैसले की निंदा करता हूँ। साथ ही मुस्लिम आरक्षण को भी नजरअंदाज किया गया। हमारा समर्थन कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत है, लेकिन अब MVA भी वही कर रही है जो भाजपा करती है। मैं शरद पवार, अजीत पवार, अशोक चाव्हाण और बालासाहेब थोराट से कहना चाहूँगा कि इन फैसलों से महाराष्ट्र का मुसलमान खुद को महाविकास अघाड़ी से ठगा हुआ और दरकिनार महसूस रहा है।”

इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने इस फैसले से कॉन्ग्रेस को भी नाराज कर दिया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के एक वर्ग का मानना ​​​​है कि कॉन्ग्रेस के ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्रियों को अपनी असहमति दर्ज करते हुए या प्रतीकात्मक वॉकआउट करते हुए इस निर्णय से खुद को अलग कर लेना चाहिए था। बताया जा रहा है कि इसके लिए कोशिश भी की गई थी। पार्टी के महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने संगठन के प्रभारी एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से संपर्क किया और उनके हस्तक्षेप की माँग की थी। हालाँकि आलाकमान ने किसी तरह के हस्तक्षेप इनकार कर दिया।

पार्टी आलाकमान को आशंका थी कि अगर पार्टी ने इन जगहों का नाम बदलने के फैसले से खुद को दूर कर लिया तो हिंदुओं की ओर से विरोध हो सकता है। कॉन्ग्रेस का महाराष्ट्र नेतृत्व पहले इन शहरों के नाम बदलने के कदम का विरोध कर चुका है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, “उन्होंने (शिवसेना) कॉन्ग्रेस को इसमें शामिल कर लिया। शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर अच्छा दिखना चाहती थी। अब कॉन्ग्रेस पार्टी भी इस फैसले का भागीदार बन गई है। हम फैसले में फँस गए हैं। हमें परिणाम भुगतने होंगे।” हालाँकि महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने इस फैसले को लेकर पार्टी में किसी तरह के विवाद से इनकार किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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