लोकसभा चुनावों के दौरान कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी के सलाहकार रह चुके नोबेल विजेता व अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने किसानों के आंदोलन पर अपनी राय रखी है। गुरुवार (दिसंबर 10, 2020) को अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि किसानों का मुद्दा कानून की विषयवस्तु के बारे में कम है, विश्वास के बारे में अधिक है।
#HTLS2020 | Nobel laureate Abhijit Banerjee says farmers’ issue is less about content of legislation, more about trust.
— Hindustan Times (@htTweets) December 11, 2020
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हरियाणा दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर अभिजीत बनर्जी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के प्रावधानों का कोई विरोध नहीं हो रहा बल्कि किसानों और सरकार के बीच अविश्वास के कारण ऐसा हो रहा है।
बनर्जी के बयान के मायने यदि समझें तो मालूम चलता है कि वो निजी तौर पर मानते हैं कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों में परेशानी नहीं है, लेकिन उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ़ किसान के प्रदर्शनों को सही साबित करना है तो वह उसे सरकार के प्रति किसानों के मन में पैदा अविश्वास से जोड़ रहे हैं।
वह कहते हैं कि किसान वास्तव में सरकार की मंशा पर संदेह कर रहे हैं। सारी दिक्कत भरोसे की है। यह सब (प्रदर्शन) कानून में निहित सामग्री से संबंधित नहीं है। ये भी देखना दिलचस्प है कि हरियाणा कब तक किसानों के इस प्रदर्शन को झेलता है।
अभिजीत बनर्जी कहते हैं, “ऐसा नहीं है कृषि क्षेत्र में मौजूद पुराने जमाने के संस्थानों से छुटकारा दिलाने के लिए आप कोई परिस्थिति (case) नहीं बना सकते। हम कर सकते हैं, लेकिन विश्वास की कमी यहाँ बहुत ज्यादा है।”
अभिजीत बनर्जी का कहना है, “किसानों के साथ हर तरह के निगोशीएशन को आखिरकार कुछ राज्य सरकारों को माध्यम बनाते हुए तय करना होगा। चूँकि, यह (कृषि कानून) ऐसे समय उठाया गया कदम है जब राज्य आर्थिक रूप से बेहद डरे हुए हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था अब पहले जैसी हालत में नहीं रह गई है।”
NYAY योजना के लिए कॉन्ग्रेस ने ली थी अभिजीत बनर्जी की मदद
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादे ‘न्याय योजना’ के लिए दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों से राय ली थी। इन अर्थशास्त्रियों में एक नाम अभिजीत बनर्जी का भी था। इसी योजना के तहत तब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गाँधी ने वादा किया था कि हर ग़रीब के खाते में साल में 72 हज़ार रुपए डाले जाएँगे, यानि 6 हजार रुपए/ महीना।
यह योजना गरीबों को मिनिमम इनकम की गारंटी देने वाली थी। हालाँकि, वादा की गई धनराशि राहुल गाँधी की हर रैली के साथ बदलती रही। कभी-कभी यह ₹72,000 वार्षिक हो जाता था, कभी-कभी यह 12000 मासिक हो जाता था।