दिल्ली के एक फ़ोटोग्राफर थे – अंकित सक्सेना। पिछले साल फरवरी में उनकी मुस्लिम गर्लफ्रेंड के परिवार द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी। दरअसल, अंकित जिस लड़की से विवाह करना चाहते थे वो मुस्लिम सम्प्रदाय से थीं और उनकी प्रेमिका के घरवाले इस विवाह के ख़िलाफ़ थे। इसके चलते अंकित की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। तब यह मामला बहुत जोर-शोर से उछला था, राजनीतिक रोटियाँ भी सेंकी गई थी। इस मामले में ताज़ा समाचार यह है कि अंकित के पिता यशपाल सक्सेना ने दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ अपनी निराशा व्यक्त की है, क्योंकि वो अपने वादे पर खरी नहीं उतरी।
Y Saxena: Our only breadwinner is gone. I’ve suffered a heart attack&my wife has undergo 3 operations, there are expenses. Neighbours help us a little. Delhi CM had said we’ll get Rs 5 Lakh compensation, later he said he’ll help us more but he hasn’t reverted. I’m broken. (11.06) pic.twitter.com/wLMF3ovwtX
— ANI (@ANI) June 11, 2019
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए, अंकित के पिता ने कहा कि उन्हें दिल्ली सरकार से कोई भी मुआवज़ा नहीं मिला। अंकित की हत्या हो जाने के बाद उन्हें बताया गया था कि उन्हें क़ानूनी और वित्तीय सहायता मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सबसे पहले दिल्ली सरकार द्वारा उन्हें 5 लाख रुपए मुआवज़ा देने का वादा किया गया था। बाद में, दिल्ली के सीएम ने मुआवज़ा बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं। इस पर अंकित के पिता ने कहा, “मैं टूट गया हूँ।”
यशपाल सक्सेना ने कहा कि दिल्ली सरकार को कई रिमाइंडर भेजने के बावजूद केजरीवाल सरकार ने अब तक अपना वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने सवालिया होते हुए पूछा, “मुझे मुआवज़ा नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि मैंने घटना को सांप्रदायिक नहीं होने दिया? मैं दो समुदायों के बीच प्रेम और सद्भाव क़ायम करना चाहता था। क्या मुझे इसके लिए दंडित किया जा रहा है?”
दिल्ली के एक फ़ोटोग्राफर अंकित सक्सेना की उनकी मुस्लिम प्रेमिका के परिवार द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी क्योंकि मुस्लिम परिवार ने उनके अंतर-धार्मिक प्रेम संबंध को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद, लड़की की माँ, मामा और नाबालिग भाई को इस क्रूर अपराध के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया था।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दायर चार्जशीट में यह स्पष्ट किया कि हत्या पूर्व नियोजित थी। इस बात का भी पता चला कि लड़की का परिवार हिंदू लड़के से प्रेम करने के कारण उसके साथ सख़्ती से पेश आ रहा था। ग्राउंड रिपोर्ट में भी लड़की के परिवार की धार्मिक कट्टरता को उजागर किया गया है, जिसमें लड़की की माँ एक कट्टर मुस्लिम महिला है, जो अंतर-धार्मिक संबंध के ख़िलाफ़ थी।
यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 303 (हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाने) और 34 (आम इरादे) के तहत अंकित की प्रेमिका के पिता अकबर अली, छोटे भाई, मामा मोहम्मद सलीम और अकबर अली की पत्नी शहनाज़ के ख़िलाफ़ यह मामला दर्ज किया गया था।
इस घटना ने देश को झकझोर दिया था। अंकित और उसके परिवार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से संवेदनाएँ भेजी गई थीं। दिल्ली में एक शोक समारोह आयोजित की गई थी, जिसमें एक प्रार्थना सभा भी शामिल थी। इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाग लिया था। हालाँकि, जब परिवार ने अपने घर के एकमात्र कमाऊ इंसान को खो देने की भरपाई करने के लिए उनसे मुआवज़े की माँग की, तो केजरीवाल प्रार्थना सभा को बीच में ही छोड़ कर चल दिए थे।
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— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) February 12, 2018
Scene 1 – Kejriwal to family of #AnkitSaxena Ji
Scene 2 – Kejriwal to families of MM Khan Ji & Tanzeem Ahmed Ji
ये फर्क क्यों???
इसे देखने के बाद आज रात आप सो नहीं पाएंगे।
ये इस देश मे मजहब की राजनीति का सबसे गंदा चेहरा हैं। pic.twitter.com/DL1Vpb5rG6
ऊपर कपिल मिश्रा के वीडियो में आप देख सकते हैं कि केजरीवाल ने पूर्व में मृत एनआईए अधिकारी तंजील अहमद और एनडीएमसी के कानूनी सलाहकार एमएम खान के परिवार के सदस्यों को 1 करोड़ रुपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की थी। ऐसे में उनके लिए अंकित के परिवार को मुआवजा देना कोई नई बात नहीं होती। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे यह सवाल उठता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अंकित सक्सेना के परिवार से अपना वादा निभाने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं?
अंकित की मुस्लिम प्रेमिका के परिवार वालों को इन दोंनों के अंतर-धार्मिक संबंध स्वीकार नहीं था। लेकिन अंकित सक्सेना के पिता, यशपाल सक्सेना तब सांप्रदायिक सौहार्द्र का चेहरा बन गए थे, जब उन्होंने सभी से अपील की थी कि उनके बेटे की मुस्लिम प्रेमिका के परिवार द्वारा हत्या को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए। इतना ही नहीं, उन्होंने पिछले साल रमजान के दौरान एक अंतर-धार्मिक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें कई सारे ‘सामाजिक कार्यकर्ताओं’ ने भाग लिया था। हालाँकि, इतना सब कुछ सहने के डेढ़ साल बाद, वह अभी भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं।