ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने रविवार (7 अप्रैल 2024) को पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का एक छोटा वीडियो एक्स पर पोस्ट किया। इस वीडियो में ओवैसी लोगों को संबोधित कर रहे हैं, जिसमें ओवैसी कह रहे हैं कि वो ‘गाजी’ के रूप में जीना या मरना पसंद करते हैं। उन्होंने अपने साथी मुस्लिमों से भी गाजी के तौर पर जीने-मरने की बात कही। बता दें कि गौरतलब है कि इस्लामिक पुस्तकों में गाजी का मतलब अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने वाला इस्लामिक लड़ाका होता है। एक गाजी काफिरों (मतलब इस्लाम को न मानने वालों) के खिलाफ लड़ता है। वह या तो काफिरों और अनेकेश्वरवादियों को मार डालता है या लड़ाई में मारा जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि असदुद्दीन ओवैसी भारत में मुस्लिमों से आख़िर क्या करने को कह रहे हैं?
इस वीडियो में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”तुम हमको मारना चाहते हो तो मारो प्यारे, कौन रोक रहा है तुमको? मेरी जिंदगी अल्लाह ने लिख दी, जब मैं अपनी माँ के पेट में था। मेरी जिल्लत, मेरी इज्जत सबकुछ अल्लाह लिख चुका है। तुम क्या लोगे मुझसे? अरे याद रखो, दुनिया में रहेंगे तो गाजियों की तरह रहेंगे, या फिर मौत आएगी तो शहादत को पसंद करेंगे। हम अपने माता-पिता को शर्मिंदा नहीं होने देंगे, इंशाल्लाह!”
Duniya mein rahenge toh Ghaziyo'n ki tarah rahenge aur agar maut aayegi toh Shahadat ko pasand karenge – Barrister @asadowaisi#AIMIM #AsaduddinOwaisi #Majlis2024 #islamicreels2024 #Hyderabad #telangana #india pic.twitter.com/zT0bx8lF0W
— AIMIM (@aimim_national) April 7, 2024
गाजी का क्या मतलब होता है?
सबसे पहले तो ये समझने की जरूरत है कि गाजी का मतलब आखिर क्या होता है? गाजी शब्द की पैदाइश अरबी भाषा में हुई, जिसमें ग़ज़व का अर्थ लड़ाई है। गाज़ी का अर्थ है लड़ने वाला, या योद्धा। इस्लामी संदर्भ में गाज़ी शब्द स्पेशल माना जाना है। इस्लाम में गाज़ी का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम और उसकी शिक्षाओं के लिए जिहाद में लड़ता है। जिहाद का मूल मतलब काफिरों और गैर-इस्लामियों या इस्लाम त्यागने वालों के खिलाफ धर्म की लड़ाई है। यह हर किसी और हर उस चीज़ के खिलाफ लड़ाई है जो इस्लाम में विश्वास नहीं करता है। इस प्रकार गाजी का मतलब अनिवार्य रूप से एक जिहादी है जो गैर-मुस्लिमों के खिलाफ लड़ने को तैयार है। इस युद्ध में वह या तो मरने या दूसरों को मारने के लिए तैयार रहता है।
सुन्नन अन-नसाई 2625 (पुस्तक 24, हदीस 7) के अनुसार, गाजी अल्लाह के तीन सबसे प्रिय मेहमानों में से एक हैं। इस्लामिक धर्मग्रंथों की एक वेबसाइट पर इस हदीस की व्याख्या में कहा गया है, “अबू हुरैरा द्वारा सुनाई गई हदीस के अनुसार, अल्लाह के दूत ने तीन प्रकार के लोगों का उल्लेख किया है जिन्हें अल्लाह का मेहमान माना जाता है। इनमें एक गाजी, एक हज यात्री और एक मुतामिर शामिल हैं। गाज़ी वह है जो इस्लाम और उसकी शिक्षाओं के लिए जिहाद में लड़ता है। हज यात्री वह व्यक्ति होता है जो अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार मक्का की तीर्थयात्रा करता है यदि उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हों। अंत में, मुतामिर वह व्यक्ति होता है जो ज्ञान प्राप्त करने या अल्सेलाह से ईनाम पाने करने के लिए व्यापार या शिक्षा जैसे किसी भी उद्देश्य के लिए यात्रा करता है। इन तीनों को अल्लाह का अतिथि माना जाता है और उसके लिए किए गए कामों या प्रयासों के हिसाब से उन्हें ईनाम भी दिया जाता है।
एक गाजी की मदद करना भी गाजी होने के बराबर
इस्लामी किताबों में सिर्फ गाजी को ही सम्मान नहीं मिला, बल्कि उन लोगों को भी सम्मान मिलता है, जो गाजी की मदद करता है। या फिर गाजी के परिवार के सदस्यों की मदद करता है या देखरेख की जिम्मेदारी लेता है। साहिह अल-बुखारी 2843 ( किताब 56, हदीस 59) ने इसे विस्तार से बताया है। यह उन लोगों के लिए इनाम की बात करता है, जो गाजी के बच्चों या परिवार की देखभाल करते हैं और उनकी मदद करते हैं या फिर गाजियों को इस्लाम के लिए लड़ने के लिए तैयार करते हैं। इस हदीस के अनुसार , पैगंबर मुहम्मद ने कहा, “जो अल्लाह के रास्ते पर जाने के लिए एक गाजी को तैयार करता है, उसे एक गाजी के बराबर इनाम दिया जाता है। और जो अल्लाह की राह में जाने वाले गाजी के परिजनों की ठीक से देखभाल करता है, उसे भी गाजी के बराबर इनाम दिया जाता है।
इसके अलावा, रियाद अस-सलीहिन (किताब 11 हदीस 22) के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद ने कहा था, “वह जो अल्लाह के रास्ते में एक गाजी (लड़ाकू) को तैयार करता है, ऐसा लगता है जैसे उसने खुद लड़ाई में भाग लिया हो; और जो गाज़ी की अनुपस्थिति में उसके आश्रितों की देखभाल करता है, वह मानो स्वयं लड़ाई में भाग लेता है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हम गाजियों की तरह जिएँगे’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘हम (खुद और अन्य मुस्लिम जिनका वह दावा करते हैं कि वह प्रतिनिधित्व करते हैं) गाजियों की तरह रहेंगे।’ एआईएमआईएम प्रमुख के इस भाषण के बाद स्वाभाविक रूप से उठने वाले सवालों को इस्लामिक धर्मग्रंथ में इस शब्द के स्पष्ट अर्थ और संदर्भ को देखते हुए हेरफेर करना आसान नहीं है। क्या ओवेसी का मतलब यह है कि वह और भारत में जिन मुस्लिमों का वह नेतृत्व करने का दावा करते हैं, वे देश में गैर-मुस्लिमों के खिलाफ लड़ाई कर रहे हैं? क्या इसका मतलब यह है कि गाजी बनकर ओवैसी और उसके साथी गैर-मुस्लिमों, काफिरों, इस्लाम त्यागने वालों को मारना चाहते हैं या ऐसी उनपर हुक्म करने की इच्छा रखते हैं?
असदुद्दीन ओवैसी ने बलिदान और मौत को वरीयता देने की बात कही है, जैसे ही वो गाजी शब्द पर आए, वैसे ही ‘मैं’ की जगह ‘हम’ कहने लगे। इसका मतलब साफ है कि वो अन्य मुस्लिमों को भी गाजी बनने के लिए उकसा रहा है। ऐतिहासिक रूप से, मुहम्मद बिन कासिम, गजनी के महमूद, मुहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, बाबर, औरंगजेब आदि इस्लामी अत्याचारियों को इस्लामिक हलकों में गाज़ियों के रूप में पहचाना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने भारत पर हमला किया, जोकि अनेकेश्वरवादियों और गैर-मुस्लिमों का देश है। उन्होंने यहाँ रहने वाले लोगों को लूटा और मार डाला, क्योंकि वे गैर-मुस्लिम थे। इस तरह से वे ग़ाज़ी कहलाने के योग्य हो गए। खुद को और अपने साथियों को ग़ाज़ी कहकर, असदुद्दीन ओवेसी यकीनन खुद को और उन्हें मानने वालों को इन गाजियों से जोड़ रहे हैं।
क्या इस क्लिप को पोस्ट करने के समय में कोई संदेश छिपा है?
AIMIM ने यह वीडियो क्लिप 7 अप्रैल को पोस्ट किया – हिंदू नव वर्ष से ठीक दो दिन पहले, जो 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा के साथ शुरू हुआ था। 17 अप्रैल को, देश राम नवमी मनाएगा – हिंदू देवता भगवान राम का जन्म उत्सव। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में उनके जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली राम नवमी होगी।
पिछले कुछ सालों में देश के विभिन्न हिस्सों में रामनवमी जुलूसों और शोभा यात्राओं पर हमले हुए हैं। खास तौर पर 2022 और 2023 में, भारत में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने शांतिपूर्ण जुलूसों पर पथराव और हमले किए। इसके बाद कानूनी कार्रवाई में जब दंगाइयों के घरों को जमींदोज किया गया, तो ये खुद को पीड़ित दिखाने लगे। और अब रामनवमी से कुछ ही दिन पहले ओवैसी ने गाजियों वाली अपील की है।
बता दें कि इस साल 2024 की रामनवरी 17 अप्रैल को है, जो लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार का आखिरी दिन है। 19 अप्रैल को देश के 21 राज्यों के 102 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। अब तक के चुनाव प्रचार में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपने विरोधियों पर भारी पड़ती दिख रही है। बीजेपी उम्मीदवार और हिंदू शेरनी माधवी लता हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती दे रही हैं और ओवैसी पर भारी पड़ती दिख रही हैं। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी और एनडीए अजेय दिख रहे हैं, तो दूसरी तरफ हताश हो चुके विपक्ष को ये तक नहीं समझ आ रहा कि वो मोदी का सामना कैसे करें। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ओवैसी के इस वीडियो पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। मूल लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।