INX मीडिया और एयरसेल-मैक्सिस मामलों में पूर्व वित्त मंत्री की कस्टडी पाने की कोशिश में लगी ED (प्रवर्तन निदेशालय) को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है। ED को सोमवार तक कॉन्ग्रेस नेता को गिरफ्तार करने से रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ED के खिलाफ अग्रिम ज़मानत याचिका और सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के खिलाफ याचिका को भी सोमवार को सुनने का निश्चय किया है। हालाँकि अदालत ने उनकी सीबीआई को मिली सोमवार तक की रिमांड में हस्तक्षेप नहीं किया है, इसलिए फ़िलहाल चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में ही रहेंगे।
सीबीआई जज ED के पक्ष में biased
चिदंबरम के पक्ष में वकील के तौर पर पेश हुए कॉन्ग्रेस नेताओं अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने ED को गिरफ़्तारी की अनुमति देने का पुरज़ोर विरोध किया। जस्टिस आर बानुमति और एएस बोपन्ना की बेंच के सामने सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार-निरोधी अधिनियम और भारतीय दंड विधान (आईपीसी) के अंतर्गत दर्ज किया गया मामला था, और ED ने मनी-लॉन्ड्रिंग निरोधी कानून के अंतर्गत मामला दर्ज किया था। दोनों ही एजेंसियों की तरफ से बहस भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कर रहे थे।
सिब्बल ने चिदंबरम का पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी अग्रिम ज़मानत याचिका सुनवाई के लिए बुधवार को ही लगा दी गई थी, जिस पर सुनवाई हो नहीं पाई थी और फायदा उठाकर चिदंबरम को उसी शाम सीबीआई ने उसपर फैसला आने का इंतज़ार किए बिना ही गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले मूलभूत अधिकारों के अंतर्गत चिदंबरम को भी बहस सुने जाने का अधिकार है।
ED द्वारा संभावित गिरफ़्तारी के खिलाफ सिब्बल ने दलील दी कि हाई कोर्ट के जज का झुकाव पहले से ही ED के पक्ष में है। अपनी दलील के पक्ष में उन्होंने दावा किया कि ED ने बहस खत्म होने के बाद उच्च न्यायालय के जज को एक नोट दिया था, जिसके कुछ हिस्से जज ने अपने फैसले में ‘कॉपी-पेस्ट’ कर दिए। इसको लेकर सिब्बल और मेहता के बीच छोटी-सी बहस भी हो गई। अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि जबकि हाई कोर्ट में मुकदमा INX मीडिया का चल रहा था, लेकिन उच्च न्यायालय के जज ने उससे किसी भी तरह से नहीं जुड़े मामले एयरसेल मैक्सिस का उल्लेख ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए किया।
पूरी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सोमवार तक ED द्वारा गिरफ़्तारी पर सोमवार तक अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि आगे की सुनवाई उसी दिन होगी।
आरोपित शातिर, हिरासत में ही हो सकती है ढंग से पूछताछ
इसके पहले तुषार मेहता ने सभी ज़मानत याचिकाओं का सीबीआई और ED की तरफ से विभिन्न पहलुओं के आधार पर विरोध किया। अंतरिम ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह तो गिरफ़्तारी से बचने के लिए होती है, और चिदंबरम को तो पहले ही सीबीआई की हिरासत में दिया जा चुका है। ऐसे में इस याचिका का कोई मतलब ही नहीं है।
इसके बाद ED के पक्ष में दलील देते हुए उन्होंने कहा कि आरोपित की (तीक्ष्ण) मानसिक क्षमताओं के देखते हुए बिना हिरासत में लिए ढंग से पूछताछ नहीं हो सकती। उनका इशारा चिदंबरम की कानून की डिग्री, हार्वर्ड विश्वविद्यालय से MBA और सालों तक देश के चोटी के वकीलों में से एक के रूप में अनुभव से था। इसके अलावा उन्होंने अदालत से सीलबंद लिफाफे में मौजूद केस-डायरी को स्वीकार कर और उसका अध्ययन करने के बाद सोमवार को ही किसी नतीजे पर पहुँचने का अनुरोध किया। लेकिन बेंच ने डायरी लेने से इंकार कर दिया।