एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए कहा कि फरवरी 2020 में हुए दंगों के एक आरोपित को इसलिए जमानत मिली, क्योंकि सरकारी वकील ने हाईकोर्ट के सामने मामले से जुड़ी जानकारी छुपाई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के सरकारी वकील (additional public prosecutor) को जानकारी थी कि केंद्र सरकार ने दिल्ली दंगों के लिए विशेष अधिवक्ता नियुक्त किया है।
फिर भी जब आरोपित इलियास की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी तब उसने जाँच एजेंसियों को इस बारे में सूचित नहीं किया। 25 अगस्त 2020 के जमानत आदेश को चुनौती देते हुए ASG विक्रमजीत ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ने पुलिस को इस बात की जानकारी नहीं दी जो कि हाईकोर्ट से जुड़े हुए थे। इसके विपरीत उन्होंने झूठा बयान दिया कि वह इस बारे में डिप्टी कमिश्नर को जानकारी दे चुका है। हाईकोर्ट ने विशेष सरकारी वकील (special prosecutor) को नोटिस भेजे बिना ही आरोपित को जमानत दे दी।
अपनी याचिका में दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार के वकील ने खुफ़िया एजेंसियों को धोखे में रखा और सही जानकारी को रोके रखा। इतना ही नहीं उन्होंने आधिकारिक अनुमति के बगैर इस प्रकरण में दखल दिया और ऐसे बयान दिए जिसकी वजह से आरोपित के पक्ष में जमानत आदेश जारी किया गया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ यह इकलौता मामला नहीं है और दिल्ली सरकार के इसी वकील का अन्य मामलों में भी ऐसा ही रवैया था। जिसमें इसने न तो विशेष सरकारी वकील को कोई जानकारी दी और न ही हाईकोर्ट में मौजूद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को।
इसके बाद विक्रमजीत बनर्जी ने दो पुलिसकर्मियों का निजी हलफ़नामा जमा किया, जिसमें लिखा था कि उन्हें इलियास की जमानत याचिका पर सुनवाई की जानकारी नहीं थी। इलियास पर हत्या का प्रयास, दंगा भड़काना, आगजनी जैसे मामलों के तहत दयालपुर पुलिस थाने में एफ़आईआर दर्ज है। हाईकोर्ट के आदेश को ‘विचित्र’ बताते हुए बनर्जी ने कहा कि आदेश के आधार पर कहा जा सकता है कि न तो इलियास की चार्जशीट का संज्ञान लिया गया और न ही उसके खिलाफ़ मौजूद तमाम सबूतों पर गौर किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ASG विक्रमजीत से कहा कि दिल्ली पुलिस के लिए सही यही होगा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट को अपने आदेश की समीक्षा के लिए राज़ी करें।
2020 दिल्ली दंगे
फरवरी 2020 के दौरान शाहीन बाग़ में सीएए-एनअआरसी विरोधी प्रदर्शन के हिंसक होते ही देश की राजधानी दिल्ली दंगों की चपेट में आ गई थी। फ़िलहाल दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन की दंगों में कथित भूमिका की जाँच कर रही है। ताहिर हुसैन पर आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के अंकित शर्मा की हत्या और दिल्ली दंगे भड़काने का आरोप है।