उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है। राजस्थान में आयोजित हुए एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा है कि राम मंदिर निर्माण का कार्य 50 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा है कि मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, रामलला की मूर्ति को 2024 में मकर संक्रांति के दिन मंदिर के गर्भगृह में रखे जाने की संभावना है। साथ ही, मंदिर साल 2024 के अंत तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार (6 अक्टूबर 2022) को राजस्थान के जयपुर में पावनधाम श्रीपंचखण्ड पीठ में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुँचे थे। इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन 1949 में शुरू हुआ था। साल 1983 में राम जन्मभूमि समिति के गठन के बाद आंदोलन आगे बढ़ा। पूरे देश में इस आंदोलन को विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में संतों ने धार दी थी।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 6, 2022
हम तो भगवान श्रीकृष्ण के इस भाव में विश्वास करते हैं… pic.twitter.com/MLx1j5PUv9
उन्होंने यह भी कहा, “बहुत सारे लोग कहते थे कि परिणाम कुछ नहीं आने वाला है। लेकिन हम तो भगवान श्रीकृष्ण के ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ के उद्देश्य में विश्वास करते हैं और पूज्य संतों ने अपने आंदोलन के माध्यम से इसे साबित किया है और परिणाम तो आना ही आना था। आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का काम शुरू हो चुका है। पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम आगे बढ़ाया। अब तक निर्माण का काम 50 फीसदी से आगे बढ़ चुका है।”
राम मंदिर निर्माण के लिए गठित संस्था श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, विशेषज्ञों द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर एक अनुमान लगाया है। जिसके अनुसार, राम मंदिर निर्माण में करीब 1800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। चूँकि, इस मंदिर में 2024 की मकर संक्रांति तक रामलला की मूर्ति की स्थापना किए जाने की संभावना है। ऐसे में, इस मंदिर का काम तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। ताकि समय रहते निर्धारित लक्ष्य तक का काम पूरा किया जा सके।
गौरतलब है, राम मंदिर का पूरा परिसर 70 एकड़ में फैला हुआ है। जिसमें से मंदिर परिसर की 50 एकड़ भूमि पर फैली हरियाली के बीच रामायण कालीन कई ऐसे वृक्ष भी दिखाई देंगे, जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। इन वृक्षों के रोपड़ के लिए शोध कार्य भी चल रहा है। दरअसल, शोध यह जानने के लिए किया जा रहा है कि उस समय के कितने पेड़-पौधों को श्री राम जन्मभूमि परिसर में लगाया जा सकता है।