स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने शनिवार (11 दिसंबर 2021) को दिल्ली की सीमाओं पर ‘किसानों’ के प्रदर्शन स्थलों की तुलना हिन्दुओं के तीर्थ स्थल चार धाम से की। गाजीपुर बॉर्डर पर एक सभा को संबोधित करते हुए यादव ने कहा, ”यह भाषणों का दिन नहीं है। किसानों ने जो कहा, उसे उन्होंने कर दिखाया है।”
योगेंद्र यादव ने आगे कहा, “अब हम नहीं बोलेंगे, लेकिन किताबें और इतिहास बोलेगा। पूरा देश बोलेगा। आज यह सिर्फ याद रखने का दिन है कि पिछले एक साल से हमारे देश में चार धाम का अर्थ बदल गया है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के लोग दिल्ली आते थे, तो कहते थे कि वे चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं। ये चार धाम सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और शाहजहाँपुर बॉर्डर है। ये प्रदर्शन स्थल अब देश के लिए चार धाम बन गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि अब से जब भी देश चंपारण आंदोलन को याद करेगा, उसके साथ वह ‘दिल्ली का मोर्चा’ भी याद करेगा। जब भी लोग कहेंगे कि देश ने 26 नवंबर को संविधान अपनाया, तो उन्हें यह भी याद आएगा कि ‘किसान’ भी 26 नवंबर को दिल्ली आए थे।
दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से भी अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन करने के बाद ‘किसान’ अब अपने घर की ओर लौटने लगे हैं। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार (11 दिसंबर 2021) को अपने सारे तंबू उखाड़ लिए और अपना सामान बाँधकर ट्रकों पर लाद कर ले गए।
सिंघु बॉर्डर पर बनाया गया करीब 40 फुट चौड़ा और 100 फुट लंबा किसान मोर्चा का पंडाल भी हटा लिया गया है। शुक्रवार (10 दिसंबर 2021) की शाम तक करीब 40 फीसदी ‘किसान’ अपने घरों के लिए रवाना हो गए थे।
बता दें कि शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के मुख्य मंच पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग बैनर और सामान को हटाने का काम कर रहे जगतार सिंह ने बताया था कि मोर्चा फतह करने के बाद कल जाना या आज कोई फर्क नहीं पड़ता।