चुनावों को धनबल से प्रभावित करने की कोशिश पर चुनाव आयोग गिद्धदृष्टि रखे हुए है। चुनाव आयोग ने हर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) से उन लोकसभा क्षेत्रों की सूची तैयार करने को कहा है जिनमें धनबल का दुरुपयोग कर चुनावी नतीजों को प्रभावित करने या वोटरों को लालच दे वोट वसूल करने की आशंका है। ऐसे क्षेत्रों में चुनाव आयोग विशेष ‘व्यय पर्यवेक्षकों’ की नियुक्ति करेगा। यह व्यय-पर्यवेक्षक ‘व्यय-संवेदनशील’ लोकसभा क्षेत्रों में जा कर विशेष दलों का निर्माण करेंगे जिनका कार्य जमीनी हरकत पर नज़र रखने का होगा।
अभी सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के उत्तर न आने के कारण चुनाव आयोग का अनुमान है कि अंतिम संख्या 150 के आस-पास पहुँचेगी।
कमी नहीं है तरीकों की
चुनाव में वोटरों को रिश्वत देने के कई तरीके होते हैं- सीधे-सीधे कैश बाँटने के अलावा उपहार में उपकरण देने से लेकर शराब और नशीले पदार्थ बाँटने तक के हथकंडे राजनीतिक दल अपनाते हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में जब्त 1200 करोड़ रुपए में से केवल 300 करोड़ रुपए ही नकदी के रूप में था, जबकि पंजाब से 700 करोड़ रुपए मूल्य के ड्रग्स बरामद किए गए थे। 2014-18 के कालखण्ड में चुनाव आयोग 21 विधानसभा चुनावों में भी 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा जब्त कर चुका है।
2018 के अंत में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में ही लगभग 300 करोड़ रुपए चुनाव आयोग ने जब्त की थी।
पूरा तमिलनाडु-तेलंगाना रडार पर, आंध्र-गुजरात को लेकर भी सतर्कता
तमिलनाडु के मुख्य चुनाव अधिकारी ने तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटों व पुडुचेरी को ‘व्यय-संवेदनशील’ घोषित कर उनके लिए पर्यवेक्षक टीमों की माँग की है। इसी प्रकार आंध्र से अलग हो बने तेलंगाना राज्य की भी सभी 17 सीटों पर वहाँ के मुख्य चुनाव अधिकारी को वोटरों को रिश्वत दिए जाने का अंदेशा है।
इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, और कर्नाटक की भी आधे से ज्यादा सीटों को व्यय-संवेदनशील मानने की अनुशंसा केन्द्रीय चुनाव आयोग को प्राप्त हुई है। आंध्र की जहाँ 175 में से 116 विधानसभा सीटें व 25 में से लोकसभा सीटें चुनाव आयोग के निशाने पर हैं, वहीं बिहार की 40 में 21 सीटें चिह्नित की गईं हैं। गौतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मिली 300 करोड़ रुपए नकदी में से 124 करोड़ रुपए का ‘योगदान’ केवल आंध्र का ही था।
झारखण्ड के 2, उत्तराखण्ड के 4/5, हरियाणा व छत्तीसगढ़ के 3-3, गोवा के 1/2, राजस्थान के 5, व पंजाब के 6 लोकसभा क्षेत्रों को व्यय-संवेदनशील घोषित करने की अनुशंसा की गई है। उत्तर-पूर्व में मणिपुर के 2 (8 विधानसभा क्षेत्र), मेघालय के 3 (23 विधानसभा क्षेत्र), व नागालैंड के 1 (7 विधानसभा क्षेत्र) लोकसभा क्षेत्रों पर चुनाव आयोग की विशेष नज़र रहेगी।
आयकर विभाग ने भी 400 अधिकारी केवल गुजरात के लोकसभा चुनावों में काले धन के हस्तक्षेप को रोकने के लिए तैनात किए हैं। बता दें कि गुजरात के 26 में से 18 लोकसभा क्षेत्र ‘व्यय-संवेदनशील’ माने गए हैं।
प्रत्याशियों के आधार पर तय करेगा यूपी, बंगाल को चाहिए पर्यवेक्षक बिना सीट बताए
यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी ने यह बताया है कि वहाँ प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही ‘व्यय-संवेदनशील’ क्षेत्रों की सूची तय हो पाएगी।
मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, असम, और केरला के मुख्य चुनाव अधिकारियों ने अपने यहाँ धनबल के दुरुपयोग की सम्भावना से इंकार करते हुए कोई व्यय-पर्यवेक्षक माँगने से इंकार कर दिया है, पर चुनाव आयोग द्वारा उनके इस दावे की पुनर्समीक्षा संभव है।
बंगाल के चुनाव अधिकारियों ने एक ओर किसी भी लोकसभा क्षेत्र में ऐसा कुछ होने की सम्भावना से भी इंकार किया है, पर व्यय-पर्यवेक्षक अवश्य माँगे हैं।