सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा कॉन्ग्रेस से नाराज हैं। डीएस हुड्डा की नाराजगी का कारण कॉन्ग्रेस द्वारा जारी किया गया चुनावी घोषणापत्र है। कॉन्ग्रेस द्वारा अपने घोषणापत्र में AFSPA में बदलाव करने और राष्ट्रद्रोह की धाराओं में संशोधन की बात कही है। मीडिया के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने ही कॉन्ग्रेस के मेनिफेस्टो के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का विस्तृत विजन दस्तावेज कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को सौंपा था।
कॉन्ग्रेस ने कहा था कि ‘भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति’ पर दी गई लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा की इस रिपोर्ट के आधार पर ही कॉन्ग्रेस लोकसभा चुनाव में देश को राष्ट्रीय सुरक्षा का अपना ब्लू प्रिंट देगी। जबकि लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने इस दावे से इंकार किया है। मीडिया द्वारा यह अफवाह चलाई जा रही है कि हुड्डा की इस रिपोर्ट के आधार पर ही कॉन्ग्रेस ने अफ्स्पा हटाने की बात की थी।
जनरल हुड्डा ने कहा, “जहाँ तक मेरी रिपोर्ट का सवाल है, AFSPA का उसमें कोई उल्लेख नहीं है और न ही वहाँ (कश्मीर) घाटी में आवश्यक सैनिकों की संख्या का कोई जिक्र है, क्योंकि मुझे लगता है कि ये ऐसे निर्णय हैं, जो एक व्यापक रणनीति तैयार होने के बाद ही लिए जा सकते हैं।”
एक समाचार चैनल के साथ बातचीत के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा, “पाकिस्तान के खिलाफ एक दीर्घकालिक कूटनीतिक लक्ष्य द्वारा ही सफलतापूर्वक लड़ा जा सकता है। हम चाहते हैं कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को रोक दे। इसलिए, मैंने हमेशा कहा है कि हमें दीर्घकालिक सुसंगत नीति की आवश्यकता है, जिसमें आर्थिक दबाव, राजनयिक के साथ राजनीतिक दबाव और जहाँ आवश्यक हो, सैन्य कार्रवाइयों को अपनाया जा सके।
देश में एक बार फिर आर्मड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) यानि सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम चर्चा में है। कॉन्ग्रेस द्वारा अपने घोषणापत्र में इसमें बदलाव करने और राष्ट्रद्रोह की धाराओं में संशोधन की बात को लेकर देश भर में बहस छिड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉन्ग्रेस के इस घोषणापत्र में की गई हवाई बातों को देखते हुए इसे ढकोसलापत्र बताया है।
कई सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी AFSPA जैसे मामलों को लेकर अचरज में हैं और नाराज भी। उनका मानना है कि घाटी से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट में बदलाव इतना आसान नहीं है। उनका कहना है कि ऐसा करने से वहाँ तैनात सैनिकों के हाथ बंध जाएँगे और इससे उनका मनोबल भी प्रभावित होगा। पूर्व सैन्य अधिकारीयों का मानना है कि कॉन्ग्रेस द्वारा जारी यह घोषणा केवल राजनीतिक है और वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह की बात कही जा रही है।