Monday, November 18, 2024
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दिल्लीः कोरोना की दस्तक के बाद रिलीफ फंड में आए ₹35 करोड़, संक्रमण रोकने पर केजरीवाल सरकार का खर्च ‘शून्य’

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ महीनों में प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन मीडिया के विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च किए हैं। केवल 2021 में विज्ञापनों पर 150 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो दिखाते हैं कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकताएँ क्या हैं।

दिल्ली सरकार के एलजी/सीएम रिलीफ फण्ड मार्च 2020 से जनवरी 2021 के बीच करीब 35 करोड़ रुपए आए। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इसमें से 17 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए। लेकिन इसी दौरान इस फण्ड से कितना को रोकने पर खर्च हुआ, इसकी जानकारी देने में सरकार विफल रही है। यह तथ्य सूचना का अधिकार (RTI) के जवाब से सामने आया है। खास बात ये है कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में महामारी के कुप्रबंधन का आरोप केंद्र सरकार पर लगा रही है।

आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडे ने इस संबंध में जानकारी माँगी थी। ऑपइंडिया से बात करते हुए विवेक ने बताया कि उन्होंने मार्च 2020 से सीएम/एलजी राहत कोष में आए धन और उसके उपयोग को लेकर जानकारी माँगी थी। इसके लिए उन्होंने दिल्ली सरकार के पास दो आरटीआई आवेदन दिए थे।

पहला आरटीआई नवंबर 2020 में और दूसरा फरवरी 2021 में दाखिल किया गया। उन्होंने यह भी पूछा कि आप सरकार ने इस अवधि के दौरान कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने पर कितना खर्च किया है।

दोनों के मिले लगभग समान जवाब

दोनों आरटीआई में उल्लेखित सवालों और मिले जवाबों का स्क्रीनशॉट विवेक ने शेयर किया है। 16 नवंबर 2020 के आरटीआई आवेदन में उन्होंने सरकार से मार्च 2020 तक एलजी/सीएम राहत कोष में जमा राशि का विवरण देने के लिए कहा था। जवाब में बताया गया कि इस दौरान फण्ड में 34.69 करोड़ रुपए जमा हुए।

नवंबर 2020 में विवेक पांडे द्वारा दायर आरटीआई आवेदन और दिल्ली सरकार का जवाब

सरकार ने फण्ड से कितना खर्च किया, इस सवाल के जवाब में बताया गया कि अब तक 17.02 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। हालाँकि दिल्ली सरकार यह बताने में विफल रही कि उन्होंने पैसा कहाँ खर्च किया। जवाब में कहा गया कि अभी डाटा को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और इसका मिलान करना बाकी है। कोविड महामारी नियंत्रण पर कितना पैसा खर्च किया गया, इसका जवाब ‘शून्य’ बताया गया।

फरवरी 2021 में विवेक पांडे द्वारा दायर आरटीआई आवेदन और दिल्ली सरकार का जवाब

तीन महीने इंतजार करने के बाद, विवेक ने केजरीवाल सरकार से बेहतर जवाब पाने की आशा में एक और आवेदन प्रस्तुत किया। दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए उत्तरों में एकमात्र अंतर उन्हें प्राप्त राशि (34.77 करोड़ रुपये) और उनके द्वारा खर्च की गई राशि (17.27 करोड़ रुपये) में था। इस प्रश्न के लिए कि कोविड महामारी नियंत्रण पर कितना पैसा खर्च किया, जवाब फिर से वही था NIL (शून्य)।

ऑपइंडिया से बात करते हुए, विवेक ने कहा कि कोविड मामलों की बढ़ती संख्या के बीच राष्ट्रीय राजधानी में स्वास्थ्य ढाँचे के कुप्रबंधन के लिए दिल्ली सरकार लगातार केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। हालाँकि, केजरीवाल के हाथ में धन होने के बावजूद, उन्होंने महामारी को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया। विवेक ने कहा, “वह सीएम रिलीफ फण्ड से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर सकते थे या कुछ अन्य व्यवस्था कर सकते थे।” विशेष रूप से, केजरीवाल सरकार ने उस राहत कार्य का श्रेय लेने की कोशिश की, जो पिछले साल दिल्ली सरकार के महामारी का प्रबंधन करने में विफल रहने के बाद केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। महामारी की दूसरी लहार के दौरान भी, उन्होंने (केजरीवाल) उसी रणनीति को अपनाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे।

दिल्ली सरकार ने 2021 में विज्ञापनों पर खर्च किए 150 करोड़

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ महीनों में प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन मीडिया के विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च किए हैं। केवल 2021 में विज्ञापनों पर 150 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो दिखाते हैं कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकताएँ क्या हैं। अकेले मार्च में, सरकार ने विज्ञापनों पर 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए। एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने कहा कि उसने गिना कि टीवी पर छह घंटे के भीतर 15 बार विज्ञापन चलाए गए।

25 अप्रैल को दिल्ली में 22933 नए कोरोना केस सामने आए। अब तक राज्य में 10,27,715 कोविड-19 के मामले आ चुके हैं, जिनमें से 9,18,143 ठीक हो चुके हैं। राज्य में 94,592 ऐक्टिव केस हैं और 14248 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। 25 अप्रैल को ही 350 लोगों की मौत हुई है। पिछले एक हफ्ते के दौरान पॉजिटिव रेट बढ़कर 30 फीसदी हो गया है। पिछले दो हफ्ते के दौरान वैक्सीन लगाए जाने वालों की भी संख्या घटी है। 10 अप्रैल से राज्य द्वारा 1,05,918 डोज जारी किए गए, जिनमें से दिल्ली 1 लाख/दिन का आँकड़ा भी नहीं पार कर पाई। कई दिन तो 50 हजार टीके भी नहीं लग सके।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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