Sunday, November 17, 2024
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किसान नहीं बल्कि पुलिस हुई थी हिंसक: दिग्विजय सिंह ने दिल्ली पुलिस को ही ठहराया दंगों का दोषी

मुंबई आतंकवादी हमले को RSS की साजिश बताने वाले दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आँसू गैस और लाठी-डंडे चलाए। उससे विवाद बढ़ा और वही कारण बना।

26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में खूब बवाल मचाया। सबसे शर्मनाक बात ये थी कि दंगाई किसानों ने लाल किले के प्राचीर पर चढ़कर एक विशेष धार्मिक संगठन का झंडा लगा दिया गया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। इस मामले में कॉन्ग्रेस ने भी अब मैदान में कूदते हुए इस पूरी घटना पर दिल्ली पुलिस को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।

कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में किसान उग्र नहीं हुए थे, दिल्ली पुलिस उग्र हुई थी। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने तय गाजीपुर सीमा बदल दी और वहाँ बैरियर लगा दिए, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।

मुंबई आतंकवादी हमले को RSS की साजिश बताने वाले दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आँसू गैस और लाठी-डंडे चलाए। उससे विवाद बढ़ा और वही कारण बना। यानी, उनके मुताबिक, इसी वजह से तथाकथित किसान प्रदर्शनकारियों को मुगल स्मारक, लाल किले पर तिरंगें का अपमान करते हुए सिख ध्वज फैलाने पर मजबूर होना पड़ा।

गौरतलब है कि देश की राजधानी में हिंसक विरोध प्रदर्शन, राष्ट्र के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व और बेरहमी से घायल किए गए 300 से अधिक पुलिस कर्मियों को देखते हुए भी कॉन्ग्रेस ने अपनी नीच राजनीति नहीं छोड़ी। दिग्विजय सिंह के अनुसार, 26 जनवरी को हुआ यह दंगा दिल्ली पुलिस की वजह से हुआ, जिसने उनके अनुसार प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स लगाकर उकसाया और कथित रूप से रैली मार्गों में फेरबदल किया।

हालाँकि, यह पूरी तरह सच नहीं है। दिल्ली पुलिस ने न केवल एक, बल्कि उन सभी चार सीमाओं को भी ब्लॉक कर दिया था, जहाँ प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाला था। गणतंत्र दिवस पर हिंसा की आशंका और मध्य दिल्ली क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों द्वारा किसी भी प्रकार के हंगामें को रोकने की वजह से दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र परेड के समापन तक चार मार्गों को ब्लॉक कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने पहले ही इस बात पर जोर देकर कहा था कि गणतंत्र दिवस की परेड के समापन के बाद ही नाकाबंदी खोली जाएगी।

इसके बावजूद तथाकथित किसानों ने अपनी रैली शुरू करने के लिए तय समय सीमा से पहले ही दिल्ली में प्रवेश करने में पूरी ताकत लगा दी थी। जिसके चलते किसानों ने तय समय सीमा 12 बजे से पहले पुलिस बैरियर को जबरन तोड़ना शुरू कर दिया और राष्ट्रीय राजधानी में उन मार्गों से प्रवेश किया जिनकी अनुमति दिल्ली पुलिस द्वारा नहीं दी गई थी।

दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें देखा गया कि गणतंत्र दिवस खत्म होने से पहले ही कैसे प्रदर्शनकारी आईटीओ तक पहुँच गए थे।

वहीं कुछ वीडियो में प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों के ऊपर तेजी से ट्रैक्टर चलाने की कोशिश करते हुए देखे गए। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने तलवार और डंडों से पुलिस कर्मियों पर हमला बोल दिया।

‘टाइम्स नाउ’ द्वारा साझा किए गए एक अन्य वीडियो में एक प्रदर्शनकारी को एक ऑटोमैटिक राइफल लहराते हुए देखा गया, जब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। हालाँकि वे इस पर नहीं रुके और उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला जारी रखते हुए गणतंत्र दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करते हुए कथित खालिस्तानी झंडे को फहराने के लिए लाल किला पहुँच गए।

गौर करने वाली बात है कि ट्रैक्टर रैली से 1 दिन पहले कथित तौर पर किसानों को बरगलाने और उकसाने वाली वाली कॉन्ग्रेस अब हिंसा के बाद इस पूरी घटना दोष दिल्ली पुलिस के मत्थे मढ़ने पर तुली है। जबकि खुद इस हिंसा में दिल्ली पुलिस तथाकथित किसानों के हाथों बड़े पैमाने पर शिकार हुए है।

उल्लेखनीय है कि कल जैसे ही गणतंत्र दिवस पर दंगाइयों ने राजधानी को घेर लिया, कॉन्ग्रेस पार्टी की खुशी का तो मानो ठिकाना ही न रहा हो। कॉन्ग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को एक जश्न के तौर पर मनाया।

कल के दंगे को राजनीतिक रंग देते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी के आधिकारिक हैंडल ने सोशल मीडिया पर ट्रैक्टर परेड की एक तस्वीर साझा की और कैप्शन दिया कि, “कभी भी एक गणतंत्र की शक्ति को कम मत समझो”। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि ट्वीट दोपहर 1:45 बजे किया गया था, जब दिल्ली में भीड़ ने एक हिंसक रूप धारण कर लिया था।

बता दें कि हिंसक प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने पुलिस पर लाठी, तलवारों से हमला किया और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया। कुछ उपद्रवियों ने पुलिस अधिकारियों को भड़काने का भी प्रयास किया। भीड़ यहीं नहीं रुकी। इसके बाद उन्होंने लाल किले में जाकर अपना सिख ध्वज फहराया।

वहीं इस दौरान कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार पर भी हमला बोला क्योंकि उसे इससे चुनावी फायदा मिलने की उम्मीद है। इससे पहले सीएए विरोधी दंगों के दौरान, कॉन्ग्रेस नेताओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में प्रचार प्रसार किया था और उसी के संबंध में विरोध प्रदर्शन भी किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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