पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा लुटियन दिल्ली में अब एक ही सरकारी आवास रख पाएँगे। केंद्र सरकार ने दूसरा आवास उन्हें खाली करने को कहा है। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि देवगौड़ा केवल एक सरकारी आवास रखने के ही हक़दार बताया हैं।
16वीं लोकसभा के दौरान वरिष्ठ सांसद के तौर पर देवगौड़ा को सरकारी आवास आवंटित किया गया था। 17वीं लोकसभा का चुनाव हारने के बाद पूर्व सांसदों से सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा गया था, इस प्रक्रिया के तहत देवगौड़ा को भी संपदा निदेशालय ने गत सितंबर में बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था।
हिन्दुस्तान ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि देवगौड़ा ने अपने जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में ख़ुद को लुटियन दिल्ली में सरकारी आवास का हक़दार बताते हुए अनुरोध किया था कि उन्हें सफ़दरजंग लेन स्थित बंगले का आवंटन बरक़रार रखा जाए। निदेशालय ने देवगौड़ा के अनुरोध को तो मान लिया, लेकिन प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्हें कार्यालयी उपयोग के लिए आवंटित वीपी हाउस खाली करने को कहा है।
निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नियम कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री केवल एक ही सरकारी आवास (टाइप 7) के हक़दार हैं, इसलिए उन्हें दूसरा सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा गया है। संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान देवगौड़ा जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक पीएम पद पर रहे थे।
ख़बर के अनुसार, 24 अक्टूबर तक सरकारी आवास खाली करने वाले पूर्व सांसदों की संख्या 25 थी। नोटिस के बावजूद बंगला नहीं छोड़ने वालों में पूर्व सांसद तारिक अनवर, जय प्रकाश नारायण यादव, गायकवाड़ रवींद्र विश्वनाथ और धर्मेंद्र यादव समेत क़रीब दो दर्जन पूर्व सांसद शामिल हैं।
निदेशालय ने कठोरता से इनसे बंगला खाली कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने बताया कि दिवाली के कारण पर्याप्त पुलिस बल न मिल पाने की वजह से दिवाली के बाद बल पूर्वक बंगले खाली कराने की कार्रवाई तेज़ की जाएगी।
ग़ौरतलब है कि 17वीं लोकसभा में चुनकर नहीं आ सके 230 सांसदों को जुलाई में सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दिया गया था। लेकिन, आधे से ज्यादा पूर्व सांसदों ने पानी और बिजली कनेक्शन काट दिए जाने की चेतावनी के बाद सरकारी आवास खाली किया था।