Saturday, October 26, 2024
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‘पत्र में हिंदी में मत लिखो, ये नहीं समझ आती’: DMK सांसद अब्दुल्ला ने केंद्रीय मंत्री को तमिल में दिया जवाब, पहले CM स्टालिन दे चुके हैं देश की अखंडता को नुकसान पहुँचने की धमकी

साल 2022 में डीएमके ने केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया था। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के बजाय अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि इससे देश की अखंडता को नुकसान पहुँचेगा।

डीएमके नेता और पुदुक्कोट्टई से राज्यसभा सांसद एमएम अब्दुल्ला ने शुक्रवार (25 अक्टूबर 2024) को केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के पत्र का तमिल में जवाब दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि हिंदी में लिखी गई चिट्ठी का एक शब्द भी उनकी समझ में नहीं आया। उन्होंने अनुरोध किया कि आधिकारिक पत्र अंग्रेजी में भेजे जाएँ।

मंत्री रवनीत सिंह ने यह पत्र अब्दुल्ला द्वारा ट्रेनों में भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता से संबंधित द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में भेजा था। अब्दुल्ला ने मंत्री की चिट्ठी और अपना जवाब सोशल मीडिया पर साझा करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्रीय राज्यमंत्री के कार्यालय में तैनात अधिकारियों को उन्होंने कई बार याद दिलाया है कि वे हिंदी नहीं बोल सकते।

अब्दुल्ला ने कहा कि इसके बावजूद अधिकारी अभी भी उन्हें हिंदी भाषा में भेजे जा रहे हैं। डीएमके सांसद अब्दुल्ला ने तमिल में भेजे गए अपने पत्र में मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से अनुरोध किया है कि अब से उन्हें पत्र-व्यवहार अंग्रेजी में किया जाए। इससे पहले साल 2022 में डीएमके ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया था।

दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के बजाय अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि इससे देश की अखंडता को नुकसान पहुँचेगा।

हाल ही में तमिलनाडु के सीएम स्टालिन और तमिलाडु के राज्यपाल आरएन रवि के बीच हिंदी माह के समापन समारोह और चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह को लेकर तीखी नोक-झोंक हुई थी। स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी-केंद्रित कार्यक्रम आयोजित करने के केंद्र के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।

स्टालिन ने तर्क दिया था कि इस तरह की पहल अलग-अलग भाषाई पहचान वाले क्षेत्रों के बीच संबंधों को खराब कर सकती है। स्टालिन ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा था, “अगर केंद्र सरकार इन आयोजनों को आगे बढ़ाना चाहती है तो मेरा सुझाव है कि प्रत्येक राज्य में स्थानीय भाषा के समारोहों को समान महत्व दिया जाए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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