किसानों के हित में तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने का दावा करने वाली कॉन्ग्रेस की राज्य सरकारें किसानों के खिलाफ ही मामले दर्ज करा रही है। राजस्थान में भाजपा की चौपाल में जुटे सैकड़ों किसानों पर FIR दर्ज की गई है। राजस्थान में भाजपा ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार को रोकने के लिए कई चौपाल के आयोजन का कार्यक्रम बनाया है, जिसमें किसानों को इन कानूनों के फायदे गिनाए जाएँगे।
राजस्थान की पुलिस ने भाजपा नेता भूपेंद्र यादव समेत उन 800 किसानों के खिलाफ FIR दर्ज की है, जो चौपाल में शामिल हुए थे। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए महामारी एक्ट का सहारा लिया है। डेढ़ दर्जन भाजपा नेताओं के साथ-साथ चौपाल में उपस्थित किसानों के खिलाफ FIR दर्ज किया गया है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने इस घटना की निंदा करते हुए पूछा कि क्या राजस्थान में कॉन्ग्रेस के राज में कोई लोकतंत्र बचा भी है?
उन्होंने पूछा कि अगर भारतीय जनता पार्टी आज किसानों के बीच फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने का प्रयास कर रही है तो इसमें गलत क्या है? उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की सरकार चाहे अपनी मशीनरी का जितना गलत उपयोग कर ले, किसानों के बीच जागरूकता फैलाने का कार्यक्रम जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 2022 तक भारत के किसान आत्मनिर्भर, समृद्ध और स्वतंत्रत होंगे- मोदी सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पीएम किसान सम्मान निधि के दूसरे इन्सटॉलमेंट के तहत किसानों के खाते में 2000 रुपए भेजते हुए उन्हें सम्बोधित भी किया था। चौपाल के दौरान उनके इस सम्बोधन को प्रसारित भी किया गया और किसानों को सुनाया गया। देश भर के 9 करोड़ किसानों के खाते में 18,000 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। कृषि कानूनों पर दुष्प्रचार को खत्म करने के लिए बीजेपी देश भर में 700 किसान चौपाल और 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा किसान सम्मान योजना के तहत 9 करोड़ किसानों के खाते में 18000 करोड़ की राशि भेजी गई।
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) December 25, 2020
देश भर में हुए कार्यक्रमों के क्रम में अलवर में आयोजित किसान चौपाल में लोगों के साथ प्रधानमंत्री जी का किसान कल्याण को समर्पित उद्बोधन सुना व संवाद किया। pic.twitter.com/Kt26K7jYJ1
केंद्र सरकार ने साफ़ कर दिया है कि वो वार्ता के लिए हमेशा तैयार है और किसान संगठनों की आपत्तियों को सुन कर तीनों कानूनों में संशोधन भी किया जा सकता है, लेकिन इन कानूनों को वापस लेने का कोई सवाल पैदा नहीं होता। MSP और APMC पर भी पीएम मोदी कई बार आश्वासन दे चुके हैं कि इन्हें ख़त्म नहीं किया जा रहा है। मंगलवार (दिसंबर 29, 2020) को फिर से केंद्रीय मंत्रियों की किसान संगठनों से वार्ता होगी।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के हित में नहीं बोलते हैं, वे यहाँ दिल्ली आकर किसानों के बारे में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि इन दलों को आजकल APMC मंडियों की चिंता सता रही है, लेकिन ये दल बार-बार यह भूल जाते हैं कि केरल में APMC मंडियाँ नहीं हैं और इन लोगों ने केरल में कभी आंदोलन नहीं किए। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, सौर पम्पों के वितरण की योजना जैसी सरकार की कुछ किसान केन्द्रित पहल गिनाईं, जिनसे किसानों को लागत घटाने में सहायता मिली है।