दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री और AAP मुखिया अरविन्द केजरीवाल की नियमित जमानत पर अंतरिम तौर पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत फैसला देने तक रोक लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा है कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुनवाई करने के बाद ही अब फैसला देगा।
दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सुधीर जैन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार (21 जून, 2024) को यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जब तक ED की याचिका पर अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक निचली अदालत के केजरीवाल को जमानत देने वाले फैसले पर रोक जारी रहेगी।
जस्टिस सुधीर जैन ने कहा, “मैं आदेश को दो-तीन दिन के लिए सुरक्षित रख रहा हूँ। आदेश सुनाए जाने तक ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभावी होने पर पर रोक लगाई जाती है।” ED ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालत ने उसे अपनी बातें रखने का पूरा मौका नहीं दिया, ऐसा एक वेबसाइट ने कहा है।
ED ने कोर्ट को यह भी बताया कि केजरीवाल ने ₹100 करोड़ की माँग की थी। इसमें से ₹45 करोड़ का पता भी लगा लिया गया है। ED ने कहा कि यह सब दिखने के बावजूद भी निचली अदालत ने CM केजरीवाल के खिलाफ ठोस सबूत ना होने की बात कही। उन्होंने इस दौरान जमानत देने वाली जज के पूरे कागज ना देने की बात भी यहाँ कही और इसे विकृति बताया।
गौरतलब है कि दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को गुरुवार (20 जून, 2024) को दिल्ली शराब घोटाला मामले में राउज अवेन्यु कोर्ट की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी। उन्हें यह जमानत नियमित दी गई थी। इस दौरान ED ने माँग की थी इस फैसले पर 48 घंटे तक रोक लगाई जाए। हालाँकि, उसकी यह माँग नहीं मानी गई थी।
ED ने इस निर्णय के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दी थी। ED ने केजरीवाल को जमानत देने का विरोध किया था। इसी याचिका के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत पर रोक लगाई। अब इस मामले में 3-4 दिन में निर्णय आने के कयास हैं।
इससे पहले निचली अदालत में ED ने साफ़ किया था कि उसके पास अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ पक्के सबूत हैं। एजेंसी ने कहा था कि उसके पास इस मामले में पैसे के लेनदेन तक की फोटो हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि CM केजरीवाल ने अपने फ़ोन का पिन बताने से भी मना किया, जो इस मामले में शंका पैदा करता है।
गौरतलब है कि दिल्ली शराब घोटाला मामले में CM केजरीवाल को ED ने 21 मार्च, 2024 को गिरफ्तार कर लिया था। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ही इस पूरे मामले के सरगना हैं। एजेंसी का आरोप है कि दिल्ली में शराब नीति बदल कर निजी विक्रेताओं को फायदा पहुँचाया और उनसे बदले में लाभ प्राप्त किए।