Sunday, November 17, 2024
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‘सत्ता के लिए अकबर से लड़े महाराणा प्रताप’: राजस्थान के शिक्षा मंत्री का ‘ज्ञान’, बोली BJP- मुगल चले गए, कॉन्ग्रेसी एजेंट छोड़ गए

इससे पहले भी डोटासरा ने महाराणा प्रताप को लेकर विवादित बयान दिया था। प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद मंत्रीमंडल में शपथ लेने के दौरान उन्होंने कहा था कि यह तो एक्सपर्ट तय करेंगे कि महाराणा प्रताप और अकबर में महान कौन है? उनके इस बयान पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने सफाई दी थी।

देश और हिंदुओं के स्वाभिमान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले क्षत्रिय महाराणा प्रताप और मुगल आक्रांता अकबर के बीच युद्ध को ‘सत्ता का संघर्ष’ बताकर राजस्थान के शिक्षा मंत्री और कॉन्ग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजनीति में उबाल ला दिया है। डोटासरा के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है। वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुगल चले गए लेकिन कॉन्ग्रेसी एजेंट को छोड़ गए।

केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर कहा, “मुगल चले गए अपने पीछे कांग्रेसी एजेंटों को छोड़कर जो मातृभूमि के सम्मान की लड़ाई को सत्ता से जोड़ देते हैं। राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा किस आधार पर कह रहे हैं कि राजस्थान के माथे का तिलक हमारे महाराणा प्रताप ने अकबर से सत्ता के लिए युद्ध किया था?”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “डोटासरा जी इटालियन कोचिंग से सीखा अपना इतिहास हमें न बांचें। महाराणा ने अकबर से स्वतंत्रता के लिए रण किया था, धर्म रक्षा का युद्ध किया था, मरुधरा के परचम को ऊंचा रखने की जंग की थी।” उन्होंने कहा कि डोटासरा तुरंत माफी माँगे और अगली बार ‘हमारे महाराणा’ का नाम अपनी सियासी जुबान पर न लाएँ। यही अच्छा होगा।

डोटासरा के पर प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कॉन्ग्रेसियों को महाराणा प्रताप दिखते ही अकबर दिख जाता है। इन लोगों ने इतने साल तक यही खेती कमाकर राज किया है। उन्होंने कहा कि प्रताप का जीवन राष्ट्र के लिए स्वाभिमान और मूल्यों की लड़ाई के लिए रहा। कॉन्ग्रेस ने हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति की है और उसकी की जो दुर्गति आज हुई है उसका बड़ा कारण यही है।

उन्होंने कहा कि मेवाड़ नहीं झुके इस बात के लिए महाराणा प्रताप ने इतनी बड़ी सल्तनत से मुकाबला किया। बड़े-बड़े कई लोग झुक गए, लेकिन मेवाड़ राजघराना और प्रताप ने अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं करके कष्टों को भुगतना स्वीकार किया और संघर्ष करते हुए अपनी लड़ाई जारी रखी।

वहीं, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने भी डोटासरा के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “अकबर के साथ #MaharanaPratap का युद्ध सत्ता संघर्ष नहीं, बल्कि राष्ट्र सुरक्षा का संघर्ष था। उन्होंने मेवाड़ के स्वाभिमान की खातिर जंगलों में घास की रोटियां तक खाई, ऐसे पराक्रमी योद्धा के अपमान पर कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से जनता से माफी मांगनी चाहिए।”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्वीट कर कहा कि महाराणा प्रताप का अकबर के साथ युद्ध सत्ता संघर्ष नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद की लड़ाई थी। डोटासरा पहले भी इस मामले पर विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने पूछा कि कॉन्ग्रेस को मुस्लिम वोटों को खोने का इतना डर क्यों है।

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप व अकबर की लड़ाई ‘संप्रभुता, स्वतंत्रता और स्वाभिमान’ की लड़ाई थी जो भारतीय संविधान के आदर्श हैं ना कि सत्ता की लड़ाई थी। राजस्थान की आन बान शान के प्रतीक महाराणा प्रताप के खिलाफ बार-बार कुंठित मानसिकता का परिचय देना डोटासरा आदत में शुमार हो गया है।

दरअसल, डोटासरा ने गुरुवार (17 फरवरी) को नागौर जिले में दो दिवसीय जिलास्तरीय कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन अपने संबोधन में कहा कि भाजपा अपने राज के दौरान विद्या भारती की तर्ज पर पाठ्यक्रम बनवाए। उन्होंने महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुई लड़ाई को धार्मिक लड़ाई बताकर पाठ्यक्रम में शामिल करवा रखा था, जबकि ये सत्ता का संघर्ष था। बीजेपी हर चीज को हिन्दू-मुस्लिम के धार्मिक चश्मे से देखती है।

इससे पहले भी डोटासरा ने महाराणा प्रताप को लेकर विवादित बयान दिया था। प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद मंत्रीमंडल में शपथ लेने के दौरान उन्होंने कहा था कि यह तो एक्सपर्ट तय करेंगे कि महाराणा प्रताप और अकबर में महान कौन है? उनके इस बयान पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने सफाई दी थी।

यह पहला मौका नहीं है, जब कॉन्ग्रेस के नेताओं ने महाराणा प्रताप को लेकर इस तरह का बेतुका बयान दिया हो। साल 2017 में 10वीं की पाठ्य-पुस्तक में कुछ तथ्यों को शामिल किया गया था, लेकिन 2018 में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस सरकार बनते ही 2019 में उन तथ्यों को बिना किसी जानकारी के बदल दिया गया और लेख को उसी लेखक के नाम से प्रकाशित कर दिया गया। इस बुक में तो महाराणा प्रताप को युद्ध के दौरान प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य, संयम और योजना के प्रति कमजोर बताया दिया गया था। साथ ही एक जगह ये कहा गया था कि हल्दीघाटी की लड़ाई बेनतीजा थी और महाराणा प्रताप उस लड़ाई में हार गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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