Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीति'बबुआ, माफी मत माँगना चाहे सिर कट जाए': माँ की 'आखिरी सीख' ने बनाया...

‘बबुआ, माफी मत माँगना चाहे सिर कट जाए’: माँ की ‘आखिरी सीख’ ने बनाया आज का राजनाथ, कॉन्ग्रेसी राज में अंतिम संस्कार तक में नहीं जाने दिया था

जब राजनाथ सिंह को 1975 में इलाहाबाद स्टेशन होते हुए नैनी जेल में ले जाया जा रहा था उस समय उनकी माँ ने कहा था- "बबुआ कुछ भी हो जाए, माफी मत माँगना, चाहे उम्र भर काल-कोठरी में क्यों न कट जाए। कभी सिर मत झुकाना।"

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ आपातकाल में जो कुछ हुआ उसकी चर्चा अब हर जगह है। स्मिता प्रकाश के पॉडकॉस्ट में राजनाथ सिंह ने बताया था कि इमरजेंसी के वक्त जब उन्हें जेल में डाला गया था उस समय उनकी माँ को ब्रेन हैमरेज हो गया था और 27 दिन बाद उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ा था। इतने समय के बीच प्रशासन ने न तो उन्हें माँ से मिलने का मौका दिया था और न ही अंतिम संस्कार के लिए कोई परोल। उनके इस बयान के बाद हर कोई जानना चाहता है कि इतने बड़े दुख के बावजूद कैसे राजनाथ सिंह ने खुद को संभाला और राजनीति से मुँह मोड़ने की बजाय इसमें आगे बढ़े।

राजनाथ सिंह के जेल जाने की घटना 12 जुलाई 1975 की है। वह उस समय मिर्जापुर में शिक्षक थे और संघ के दिग्गज नेता थे। जब आपातकाल लगा तो उनकी गिरफ्तारी मीसा के तहत करवा दी गई। इस कानून के तहत वैसे ही किसी परिवार के सदस्य से मिलने की अनुमति नहीं थी और चूँकि राजनाथ सिंह संघ के बड़े नेताओं में से थे तो उनके मामले में तो सख्ती और भी ज्यादा थी।

शुरू में राजनाथ सिंह को मिर्जापुर जेल में बंद रखा गया, लेकिन जब बाद में उन्हें इलाहाबाद नैनी जेल में शिफ्ट करने के लिए ट्रेन से लाया गया तो स्टेशन पर उनकी पत्नी सावित्री और माँ गुजराती देवी भागते हुए उन्हें देखने आए। इस दौरान जो बात माँ ने जो बात राजनाथ सिंह से कही, उसी के कारण वो एक संघ के कार्यकर्ता से लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री के पद तक पहुँच पाए।।

दरअसल, उस दिन स्टेशन पर राजनाथ सिंह के लिए नारे लग रहे थे इसलिए माँ ने जो जो कहा वो उसे सही से नहीं सुन पाए, मगर जो उन्होंने सुना उसका जिक्र राजनाथ सिंह की जीवनी पर लिखी गई किताब में पढ़ने को मिलता है। इस किताब को लेखक गौतम चिंतामणि ने लिखा है। इसके अनुसार, नैनी जेल ले जाने के दौरान मिर्जापुर स्टेशन पर पुलिसकर्मी राजनाथ सिंह को जल्द-जल्दी ट्रेन में बैठाने लगे थे। इस दौरान उनकी माँ ने उनसे कहा था, “बबुआ। माफी नहीं माँगना। चाहे उम्र भर काल-कोठरी में क्यों न कट जाए। कभी सिर मत झुकाना।”

बेटे को जेल जाते हुए जब माँ ने ऐसे शब्द कहे तो राजनाथ सिंह भावुक हो गए। उन्हें तब नहीं पता था कि उनकी माँ से उनकी यह आखिरी मुलाकात है। कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि माँ को ब्रेन हैमरेज हो गया है, फिर उनके निधन की खबर आई। राजनाथ सिंह चाहते तो इस घटना के बाद टूट सकते थे लेकिन उन्हें अपनी माँ के कहे अंतिम शब्द याद थे और यही शब्द उनके राजनैतिक जीवन के लिए ऐसा टर्निंग प्वाइंट साबित हुए कि उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जेल से निकलने के बाद वह मात्र शिक्षक नहीं रह गए थे इस घटना ने उन्हें लोकप्रिय नेता बना दिया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

क्या है ऑपरेशन सागर मंथन, कौन है लॉर्ड ऑफ ड्रग्स हाजी सलीम, कैसे दाऊद इब्राहिम-ISI के नशा सिंडिकेट का भारत ने किया शिकार: सब...

हाजी सलीम बड़े पैमाने पर हेरोइन, मेथामफेटामाइन और अन्य अवैध नशीले पदार्थों की खेप एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी देशों में पहुँचाता है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -