Monday, December 23, 2024
Homeराजनीतिनोबेल विजेता अर्थशास्त्री की बकलोली: कृषि कानून तो ठीक हैं लेकिन लागू करने वाले...

नोबेल विजेता अर्थशास्त्री की बकलोली: कृषि कानून तो ठीक हैं लेकिन लागू करने वाले नहीं?

"किसानों के साथ हर तरह के निगोशीएशन को आखिरकार कुछ राज्य सरकारों को माध्यम बनाते हुए तय करना होगा। चूँकि, यह (कृषि कानून) ऐसे समय उठाया गया कदम है जब राज्य आर्थिक रूप से बेहद डरे हुए हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था अब पहले जैसी हालत में नहीं रह गई है।"

लोकसभा चुनावों के दौरान कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी के सलाहकार रह चुके नोबेल विजेता व अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने किसानों के आंदोलन पर अपनी राय रखी है। गुरुवार (दिसंबर 10, 2020) को अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि किसानों का मुद्दा कानून की विषयवस्तु के बारे में कम है, विश्वास के बारे में अधिक है। 

हरियाणा दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर अभिजीत बनर्जी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के प्रावधानों का कोई विरोध नहीं हो रहा बल्कि किसानों और सरकार के बीच अविश्वास के कारण ऐसा हो रहा है।

बनर्जी के बयान के मायने यदि समझें तो मालूम चलता है कि वो निजी तौर पर मानते हैं कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों में परेशानी नहीं है, लेकिन उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ़ किसान के प्रदर्शनों को सही साबित करना है तो वह उसे सरकार के प्रति किसानों के मन में पैदा अविश्वास से जोड़ रहे हैं।

वह कहते हैं कि किसान वास्तव में सरकार की मंशा पर संदेह कर रहे हैं। सारी दिक्कत भरोसे की है। यह सब (प्रदर्शन) कानून में निहित सामग्री से संबंधित नहीं है। ये भी देखना दिलचस्प है कि हरियाणा कब तक किसानों के इस प्रदर्शन को झेलता है।

अभिजीत बनर्जी कहते हैं, “ऐसा नहीं है कृषि क्षेत्र में मौजूद पुराने जमाने के संस्थानों से छुटकारा दिलाने के लिए आप कोई परिस्थिति (case) नहीं बना सकते। हम कर सकते हैं, लेकिन विश्वास की कमी यहाँ बहुत ज्यादा है।”

अभिजीत बनर्जी का कहना है, “किसानों के साथ हर तरह के निगोशीएशन को आखिरकार कुछ राज्य सरकारों को माध्यम बनाते हुए तय करना होगा। चूँकि, यह (कृषि कानून) ऐसे समय उठाया गया कदम है जब राज्य आर्थिक रूप से बेहद डरे हुए हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था अब पहले जैसी हालत में नहीं रह गई है।”

NYAY योजना के लिए कॉन्ग्रेस ने ली थी अभिजीत बनर्जी की मदद

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादे ‘न्याय योजना’ के लिए दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों से राय ली थी। इन अर्थशास्त्रियों में एक नाम अभिजीत बनर्जी का भी था। इसी योजना के तहत तब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गाँधी ने वादा किया था कि हर ग़रीब के खाते में साल में 72 हज़ार रुपए डाले जाएँगे, यानि 6 हजार रुपए/ महीना।

यह योजना गरीबों को मिनिमम इनकम की गारंटी देने वाली थी। हालाँकि, वादा की गई धनराशि राहुल गाँधी की हर रैली के साथ बदलती रही। कभी-कभी यह ₹72,000 वार्षिक हो जाता था, कभी-कभी यह 12000 मासिक हो जाता था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -