विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा आतंकियों में यह सोच नहीं आनी चाहिए कि हम सीमा के दूसरी तरफ बैठे हैं तो हमें कोई छू नहीं सकता। विदेश मंत्री जयशंकर ने 26/11 मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई ना किए जाने को लेकर भी प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि आतंकी अपनी ही भाषा में जवाब पाएँगे।
यह टिप्पणियाँ उन्होंने शुक्रवार (12 अप्रैल, 2024) को महाराष्ट्र के पुणे में अपनी किताब ‘व्हाई भारत मैटर्स’ के मराठी अनुवाद के लॉन्च के मौके पर कहीं। यहाँ वह एक बातचीत कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे।
उन्होंने कहा, “मुंबई में 26/11 हमले के बाद UPA सरकार ने हमलों के बाद खूब चर्चा की और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत, उस पर हमला ना करने की कीमत से ज्यादा होगी। कुछ मुंबई जैसा होता है, और आप उस पर जवाब नहीं देते तो अगला ऐसा हमला आप कैसे रोकेंगे।”
उन्होंने सीमा पार आतंकियों के मारे जाने को लेकर कहा, “आतंकियों के मन में यह ख्याल नहीं आना चाहिए कि अगर वह सीमा के उस पार बैठे हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं हो सकता। आतंकी कोई नियम कानून नहीं मानते, उनका सफाया करने में भी कोई नियम क़ानून माना नहीं जा सकता।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ रिश्तों को चलाना सबसे मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आज से नहीं और ना ही मुंबई हमलों के समय से बल्कि 1947 से ही भारत में आतंकी हमले कर रहा है। उन्होंने इसके लिए 1947 में जम्मू-कश्मीर पर किए गए हमले का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “कश्मीर में पाकिस्तान से हमलावर आए, यह आतंकी थे। इन लोगों ने शहर जलाए, लूटे, लोगों को मारा। पाकिस्तान की फ़ौज ने इन्हें कश्मीर में आगे भेज दिया और कहा कि हम तुम्हारे पीछे पीछे आते हैं।” जयशंकर ने कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने पर भी प्रश्न खड़े किए।
#WATCH | On being asked which country is the most difficult to maintain relationships with, EAM Dr S. Jaishankar said, "There are countries with whom you can ask would we maintain relationships… Today the biggest challenge is Pakistan… Narendra Modi came only in 2014, but… pic.twitter.com/IUsWKEgV5U
— ANI (@ANI) April 12, 2024
उन्होंने कहा कि जब इन कबायलियों ने हमले किए तब हमने क्या किया, हम संयुक्त राष्ट्र पहुँच गए जहाँ इस मामले में आतंकी हमले का कोई जिक्र ही नहीं है। उन्होंने कहा कि कबायली हमले के बाद जब सेना भेजी गई तो उसने कश्मीर समस्या का लगभग समाधान कर दिया था लेकिन हमने उसे रोक कर संयुक्त राष्ट्र में मामला उठाया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इसी कार्यक्रम में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों पर प्रश्न उठाए। जयशंकर ने कहा कि जब चीन ने 1950 में तिब्बत कब्जाया था, तब नेहरू को सरदार वल्लभ भाई पटेल चेताया था और कहा था कि उन्हें चीन की मंशा ठीक नहीं लगती। जयशंकर ने कहा कि नेहरू ने इन चिंताओं को दरकिनार कर दिया और कहा कि चीनी लोग भी एशियाई हैं और हमारे भाई है इसलिए वह भारत पर हमला नहीं करेंगे।
Sadar Patel warned Nehru that Chinese should not be taken on face value says EAM Jaishankar; Adds, China could support Anti India elements in neighbouring countries pic.twitter.com/60JsC91KdQ
— Sidhant Sibal (@sidhant) April 12, 2024
जयशंकर ने कहा कि चीन को लेकर जहाँ सरकार वल्लभभाई पटेल की सोच एकदम धरातल से मेल खाती हुई और यथार्थवादी थी तो नेहरू एक वामपंथी और आदर्शवादी थे।