सितंबर 2020 में नौसेना अधिकारी पर शिव सेना के गुंडों द्वारा किए गए हमले का विवाद ख़त्म नहीं हुआ था कि महाराष्ट्र में ऐसी ही एक और घटना सामने आई है। मुंबई के वडाला इलाके में सेना के पूर्व अधिकारी ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में सेना के पूर्व अधिकारी का कहना है कि शिवसेना नेता उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं और उनके साथ हिंसा की साज़िश रच रहे हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
पूर्व सेनाधिकारी सुदीप आप्टे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका (रिट पेटीशन) दायर की है। जिसमें उनका कहना है कि मुंबई पुलिस ने शिवसेना पार्षद एमी घोले पर एफ़आईआर दर्ज करने से मना कर दिया था। इस घटना से निराश पूर्व सेनाधिकारी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि कैसे उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि मुंबई पुलिस इस मामले से जुड़े ताकतवर नेताओं के रवैये को लेकर असंवेदनशील और निष्क्रिय बनी हुई थी।
सुजीत आप्टे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में लिखा है कि मुंबई पुलिस पर स्थानीय नेताओं का दबाव है। पुलिस ने उन नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की जिसकी वजह से उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है कि उनकी और उनके परिवार की जान खतरे में है। पूर्व सेनाधिकारी ने निवेदन किया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दखल दे।
एमी घोले शिवसेना के प्रभावशाली नेता हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र मुख्यमंत्री के बेटे और महाराष्ट्र पर्यटन और पर्यावरण मंत्रालय आदित्य ठाकरे के करीबी हैं। उनके पास दो और अहम पद हैं, पहला युवा सेना का कोषाध्यक्ष और दूसरा बृहत्मुंबई म्यूनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) की स्वास्थ्य समिति के मुखिया। ऑपइंडिया से मामले की जानकारी देते हुए सुजीत आप्टे ने बताया कि पूरा विवाद उनकी संपत्ति और उसके नज़दीक स्थित फुटपाथ पर बनाए गए अवैध साईं बाबा मंदिर से जुड़ा हुआ है।
आप्टे ने बताया कि परेशानी तब शुरू हुई जब नगरपालिका के अधिकारियों ने अवैध हिस्सा ढहा दिया। ढहाया गया मंदिर झुग्गी वाले इलाके के नज़दीक था और असामाजिक तत्व उसका इस्तेमाल हर तरह की गैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए करते थे। इन लोगों को ताकतवर स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्त है जो नेता होने का दावा करते हैं। असामाजिक तत्व अवैध निर्माण वाले हिस्से में बैठ कर बिना किसी डर के शराब पीते थे और ड्रग्स का सेवन करते थे।
यहाँ अहम बात ये है कि 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया था। जिसके मुताबिक़ फुटपाथ पर मौजूद हर तरह का अतिक्रमण ख़त्म किया जाना चाहिए। इस आदेश को मद्देनज़र रखते हुए वडाला स्थित साईं बाबा का मंदिर पहले एक बार ध्वस्त किया गया था। लेकिन स्थानीय लोगों ने नगरपालिका की मदद से मंदिर का पुनर्निर्माण करा लिया था।
कोरोना वायरस महामारी फैलने और राज्य में लॉकडाउन लगाए जाने के पहले बीएमसी ने मंदिर के ट्रस्ट को नोटिस भेजा था, जिसमें मंदिर तोड़े जाने की बात कही गई थी। लॉकडाउन की वजह से बीएमसी यह कार्रवाई नहीं कर पाया था। इस बीच मंदिर एक बार फिर अराजक और ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों का अड्डा बन गया। सुजीत आप्टे का कहना था कि लोग मंदिर के भीतर बैठ कर तरह-तरह के नशे करने लगे। उन्होंने कई स्थानीय लोगों की सहमति से एक पीआईएल दायर की है जिसके आधार पर अदालत ने लॉकडाउन तक मंदिर परिसर को सील करने का आदेश दिया था। साथ ही यह कहा था कि लॉकडाउन हटने के तुरंत बाद मंदिर को ध्वस्त कर दिया जाए।
क्योंकि बीएमसी ने अदालत के आदेश (मंदिर को सील करना) का पालन नहीं किया था, एक और स्थानीय व्यक्ति ने बीएमसी के खिलाफ़ अवमानना की याचिका दायर की थी। अवमानना याचिका की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने की थी। उन्होंने इस मामले में आदेश दिया था कि बीएमसी तत्काल प्रभाव से अवैध निर्माण ध्वस्त करे और 15 दिसंबर तक उसकी रिपोर्ट जमा करे। हाईकोर्ट के आदेशानुसार नगरपालिका ने 11 दिसंबर 2020 को निर्माण ध्वस्त कर दिया था।
इस कार्रवाई के बाद शिवसेना पार्षद एमी घोले 13 दिसंबर 2020 को सुजीत आप्टे के घर आए। उस वक्त उनके साथ जूनियर इंजीनियर गुलेकर और इलाके के कुछ गुंडे भी मौजूद थे। अवैध निर्माण को गिराए जाने का ज़िम्मेदार सुजीत आप्टे को ठहराते हुए शिवसेना पार्षद ने सुजीत आप्टे को जान से मारने की धमकी तक दे डाली। एमी घोले ने धमकी देते हुआ कहा, “आपकी वजह से हमारा मंदिर टूटा है, ये मंदिर हमारे वोटर्स का मंदिर था। वो उस मंदिर को किसी भी काम के लिए इस्तेमाल करें, तुम कौन होते हो कुछ बोलने वाले। अब वोटर्स तुम्हारी संपत्ति पर कब्ज़ा करके फुटपाथ पर बैठेंगे और चरस-गाँजा जो मन होगा वो करेंगे।”
इसके बाद घोले ने सुजीत आप्टे को धमकाते हुए कहा कि उसने अपनी संपत्ति के पास जितनी भी सिक्यूरिटी लगाई है सब 16 दिसंबर 2020 हटा ले। क्योंकि स्थानीय लोग उस तारीख से साईं बाबा मंदिर को नए सिरे से बनाना शुरू करेंगे। आप्टे ने पूर्व सेनाधिकारी को इस बात की चेतावनी भी दे दी कि वह इस काम में बाधा नहीं बने अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
शिवसेना नेता की धमकी- ‘देखते हैं कौन रोकता है हमें’
आप्टे इस बात से हैरान थे कि रविवार को आखिर कैसे बीएमसी के अधिकारी शिवसेना पार्षद के साथ मौजूद थे। उन्होंने इस पर हैरानी जताते हुए कहा था, “रविवार को कौन सा बीएमसी अधिकारी काम करता है।”
पूर्व सेनाधिकारी को धमकी देने के बाद शिवसेना नेता ने अपने साथ आए गुंडों को कहा कि अब वह आप्टे के घर पर कुछ भी कर सकते हैं। चाहे शराब पीना हो या ड्रग्स लेना हो, इस बात पर चिल्लाते हुए शिवसेना पार्षद ने कहा, “देखते हैं कौन रोकता है हमें।”
वहीं सुजीत आप्टे के काउंसलर धृतिमान जोशी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि जैसे ही शिवसेना के गुंडे वापस गए पूर्व सेनाधिकारी ने स्थानीय पुलिस थाने में शिवसेना पार्षद और उनके साथ आए गुंडों की शिकायत की। उन्होंने अपनी शिकायत में इस बात का भी ज़िक्र किया था कि एमी घोले ने जान से मारने की धमकी दी थी। सुजीत आप्टे ने अपने दावों की पुष्टि के लिए सीसीटीवी फुटेज भी जमा की है फिर भी उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
13 दिसंबर 2020 को शिवसेना नेता के साथ आए गुंडों में एक ने 17 और 18 दिसंबर को सुजीत आप्टे की संपत्ति पर अतिक्रमण किया था। मास्क पहने गुंडे के पास लोहे की रॉड थी, उसने आप्टे के घर में मौजूद सुरक्षाकर्मी को धमकी दी और सीसीटीवी कैमरा तोड़ दिए। उस गुंडे के आप्टे के घर में दाखिल होने से पहले पुलिस मौके पर पहुँच गई जिसके बाद वह मौके से भाग गया।
मुंबई पुलिस ने ठुकराई शिवसेना नेता पर एफ़आईआर दर्ज करने की माँग
इसके बाद सुजीत आप्टे रफ़ी अहमद किदवई मार्ग स्थित पुलिस थाने में एमी घोले और उनके गुंडों के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने गए। लेकिन पुलिस ने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया। पुलिस ने आप्टे से कहा कि उन्हें कोई चोट नहीं लगी है इसलिए मामले में एफ़आईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। बल्कि पुलिस ने आप्टे के सुरक्षा गार्ड पर NC (non cognizable) दर्ज कर ली।
जबकि NC शिकायत असंज्ञेय मामलों में दर्ज की जाती है। इस तरह के मामलों में पुलिस को शिकायत मिल सकती है और वह एफ़आईआर दर्ज कर सकती है। लेकिन मजिस्ट्रेट आदेश के बिना पुलिस इन मामलों की जाँच नहीं कर सकती है या वारंट के बिना गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। यानी इस मामले में भी न्यायिक अनुमति के बिना एफ़आईआर नहीं दर्ज की जा सकती है। इस तरह की घटनाओं में अपराध छोटा होता है जैसे आम जनता के लिए बाधा बनना, शरारत या छोटी धोखाधड़ी।
सुजीत आप्टे ने बताया कि इस बीच वह कई बार पुलिस थाने गए और एफ़आईआर दर्ज करने का निवेदन किया जो कि इसका मुख्य साजिशकर्ता है। उन्होंने घोले को दोषी साबित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज भी जमा की लेकिन पुलिस ने फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद आप्टे ने मामले की शिकायत पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से करने का प्रयास किया। जिसके बाद 20 दिसंबर 2020 को एफ़आईआर दर्ज की गई लेकिन वह भी एमी घोले के खिलाफ़ नहीं बल्कि किसी जगदीश शिंदे के खिलाफ। इस पर धृतिमान जोशी ने ऑपइंडिया को बताया कि एफ़आईआर दर्ज होने के कुछ ही समय बाद उसे जमानत पर रिहा भी कर दिया गया।
अधिकारियों ने पूर्व सेनाधिकारी को शिकायत करने से पीछे खींचा
अपनी याचिका में सुजीत आप्टे ने लिखा है कि जब उन्होंने जॉइंट म्यूनिसिपल कमिश्नर नरेन्द्र रामकृष्णा से संपर्क किया तब उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से ही मना कर दिया। और पूर्व सेनाधिकारी से कहा कि वह एमी घोले से नहीं उलझें। जॉइंट कमिश्नर ने आप्टे को एक कॉल रिकॉर्डिंग सुनाई जिसमें शिवसेना नेता खुले तौर पर आप्टे को धमकी दे रहा था।
यहाँ याचिका उत्तरदाता संख्या 8 जॉइंट म्यूनिसिपल कमिश्नर नरेन्द्र रामकृष्णा से सम्बंधित है और याचिका उत्तरदाता संख्या 5 शिवसेना पार्षद से।
एमी घोले काफी प्रभावशाली है और उसकी शासन प्रशासन में काफी मज़बूत पकड़ भी है। वह केवल सत्ताधारी दल का पार्षद ही नहीं है बल्कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार का मज़बूत साझेदार भी है। आप्टे के मुताबिक़, शायद इन वजहों के चलते उसे क़ानून व्यवस्था का कोई डर नहीं है।
इन हालातों में सुजीत आप्टे के पास एक ही विकल्प बचा था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 226 का सदुपयोग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने पुलिस से निवेदन किया है कि वो शिवसेना नेता, जूनियर इंजीनियर गुलेकर और वागमारे पर आईपीसी की धारा 120(B), 34, 425, 426, 441, 442, 445, 446, 447, 448, 450, 451, 452, 455, 456, 457, 458, 504, 506 और बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा 110 और 117 के तहत एफ़आईआर दर्ज करें।
इसके अलावा आप्टे ने जिला समिति से भी गुहार लगाई है कि उनके मामले पर सुनवाई की जाए और जल्द से जल्द मामले की जाँच शुरू हो। बॉम्बे हाईकोर्ट 13 जनवरी 2021 को इस मामले की सुनवाई करेगी।
लोगों को उनके विचारों के लिए प्रताड़ित करने वाले महाराष्ट्र सरकार
यह पहला ऐसा मौक़ा नहीं है शिवसेना के गुंडों ने सत्ता की हनक दिखा कर आम नागरिकों के साथ इतना घटिया रवैया अपनाया हो। इसके पहले शिवसेना के गुंडों ने नौसेना के अधिकारी को उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गाँधी पर बनाया गया व्यंग्यात्मक कार्टून साझा करने के लिए बुरी तरह पीटा था। इस घटना की सीसी टीवी फुटेज भी सामने आई थी जिसमें शिवसेना के गुंडे नौसेना के अधिकारी को बुरी तरह पीट रहे थे। इसी तरह दिसंबर 2019 में शिवसेना के गुंडों ने वडाला के रहने वाले व्यक्ति को उद्धव ठाकरे की आलोचना करने के लिए गंजा कर दिया था। हाल ही महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने पर बीएमसी ने कंगना रनौत का मुंबई स्थित दफ्तर गिरा दिया था। इसके अलावा समित ठक्कर और सुनैना होले जैसे लोगों को भी महाराष्ट्र सरकार ने खूब प्रताड़ित किया।