दीपावली की रात पटाखों के कारण भाजपा सांसद रीता बहुगुणा की पोती किया के साथ जो कुछ भी हुआ, वह अत्यंत दुखदायी और दर्दनाक है। 8 साल की मासूम को जरा सी लापरवाही के कारण अपनी जान गवानी पड़ी। वह उस दिन अपने ननिहाल में छत पर जाकर अपने मामा के बच्चों के साथ खेल रही थी, तभी उसकी फैंसी ड्रेस में अचानक आग लग गई।
घर वालों को उसकी चीखें बच्चों का शोर लगा और वह उसे अनसुना करते रहे, लेकिन जब थोड़ी देर बाद जाकर छत पर देखा तो किया झुलस चुकी थी। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया।
Rest In Peace
— Dhruv Rathee 🇮🇳 (@dhruv_rathee) November 17, 2020
Two minute silence for all crazy idiots who actually promote using crackers. pic.twitter.com/ix1LbNjQ9b
इस दुख की घड़ी में रीता बहुगुणा के घर वालों को हर ओर सांत्वना दी गई मगर लिबरल गैंग ने इसमें भी अपना मतलब निकाल लिया और सारी घटना को पटाखे बैन तक लाकर छोड़ दिया। ध्रुव राठी जैसे लोगों ने खबर का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, “2 मिनट का मौन उन बेवकूफों के लिए, जो वाकई पटाखों को प्रमोट करते हैं।”
अब दिलचस्प बात यह है कि दीवाली पर पहले पॉल्यूशन के नाम पर पटाखे बैन की माँग करने वाला यही ध्रुव राठी एक समय में अपनी वीडियो में ये बताता भी नजर आ चुका है कि न्यू ईयर पर पटाखे जलाने क्यों गलत नहीं हैं और इससे क्यों नुकसान नहीं होता।
सोशल मीडिया पर लोगों को इसका पाखंड अच्छे से मालूम है। लोग जानते हैं कि ऐसे मौकों पर ध्रुव राठी दो चेहरों के साथ बात करता है, अपने उन दर्शकों को बरगलाता है, जो इसे रोल मॉडल मान कर यूट्यूब पर सब्सक्राइब कर लेते हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉलो कर लेते हैं। इसके तर्क बिन हाथ-पाँव के होते हैं, जो सिर्फ़ लिबरल गिरोह को समझ आते हैं।
रीता बहुगुणा की पोती के निधन का ही मामला देख लीजिए। पूरा मामला कहीं न कहीं लापरवाहियों से जुड़ा हुआ है। मगर ध्रुव राठी को तो जैसे इस घटना के घटते ही कोई मुद्दा मिल गया अपने कुतर्कों को जस्टिफाई करने का और दीवाली पर जलाए जाने वाले पटाखों पर अपनी नफरत निकालने का।
सब जानते हैं कि दीवाली पर पटाखे जलाए जाने की की रीत आज की नहीं है और सब यह भी जानते हैं कि बच्चों को कभी भी दीवाली के मौके पर अकेले पटाखे जलाने की छूट नहीं दी जाती। किया का निधन एक दर्दनाक दुर्घटना है। लेकिन इसके लिए दीवाली के पटाखों को दोष देना, उसके घर वालों को दोष देना बिलकुल ऐसा है, जैसे जले पर नमक छिड़कना।
भाजपा सांसद के घर वाले दुख में हैं। उनकी पोती के साथ जो हुआ उससे हम सब को सबक लेना जरूर है लेकिन उन पर आरोप मढ़ना या इल्जाम लगाना कि पटाखे बैन होने के बाद भी उनकी पोती ने पटाखे जलाए या उनके घर में ही सरकारी आदेशों का पालन नहीं किया गया, सिर्फ एजेंडे को दर्शाता है, किसी प्रकार की संवेदनशीलता को नहीं।
विचार करिए क्या वाकई रीता बहुगुणा की पोती के साथ जो हुआ, उस पर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति अपना प्रोपेगेंडा चला सकता है क्या? शायद आपका जवाब होगा नहीं। मगर, अफसोस! लिबरल गैंग इस पूरे मामले को अपना एजेंडे के लिए भुनाने में लगी हुई है। उदाहरण देखिए:
Bhakts will accept this as offering from lord rama.
— bharat gandhi (@me_smartest) November 17, 2020
ध्रुव राठी के समर्थक इसे भगवान राम से जोड़कर अपनी बात रख रहे हैं। उनका कहना है कि भक्त इसे भी भगवान राम का प्रसाद समझेंगे।
Bhakts will say they are ready to sacrifice their children’s lives for the sake of Hindu pride a.k.a. crackers.
— Pomita Ghoshal (@Pomita) November 17, 2020
वहीं पॉमिता घोषाल लिखती हैं, “भक्त कहेंगे कि वो हिंदुओं के गौरव के लिए अपने बच्चों को कुर्बान करने के लिए भी तैयार हैं।”
Paaglo k seeng nahi hote. Bhakto k to bilkul nahi
— Sumit Monga سمیت مونگا (@sumitmonga) November 17, 2020
सुमित मोंगा का कहना है कि पागलों के सींग होते हैं भक्तों के बिलकुल नहीं होते।